Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home समाचार

गुजराती वोटर राज्य में बीजेपी का विकल्प तो चाहते हैं, मगर मोदी का नहीं

RK News by RK News
December 1, 2022
Reading Time: 1 min read
0
गुजराती वोटर राज्य में बीजेपी का विकल्प तो चाहते हैं, मगर मोदी का नहीं

कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में.’

RELATED POSTS

गुजरात हाईकोर्ट ने 300 साल पुरानी दरगाह को गिराने के मामले में नगर निगम अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया

Bihar voter list controversy: विपक्ष के विरोध पर election commission का यू-टर्न, अब यह कहा

ट्रम्प: इजरायल गाजा समझौते पर हस्ताक्षर करे, अमेरिका नेतन्याहू पर मुकदमा जारी रखने को बर्दाश्त नहीं करेगा

अमिताभ बच्चन राज्य पर्यटन विभाग के एक विज्ञापन में ‘खुशबू गुजरात की’ कहकर लुभाते रहे हैं. आज, इस चुनावी राज्य में आप लोगों को एक साथ बदलाव और निरंतरता दोनों चाहते देख सकते हैं. यह विरोधाभासी लग सकता है, लेकिन तब तक, जब तक आप खुशबू गुजरात की नहीं सूंघ लेते.

प्रचार के इस सीजन में सबसे ज्यादा नजर आने वाले और मुखर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अब तक 35 और 30 रैलियां कर चुके हैं. इस सोमवार को ही मोदी ने चार रैलियों को संबोधित किया.

बीजेपी पसीना बहा रही है, ताकि आम आदमी पार्टी (आप) शहरी वोटों में सेंध न लगा दें. 26 नवंबर को सुस्त-से शहर भावनगर के हवाई अड्डे पर करीब 19 हेलीकॉप्टर खड़े थे. ज्यादातर बीजेपी नेताओं के थे, एक दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का था, और दूसरा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का था.

कांग्रेस के ज्यादातर उम्मीदवार बड़ी बहादुरी से निजी लड़ाई लड़ रहे हैं. सौराष्ट्र और उत्तरी गुजरात की कई महत्वपूर्ण सीटों पर बीजेपी की पेशानी पर बल डाल रहे हैं. आप गुजरात में अपनी पारी की शुरुआत के लिए तैयार है, भले ही उसे सीटों के मामले में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़े.

सिर्फ बीजेपी के खाते में ही अमीर उम्मीदवार नहीं हैं. अहमदाबाद जिले की 21 सीटों पर 15 करोड़पति मैदान में हैं – आठ कांग्रेस से, पांच बीजेपी से और दो आप से.

गुजरात में 2017 के चुनाव की तुलना करें, तो सौराष्ट्र की 48 सीटों पर लोकतंत्र की दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है. पिछले पांच वर्षों में इस क्षेत्र के नौ कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. 2017 के चुनाव के पहले हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार आरक्षण आंदोलन और किसानों का असंतोष राज्य में हलचल पैदा कर चुका था.

तब बीजेपी सौराष्ट्र की 48 सीटों में सिर्फ 19 ही जीत पाई थी, लेकिन इस बार वह बेहतर करने का दावा कर रही है क्योंकि उसने वहां मंडियों (कृषि उपज मंडी समिति) की ‘अर्थव्यवस्था में सुधार करने में कामयाबी हासिल की है.’ मंडी बोर्ड सदस्य अल्पेश ढोलरिया का दावा है कि सिर्फ गोंडल मंडी में इस साल 23,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ. लेकिन जातिगत समीकरण उम्मीदवारों के पसीने छुड़ा रहे हैं, जिसकी टकराहट बहुत चुपचाप भी नहीं है.

अहमदाबाद में बीजेपी के नेता क्लीन स्वीप की बात कर रहे हैं. वे 182 सदस्यीय विधानसभा में 120 सीटें या उससे अधिक जीतने का दावा कर रहे हैं. यह संभावना तो हो सकती है, बशर्ते आप कांग्रेस के मुस्लिम और दलित वोटों में सेंध लगा दे, लेकिन बीजेपी के शहरी वोटों में न लगाए.

आप की मदद के बिना बीजेपी 2022 के गुजरात चुनाव में स्वीप नहीं कर सकती है. अगर बीजेपी आश्चर्यजनक रूप से ज्यादा सीटें जीतती है, तो यह भारतीय चुनाव प्रणाली में उसकी ‘डिफॉल्ट हैसियत’ के कारण होगा. लेकिन अगर उसे 2017 की 99 सीटों के आसपास कुछ मिलता है, तो हमें इसे अजीबो-गरीब तथ्य के रूप में देखना चाहिए कि कोई भी बीजेपी को हराने के काबिल नहीं है, यहां तक कि बीजेपी की नाकामियां भी नहीं.

