मोहन यादव सरकार के आदेश के बाद व्यावसायिक परीक्षा मंडल के चर्चित भर्ती महाघोटाले की सुई एक बार फिर शिवराज सिंह की ओर मुड़ गई है। विपक्ष ने उनकेे इस्तीफे की मांग भी तेज कर दी है। मोहन यादव द्वारा ‘बुने’ गए ‘जाल’ में उनकी अपनी कैबिनेट में डिप्टी सीएम (दलित नेता) जगदीश देवड़ा भी ‘फंस’ गए हैं। मोहन यादव सरकार ने शिवराज सरकार के कार्यकाल में व्यावसायिक परीक्षा मंडल परीक्षा के माध्यम से परिवहन विभाग में हुईं 45 आरक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया है। सरकार के फैसले से परिवहन महकमे के साथ राज्य की राजनीति भी गरमा उठी है।
राज्य के परिवहन विभाग ने सप्ताह भर पहले 19 सितंबर 2024 को परिवहन आयुक्त को सवा चार लाइनों की एक चिट्ठी भेजी थी। परिवहन विभाग के सचिव सी.बी.चक्रवर्ती के हस्ताक्षरों से भेजी गई इस चिट्ठी में व्यापमं फर्जीवाड़े का कोई जिक्र नहीं किया गया। पत्र के संदर्भ का उल्लेख करते हुए चक्रवर्ती ने इतना भर लिखा, ‘सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 29 अगस्त 2023 एवं 22 अप्रैल 2024 के अनुक्रम में माननीय उच्च न्यायालय, खंडपीठ द्वारा पारित आदेश दिनांक 27 जनवरी 2014 का पालन सुनिश्चित करने हेतु महिला अभ्यार्थियों के लिए आरक्षित पदों के विरूद्ध नियुक्त पुरूष परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति निरस्त की जानी है। तदानुसार आपके द्वारा प्रेषित प्रस्ताव पर अनुमति प्रदान की जाती है।
मध्य प्रदेश सरकार के परिवहन विभाग के गोलमोल खत से कुछ साफ नहीं हो पाया। परिवहन आयुक्त डीपी गुप्ता ने बुधवार 25 सितंबर को जब परिवहन आरक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश निकाला तो पूरा माजरा सामने आ गया। बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में 12 साल बाद बड़ी कार्रवाई हुई है।
टाइमिंग पर उठे सवाल
मोहन यादव सरकार ने नियुक्तियां रद्द करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लिया है। इस मामले में याचिकाकर्ता हिमाद्री राजे हैं। कोर्ट ने हिमाद्री राजे के अलावा व्यापमं घोटाले को लेकर काफी वक्त से संघर्षरत मध्य प्रदेश विधानसभा के एक पूर्व सदस्य और रतलाम के महापौर रहे पारस सकलेचा की एक अन्य याचिका का भी संज्ञान लिया है। उनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की सरकार और सीबीआई को नोटिस देते हुए जवाब मांगे हैं।
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान को लंबे वक्त से देश की सबसे बड़ी कुर्सी दौड़ का मजबूत दावेदार माना जाता रहा है। साल 2014 में नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का दावेदार घोषित करते समय शिवराज सिंह चौहान का नाम भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आगे बढ़ाया था। बाद में भी नाम उछलता रहा।
भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा राजनीतिक दौर और तमाम उठापटक के बीच भी शिवराज सिंह चौहान से जुड़ी संभावनाएं बलवती हैं। हालांकि वे मोदी सरकार में कृषि और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री हैं। शिवराज सिंह चौहान का नाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के हेतु चर्चाओं में बने हुए नामों में भी है। इसी सब वजहों से टाइमिंग को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चाएं विद्यमान हैं।
पूरा मसला खुलने के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस का एक धड़ा शिवराज सिंह चौहान पर हमलावार हो गया है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव इस मसले पर खूब चहका करते थे। वे जब पीसीसी के चीफ बने तब भी इस मसले को जमकर उठाया। उनकी टीम के साथी के.के.मिश्रा ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जमकर घेरा था।(आभार:सत्य हिन्दी)