असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि देश की अलग-अलग विचारधारा वाले कुछ “अजीगरीब लोग” असम का दौरा कर रहे हैं, और कहा कि अगर वे “सीमा (हद के) पार” जाएंगे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, “हम किसी भी कट्टरपंथी गतिविधि या संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति बर्दाश्त नहीं करेंगे, चाहे वह केरल, मुंबई या दिल्ली से हो। ये कट्टरपंथी लोग हैं जो कुछ खास वर्गों की गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं और उनका संरक्षण करते हैं।”
The Hindu के अनुसार उन्होंने कहा, “हम उन पर नज़र रख रहे हैं। जब राज्य में एनआरसी को अपडेट किया जा रहा था, तब भी वे आए थे और पूरी प्रक्रिया को बिगाड़ दिया था। एनआरसी प्रक्रिया के दौरान सरकार ने इन यात्राओं पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया था, लेकिन अब हम उनमें से हर एक पर नज़र रख रहे हैं और अगर वे नियमों की सीमा से बाहर गए, तो उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाएगा।”
श्री सरमा ने कहा कि बीबीसी की एक टीम ने उरियमघाट का दौरा किया था, जहाँ हाल ही में सबसे बड़ा बेदखली अभियान चलाया गया था, लेकिन “हमने उन्हें वन क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने दिया”।
उन्होंने कहा, “हमने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था कि जंगल में प्रवेश करने के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी। हम इस बार बहादुरी से कार्रवाई कर रहे हैं और किसी भी व्यक्ति या समूह को इन मुद्दों का फायदा उठाने की अनुमति नहीं देंगे।”
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का सीधे नाम लिए बिना, श्री सरमा ने आरोप लगाया कि उनके फार्म2फूड एनजीओ को हंगेरियन-अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस ने वित्त पोषित किया था, और कहा कि मेघालय के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसटीएम) के लिए शुरुआती फंडिंग की भी जाँच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “मैं यह सीधे तौर पर कह रहा हूँ, और वे मेरे खिलाफ मामला दर्ज कर सकते हैं। असम से जुड़ी बहुत सारी राजनीति की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते मुझे पहले इसका एहसास नहीं था, लेकिन अब केंद्र के बढ़ते सहयोग से, ये मामले हमारे संज्ञान में आ गए हैं और हम तुरंत कार्रवाई कर सकते हैं।”
सरमा ने आरोप लगाया कि एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल और जमीत-उलेमा-ए-हिंद नेता (अध्यक्ष) (मौलाना) महमूद मदनी ने 2013-14 में कोकराझार हिंसा के दौरान प्रभावित लोगों के लिए घर बनाने का वादा किया था, लेकिन “उन्होंने ऐसा अपने पैसे से नहीं, बल्कि बाहरी फंडिंग से किया”।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए राज्य सरकार के प्रयास जारी रहेंगे और सर्वोच्च न्यायालय तथा गुवाहाटी उच्च न्यायालय दोनों ने इस दिशा में आवश्यक आदेश पहले ही दे दिए हैं। source :The Hindu