वजह साफ है. 2022 का चुनाव पूरी तरह जाति आधारित चुनाव के रूप में याद किया जाएगा. हिंदू पहचान का मुद्दा अब ऑफलाइन से ज्यादा ऑनलाइन और मतदाताओं के व्हाट्सऐप पर है. यह चुनाव 2002 का चुनाव नहीं है जब ‘हिंदू भावनाओं’ में उछाल जोरदार था. हालांकि देर से लेकिन अप्रत्याशित कतई नहीं, अमित शाह ने ‘2002 के दंगाइयों को दंडित करने’ और मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में ‘हिंदू पहचान’ की भावनाओं को जगाने की बात शुरू की है, लेकिन जातिगत समीकरण बीजेपी और कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं.

कांग्रेस चुनावी अफसाने में थोड़ी कमजोर स्थिति में बनी हुई हैं क्योंकि नई दिल्ली में मोदी की मजबूत स्थिति और मौजूदा राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में वर्चस्व के अलावा समकालीन भारत में गुजरात की राष्ट्रीय अहमियत सभी गुजराती मतदाताओं के लिए ‘खुशनुमा’ पहलू हैं.

राज्य में आज गुरुवार को हो रहे पहले चरण के मतदान के पहले निष्पक्ष आकलन तो यही कहते हैं कि कुल 182 सीटों में 75 पर बीजेपी बेहतर स्थिति में है, जबकि कांग्रेस की 45 सीटों पर बढ़त है, क्योंकि उसके उम्मीदवारों की साख और जाति समीकरण अच्छी है. लेकिन बाकी सीटों पर ‘कांटे की टक्कर’ है, जिनमें आप की मौजूदगी की वजह से बीजेपी की उम्मीदें ज्यादा हैं.

बीजेपी उन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां नोटा वोटों के साथ जीत का अंतर 10,000 वोट या उससे कम हो सकता है और आप महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. साथ ही, पार्टी के टिकट पर खड़े पूर्व कांग्रेसी अपने जाति आधार में सेंध लगने से जूझ रहे हैं. बीजेपी के स्थानीय नेता-कार्यकर्ता भी बाहरी मान रहे हैं.

कई सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस, आप और किसी मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार के बीच मुकाबला चौतरफा है. हालांकि, अगर बीजेपी फिर गुजरात जीत लेती है, तो इसका मतलब यह होगा कि अब गुजरात की दूसरी पीढ़ी भी 2001 में शुरू हुई मोदी परिघटना को अपनाने के लिए तैयार है, जब मोदी ने कहा था कि ‘देश का विकास’ और ‘हिंदू सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ हाथ में हाथ डालकर साथ-साथ चल सकते हैं.

इसका मतलब यह होगा कि गुजरात में बदलाव की इच्छा वाली युवा पीढ़ी आमूलचूल बदलाव की ओर नहीं देख रही है. बदलाव की यह इच्छा गुजराती साहित्य, फिल्मों और थिएटर के नए रुझानों में दिखाई देती है.

गुजराती समाज में इस बदलाव पर बीजेपी नेताओं का पूरा ध्यान है. मोदी और शाह 1980 के दशक में कांग्रेस के राज पर हमला बोल रहे हैं. कल्पना कीजिए कि बुरी यादों की राजनीति कितनी गहरी और ताकतवर होती है.

इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में बीजेपी सरकार में जाति-पहचान और अहंकार और भ्रष्टाचार का मुद्दा गुजरातियों की राजनीतिक स्थिरता और ‘परिवार की सुरक्षा’ की चाहत पर हावी नहीं हो पा रहा है. शहरी गुजरात में ‘कानून-व्यवस्था’ का मुद्दा सांप्रदायिक रंग ले चुका है. इस चुनाव में भी ऐसा बना हुआ है.

यह समझने के लिए कोई अन्य ठोस वजह नहीं है कि क्यों गुजराती वोटर बीजेपी के 27 वर्षों के लंबे शासन के बाद भी सत्तारूढ़ पार्टी से ऊबे नहीं हैं. निर्वाचन क्षेत्र दर क्षेत्र में, ऐसे शहरी मध्यवर्गीय बीजेपी मतदाता पर्याप्त संख्या में मिल सकते हैं, जिन्हें महंगाई्र, सरकारी भ्रष्टाचार और गैर-बराबरी के मुद्दे परेशान नहीं करते. वे बीजेपी की कमजोरियों को छुपाने के लिए दूसरी राज्य सरकारों के कामकाज, 60,000 रुपये के स्तर को छूता सेंसेक्स, मोदी की ‘साफ सोच’ और विश्व अर्थव्यवस्था के संकट का हवाला देते हैं.

