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जंगबंदी: हमास के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक और सामरिक लाभ
~पीटर आर न्यूमैन

RK News by RK News
November 27, 2023
Reading Time: 1 min read
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इसराइल और हमास के बीच बहुप्रतीक्षित अस्थाई संघर्ष विराम के समझौते के दो दिन बीत चुके हैं. हमास ने शुक्रवार को इसराइल में बंद 39 फ़लस्तीनी कैदियों के बदले 24 बंधकों को रिहा कर दिया, जिनमें 13 इसराइली नागरिक थे.
शनिवार को भी 39 फ़लस्तीनी कैदियों के बदले हमास के कब्ज़े से 13 इसराइली बंधकों को रिहा किया गया. इनके अलावा चार थाईलैंड के नागरिकों को भी छोड़ा गया है.
समझौते के तहत चार दिन के इस संघर्ष विराम में हर दिन राहत सामग्री लिए दो सौ ट्रकों, ईंधन के चार ट्रक और चार अन्य ट्रकों को ग़ज़ा में दाख़िल होना है.
इस दौरान उत्तरी और दक्षिणी ग़ज़ा में दोनों पक्ष कोई कार्रवाई नहीं करेंगे और इसराइल की ओर से ग़ज़ा पर निगरानी ड्रोनों को भी नहीं उड़ाया जाएगा.
लेकिन हमास ने आरोप लगाया है कि इसराइल ने सहायता सामग्री से लदे 97 ट्रकों को उत्तरी ग़ज़ा जाने से रोक दिया है और दक्षिणी ग़ज़ा के ऊपर ड्रोन उड़ाए हैं. इसराइल ने समझौते के उल्लंघन के आरोपों का खंडन किया है.
यह युद्ध विराम हमास के लिए एक रणनीतिक बढ़त भी है. यह हमास को हफ़्तों तक चले भीषण युद्ध से फिलहाल उबरने में मदद करेगा क्योंकि इस दौरान वो इसराइली हमले के कारण फंसा हुआ था और उसे काफ़ी नुकसान झेलना पड़ा.
इसमें कोई शक नहीं कि हमास इस समय को अपने कमान की शृंखला को फिर से स्थापित करने के लिए इस्तेमाल करेगा और अपने लड़ाकों को ऐसी जगहों पर तैनात करेगा जहां से वे आगे बढ़ती इसराइली सैनिकों को अधिक से अधिक नुक़सान पहुंचा सकें.
ख़ास बात ये है कि युद्ध विराम उन्हें बाकी बचे बंधकों को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने का भी मौका देगा जहां इसराइल के लिए उन्हें ढूंढना और मुश्किल होगा.
संक्षेप में कहा जाए कि अगर इससे और कोई घोषित लाभ नहीं है तब भी बंधक रिहाई का समझौता हमास के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक और सामरिक लाभ वाला है.
हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि बंधकों की रिहाई और उनके परिजनों के लिए यह एक अच्छी ख़बर है लेकिन कड़वी सच्चाई ये भी है कि जो बंधक पीछे रह गए हैं उनकी रिहाई और मुश्किल और खर्चीली हो जाएगी.
बंधक रिहाई से हमास को फ़ायदा?
छोड़कर पॉडकास्ट आगे बढ़ें
इस अस्थाई संघर्ष विराम ने दोनों पक्षों को मौजूदा संघर्ष से राहत दी है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि यह बंधक संकट का अंत या इसके अंत की शुरुआत है.
यह हमास के लिए कई मायनों में लाभ दे सकता है.इन चार दिनों में हमास द्वारा बंधक बनाए गए दर्जनों बुज़ुर्ग, महिलाओं और बच्चों की रिहाई इसराइलियों के लिए बहुत राहत की बात है.
इसका एक मतलब ये भी है कि हमास 150 से अधिक बंधकों को कब्ज़े में रखेगा लेकिन उनके लिए अधिक संख्या में बंधकों को रखने के मुकाबले और अधिक लाभ वाला सौदा साबित हो सकता है.
किसी भी संगठन के लिए लगभग 240 बंधकों को रखना एक बहुत बड़ा भार है. इन बंधकों की लगातार देखरेख करना, उनकी निगरानी करना और ज़रूरत पड़े तो उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की ज़रूरत होती है. अगर इनमें से कुछ बुज़ुर्ग हैं, बीमार हैं या उन्हें किसी विशेष इलाज की ज़रूरत है तो ये स्थितियों को और जटिल कर देते हैं.
जिन लोगों को विशेष देखरेख की ज़रूरत है, उनसे “छुटकारा पाकर” हमास कोई दरियादिली नहीं दिखा रहा है, बल्कि मुख्य रूप से वो अपने उस संसाधन को आज़ाद कर रहा है जिसकी कहीं और ज़रूरत है.
ख़ासकर थाईलैंड और नेपाल के क़रीब दो दर्जन मज़दूरों के संदर्भ में सच है जिनको बंधक बनाए रखने का हमास के लिए कोई रणनीतिक महत्व नहीं है, क्योंकि न तो वे इसराइली हैं और न ही यहूदी.
एक और कारण है कि बाकी बंधकों को कब्ज़े में रखने का उन्हें एक ‘आसान तर्क’ मिल जाएगा, क्योंकि उनमें अधिकांश इसराइली सैनिक हैं या युद्ध लड़ सकने वाली उम्र के हैं.
हमास तर्क देगा कि वे “दुश्मन सैनिक” या युद्ध बंदी हैं.और इससे नेतन्याहू सरकार पर कैदियों की अदला बदली का दबाव और बढ़ जाएगा.
जैसा कि अतीत में हो चुका है, जब इसराइल चंद इसराइली सैनिकों के बदले सैकड़ों फ़लस्तीनी कैदियों को रिहा करने पर राज़ी हुआ और एक बार तो हज़ारों को रिहा किया.हमास इसराइली जेलों में बंद अपने हज़ारों सदस्यों को रिहा किए जाने की मांग रखेगा. (साभार:BBC हिंदी)

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