दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने ऐसे 37 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के नाम प्रकाशित किए हैं जो उसके मुताबिक ‘प्रेस की आज़ादी पर लगातार हमले कर रहे हैं.’
भारत में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता और मंत्री इस तरह की रिपोर्टों को ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘पूर्वाग्रह से प्रेरित’ बताते रहे हैं, उनका कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहाँ प्रेस को आलोचना करने की पूरी आज़ादी है.
हालाँकि पत्रकारों के संगठन और विपक्ष की ओर से ऐसे आरोप लगातार लगते रहे हैं कि मीडिया पर मोदी सरकार अपना शिकंजा कसती जा रही है.
इस रिपोर्ट पर भारत सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है, प्रतिक्रिया मिलने पर उसे इस रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा.
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स को आरएसएफ़ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि फ्रांसीसी में इसका नाम रिपोर्टर्स सां फ्रांतिए है.
आरएसएफ़ की रिपोर्ट में कहा गया है कि “प्रेस की आज़ादी के इन हमलावरों” में से कुछ तो दो दशकों से अपने ढर्रे पर चल रहे हैं, लेकिन कुछ नए चेहरे इस गैलरी में शामिल हुए हैं.
पहली बार शामिल होने वालों में भारत के पीएम मोदी के अलावा दो महिलाएँ और एक यूरोपीय चेहरा भी शामिल है. इसे 2021 की गैलरी ऑफ़ ग्रिम पोट्रेट कहा गया है, पिछली बार ऐसी गैलरी संस्था ने पाँच साल पहले साल 2016 में प्रकाशित की थी.
इस बार की गैलरी में तकरीबन पचास फ़ीसदी (17) चेहरे पहली बार शामिल किए गए हैं.
इस नक्शे में भारत को लाल रंग में दिखाया गया है जबकि ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों को काले रंग में, यानी इसके मुताबिक भारत की हालत बुरी है.
ग़ौर करने की बात ये भी है कि ‘प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करने वाले वाले’ एक तिहाई नेता (13) एशिया प्रशांत क्षेत्र के हैं, इन सबकी उम्र औसतन 65-66 साल है.
आरएसएफ़ के महासचिव क्रिस्टोफ़ डेलॉरे का कहना है, “प्रेस की आज़ादी पर हमला करने वालों की लिस्ट में 37 नेता शामिल हैं लेकिन कोई यह नहीं कह सकता कि केवल इतने ही नेता हैं जो ऐसा कर रहे हैं.”
वे कहते हैं, “इनमें से हर नेता का अपना अलग स्टाइल है, कुछ अपने अतार्किक आदेशों से आतंक फैलाते हैं, कुछ दमनकारी कानूनों को रणनीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.”
आरएसएफ़ सालाना प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी करता है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की आज़ादी को मापने का एक पैमाना समझा जाता है. इस इंडेक्स में भारत 180 देशों में 142वें नंबर पर है.
भारत इस इंडेक्स में पिछले चार सालों से लगातार नीचे खिसकता जा रहा है, वह साल 2017 में 136वें, साल 2018 में 138वें, साल 2019 में 140वें और पिछले साल 142वें नंबर पर पहुँच गया.