वे बीजेपी का समर्थन जारी रखते हैं क्योंकि उनकी नजर में पार्टी की विचारधारा कमजोर नहीं पड़ी है.

इसे भी कम करके नहीं आंका जा सकता है कि अपनी विशाल चुनावी मशीनरी और मोदी से गहरे जोड़कर गुजराती अस्मिता की भावना से कैसे बीजेपी नई पीढ़ी को लुभाने की कोशिश कर रही है.

इस चुनाव अभियान से पता चलता है कि नतीजे चाहे जो हो, बीजेपी ‘गुजरात के भविष्य’ और राजनीति का केंद्र बिंदु बनी रहेगी क्योंकि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार ने वैचारिक मुद्दों पर बीजेपी से अलग कोई स्टैंड नहीं लिया है. सत्ता विरोधी लहर और जाति आधारित चुनाव में भी बीजेपी अगर जीत झटक लेती है तो नतीजे का राष्ट्रीय राजनीति में असर होना लाजिमी है.

यह चुनाव दिखाएगा कि कैसे भाजपा ने चुनाव प्रचार में महारत हासिल कर ली है. बीजेपी बखूबी जानती है कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भारी कठिनाइयों, नेतृत्वहीन सरकार और पूरी तरह से भ्रष्ट नौकरशाही जैसी जमीनी हकीकतों से चुनावी नतीजों को कैसे बचाना है.

गुजरात बदलाव की दहलीज पर है, लेकिन यह राजनीतिक कम है. मतदाताओं की बातचीत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे राज्य में बीजेपी का विकल्प चाहते हैं, मोदी का नहीं.

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विकल्प बीजेपी से बहुत अलग नहीं होना चाहिए. इससे पता चलता है कि मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उनके मंत्रिमंडल को रातोरात हट जाने को क्यों कहा. बेशक, वह कठोर निर्णय उलटा भी पड़ सकता है, लेकिन उससे सत्ता विरोधी लहर को कुछ हद तक रोकने में मदद मिली.

यह पहला चुनाव है जब राज्य के पुराने बीजेपी नेता थके हुए और जाति के आधार पर बंटे हुए दिख रहे हैं और फिर भी कांग्रेस और आप के कई वोटर यही कह रहे हैं, ‘जितशे तो बीजेपी जे’ (जीतेगी तो बीजेपी ही).

इसका कारण गैर-बीजेपी गुजराती जानते हैं कि बीजेपी के मतदाताओं के लिए उनकी पार्टी राजनीतिक संगठन से कहीं अधिक है. यह एक परिवार है.

शीला भट्ट 

व्यक्त विचार निजी हैं।

 

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

समाचार

गुजरात हाईकोर्ट ने 300 साल पुरानी दरगाह को गिराने के मामले में नगर निगम अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया

July 1, 2025
Uncategorized

Bihar voter list controversy: विपक्ष के विरोध पर election commission का यू-टर्न, अब यह कहा

June 30, 2025
समाचार

ट्रम्प: इजरायल गाजा समझौते पर हस्ताक्षर करे, अमेरिका नेतन्याहू पर मुकदमा जारी रखने को बर्दाश्त नहीं करेगा

June 29, 2025
समाचार

थरूर अब संघ के बचाव में कहा, आरएसएस ‘मनुस्मृति-विहीन’ संविधान को लेकर अपनी नाराजगी से आगे बढ़ चुका है

June 29, 2025
समाचार

बिहार की वोटर लिस्ट में संशोधन:चुनाव आयोग के कदम से NRC की याद क्यों आई cc? खेल को समझये

June 28, 2025
समाचार

गोवा से छत्तीसगढ़ में आश्रम खोलने वाले ‘योग गुरु’ गिरफ्तार, पुलिस का दावा,2 किलो गांजा बरामद, जेल रसीद

June 27, 2025
Next Post
AIIMS का सर्वर 8 दिन से डाउन, दो सस्पेंड

AIIMS का सर्वर 8 दिन से डाउन, दो सस्पेंड

गुजरात चुनाव : पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान जारी

गुजरात चुनाव : पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान जारी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

जम्मू कश्मीर में पर्यटकों पर हमला, आतंकियों ने कई लोगों को मारी गोली, एक की मौत

April 22, 2025

बिहार के मोतिहारी में 16 लोगों की मौत, 12 की हालत गंभीर

April 15, 2023

OBC लिस्ट में शामिल मुस्लिम जातियों की होगी समीक्षा, कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान सरकार का ऐलान

May 25, 2024

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • गुजरात हाईकोर्ट ने 300 साल पुरानी दरगाह को गिराने के मामले में नगर निगम अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया
  • Bihar voter list controversy: विपक्ष के विरोध पर election commission का यू-टर्न, अब यह कहा
  • फिलीस्तीन पर अवसरवाद  :-मनोज झा

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi