नई दिल्ली: बीजेपी ने अगले साल के विधानसभा और उसके अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी गंभीरता के साथ शुरू कर दी है। पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों और प्रभारियों के साथ बैठक के बाद राज्यवार बैठकें भी शुरू हो गई हैं। राष्ट्रीय पदाधिकारियों के साथ पार्टी के बड़े नेताओं की बैठक पांच और छह दिसंबर को हुई थी।
पांच दिसंबर को गुजरात में दूसरे चरण के मतदान के दिन सुबह में वोट डाल कर पीएम मोदी और अमित शाह दोनों दिल्ली आ गए थे और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में शामिल हुए थे। उसमें प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी के नेताओं से कहा था कि वे जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिलने का मुद्दा जनता के बीच ले जाएं और उन्हें गर्व का अहसास कराएं।
अब पार्टी ने राज्यवार बैठकें शुरू कर दी है। पहली बैठक उत्तर प्रदेश की हुई है। उत्तर प्रदेश के दोनों बड़े नेताओं- राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ की बैठक पार्टी के जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई। बताया जा रहा है कि इसमें पार्टी के संगठन में होने वाले बदलाव और अगले चुनावों के बारे में चर्चा की गई।
हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय संगठन और राज्यों में होने वाले बदलाव पर विचार के लिए बैठक में योगी आदित्यनाथ को बुलाने का मतलब नहीं बनता है। उत्तर प्रदेश में संगठन का बदलाव नहीं होना है। वहां हाल ही में भूपेंद्र चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है और नए संगठन महामंत्री गए हैं। अगर दूसरे राज्यों के संगठन में होने वाले बदलाव पर विचार के लिए योगी को बुलाया गया तो यह कई लिहाज से बड़ी बात होगी।
बहरहाल, पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है लेकिन ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को लेकर यह बैठक हुई है। इसमें और भी मुद्दे उठे होंगे लेकिन बुनियादी रूप से राज्य में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई होगी। ध्यान रहे पिछली बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी मिल कर चुनाव लड़े थे तब भाजपा की सीटें घट गई हैं। 2014 की 73 सीटों के मुकाबले भाजपा और उसकी सहयोगी अपना दल को 64 सीटें मिलीं यानी नौ सीटों का नुकसान हुआ।
इस बार भाजपा की योजना सीटें बढ़ाने की है। कॉशी कॉरिडोर और अयोध्या में राममंदिर निर्माण के बाद भाजपा उम्मीद कर रही है कि वह फिर से 73 या उससे भी ज्यादा पहुंच सकती है। बसपा के रुख को देखते हुए भी पार्टी सीटें बढ़ने की उम्मीद कर रही है। ध्यान रहे योगी मुख्यमंत्री हैं और राजनाथ मुख्यमंत्री रहे हैं, जबकि अमित शाह और जेपी नड्डा दोनों उत्तर प्रदेश के प्रभारी रह चुके हैं। इसलिए इन चार नेताओं का मिलना और चुनाव तैयारियों पर चर्चा करना अहम है। अब देखना है कि इस तरह की चर्चा और किन राज्यों को लेकर होती है।