नई दिल्ली : नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) पाठ्यपुस्तकों में इंडिया (India) का नाम बदलकर भारत (Bharat) करने के प्रस्ताव पर छिड़े राजनीतिक विवाद के बीच इस प्रस्ताव के पीछे जो व्यक्ति हैं, उन्होंने एनडीटीवी को बताया कि यह केवल सीबीएसई के छात्रों और कक्षाओं के लिए था. सेवानिवृत्त प्रोफेसर सीआई इस्साक ने एनडीटीवी के साथ एक ख़ास इंटरव्यू में कहा, “घर पर वे कुछ भी कह सकते हैं.” साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ भी हटा नहीं रहे हैं.
इस्साक सामाजिक विज्ञान समिति के प्रमुख हैं, जिसने सिफारिश की है, जिसके बाद यह हलचल मची है. विपक्ष के हमले के बीच एनसीईआरटी ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम को संशोधित करने के संबंध में की गई सिफारिशों के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
NDTV के अनुसार देश की शिक्षा नीति में सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “हमारी मानसिकता औपनिवेशिक शिक्षा से प्रेरित है. यह एक नई शिक्षा प्रणाली है, नया अध्याय है. कुछ नया चाहिए, पारंपरिक कुछ नहीं.”उन्होंने बदलाव को आवश्यक बताते हुए कहा कि इसे कई शिक्षाविदों का समर्थन
विपक्ष के शिक्षा के राजनीतिकरण को लेकर आरोपों के बारे में पूछे जाने पर इस्साक ने कहा, “हम चुनाव के बारे में कभी नहीं सोचते हैं. मेरी टीम में से कोई भी राजनीति में शामिल नहीं है. पांच महिलाएं हैं, गृहिणियां.”
वहीं जब उनसे पूछा गया कि इसे पाठ्यपुस्तकों में क्यों शामिल करना पड़ा, इस पर उन्होंने कहा कि यह शिक्षकों के लिए है.