नई दिल्ली: यूपी के कानपुर में हुई हिंसा को लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के महासचिव अनीस अहमद ने कहा कि पीएफआई का कानपुर हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है, हम कानपुर हिंसा की निंदा करते हैं, भाजपा और केंद्रीय एजेंसियों के लिए हम सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं, इसलिए किसी न किसी हमले से पीएफआई का नाम जोड़ दिया जाता है।
आजतक के साथ बातचीत में अनीस ने कहा कि कानपुर की तो बात ही छोड़िए, पूरे यूपी में कोई पीएफआई की कोई इकाई नहीं है, पीएफआई की यूपी में सिर्फ एडहॉक यूनिट है, कानपुर हिंसा की एफआईआर में भी हमारा नाम नहीं है, वहीं, हिंसा के आरोपियों से हमारा कोई संबंध नहीं है।
आज तक ऑनलाइन से पीएफआई महासचिव ने कहा केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें हमें सॉफ्ट टारगेट करती हैं, राजस्थान के करौली में दंगे हुए तो पीएफआई का नाम लिंक करने की कोशिश की गई, लेकिन वहां के एसपी ने खुद कहा कि हिंसा में पीएफआई का कोई रोल नहीं है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई भी हिंसा से भी पीएफआई का नाता जोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक कोई लिंक सामने नहीं आया, वहीं, यूपी में भी सीएए एनआरसी के दौरान हुए प्रदर्शनों में पीएफआई का संबंध बताने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक कुछ भी साबित नहीं हुआ।
गौरतलब है कि नूपुर शर्मा ने एक टीवी न्यूज चैनल पर बहस के दौरान हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके विरोध में बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद जब मुस्लिम सामज के लोगों ने कानपुर शहर में दुकानें बंद कराने का प्रयास किया तो बेकनगंज, परेड, नई सड़क और यतीमखाना इलाकों में झड़पें शुरू हो गईं, इन झड़पों में पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 40 लोग घायल हो गए।