बिहार के सीतामढ़ी से जेडीयू सांसद देवेश चंद्र ठाकुर अपने बयान को लेकर आलोचना के केंद्र में हैं और बयान भी ऐसा, जिसने उनकी ख़ुद की पार्टी को असहज कर दिया है.
सोमवार को देवेश चंद्र ने कहा कि ‘यादव और मुसलमानों ने उन्हें वोट नहीं दिया, इसलिए वो उनकी मदद नहीं करेंगे.’
सीतामढ़ी में हो रहे एक आयोजन में ठाकुर ने कहा, “अब मैं यादव और मुसलमानों के लिए कोई काम नहीं करूंगा क्योंकि उन्होंने मुझे वोट नहीं दिया है. यादव और मुसलमान अगर हमारे यहां आते हैं तो उनका स्वागत है. चाय पीजिए, मिठाई खाइए लेकिन मैं आपका कोई काम नहीं करूंगा.”
इस आयोजन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ठाकुर ने कहा, “मैंने जो कहा है, उस पर अब भी कायम हूं. मैं ये काफ़ी समय से कह रहा हूँ. मैंने 25 साल तक लोगों के लिए बिना भेदभाव के काम किया है.”
आरजेडी ने अपने एक्स अकाउंट पर देवेश चंद्र ठाकुर का बयान शेयर करते हुए लिखा, “जो एनडीए वाले अपने आप को कुशवाहा, यादव या मुसलमानों का भाग्य विधाता समझ बैठे हैं, नागरिकों को स्वयं पर आश्रित समझ बैठे हैं, वे वैसे भी किसी नागरिक के कितना काम आते हैं, इसकी सच्चाई सभी जानते हैं.”
”पाँच साल इन्हें मोदी नाम जपने का काम मिला है, इसके अलावा कुछ और कर पाने की ना तो इनकी योग्यता है और ना ही सोच! इन्होंने केवल प्रधानमंत्री, बीजेपी और जेडीयू की सोच को सबके समकष रखा है
जेडीयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी से जब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में देवेश चंद्र ठाकुर के बयान के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हम समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलते हैं, उदाहरण आपके सामने है. हमने नौकरी हर वर्ग और धर्म के लोगों के लिए दी है. यही हमारे गठबंधन की नीति है और यही हमारे नेता नीतीश कुमार की नीति है.”
बीजेपी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा, “जातिगत पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर अपनी हताशा को व्यक्त करना राजनीति में शर्मनाक और निंदनीय है. बीजेपी सभी सामाजिक वर्गों को साथ लेकर चलती है. बिहार में कोई भी राजनीतिक दल सफल नहीं हो सकता अगर वह यादवों को हाशिए पर धकेलने की कोशिश करे, वो कुल आबादी का 14 प्रतिशत हैं.”
जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने कहा है, “देवेश चंद्र ठाकुर सीतामढ़ी से नवनिर्वाचित सांसद हैं, उन्होंने अपने कर्यकर्ताओं के बीच जो पीड़ा व्यक्त की है वो अपने कार्य अनुभव के आधार पर की है. जब कोई जनप्रतिनिधि हो जाता है तो वो सबका हो जाता है, इसलिए भाषा नहीं भाव समझिए लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि ऐसे मामले से बचना चाहिए.”
हालांकि यादव और मुसलमानों ने देवेद्र चंद्र ठाकुर को या जेडीयू के लिए वोट नहीं किया वो इस नतीजे पर कैसे पहुंचे इसका कोई तर्क उन्होंने नहीं दिया.
बिहार में हुए हालिया जाति सर्वे के मुताबिक़ मुस्लिम 17.7 प्रतिशत हैं और यादव 14.26 फ़ीसदी हैं.
लालू प्रसाद यादव की राजनीति एमवाई समीकरण से भी जानी जाती थी. बिहार में मुस्लिम और यादव मिलाकर 31 प्रतिशत से ज़्यादा हो जाते हैं.
लालू प्रसाद और उनकी पार्टी बिहार में 1990 से 2005 तक सत्ता में रहे तो इसमें एमवाई समीकरण की बड़ी भूमिका मानी जाती है.
लेकिन आरजेडी के भीतर भी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व हाशिए पर जाता रहा. आरजेडी ने इस बार के लोकसभा चुनाव में महज़ दो मुसलमानों को टिकट दिया था. आरजेडी ने इस बार 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.
ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार ने मुसलमानों को रिझाने की कोशिश की.बिहार में मुसलमानों और यादवों को राष्ट्रीय जनता दल का वोट बैंक माना जाता है लेकिन बिहार के मुसलमान नीतीश कुमार को भी वोट करते रहे हैं.