ईरान-इजराइल के बीच 12 दिन तक नॉनस्टॉप युद्ध चला. ईरान ने तेल अवीव और हाइफा को दहलाया तो इजराइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकाने और बैलिस्टिक मिसाइल बेस तबाह कर दिए लेकिन सवाल है कि इस जंग में किसे-कितना नुकसान हुआ? जंग के 12 दिन का लेखा-जोखा पढ़िए इस रिपोर्ट में.
***Iran का भारी नुक्सान: इजराइल के ईरान पर हमले की वजह थी उसकी परमाणु और सैन्य शक्ति को खत्म करना जिसके लिए इजराइल ने बेहद ही सटीक हमले किए और ईरान को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया. IRGC के 19 टॉप अधिकारियों की मौत हो गईं जिसमें चीफ ऑफ स्टाफ, ईरान के थल सेना अध्यक्ष, नौसेना अध्यक्ष और वायुसेना अध्यक्ष भी शामिल थे. हमलों में ईरान के 10 न्यूक्लियर साइंटिस्ट भी मारे गए. ईरान के नतांज, फोर्दो और इस्फहान परमाणु ठिकाने को बड़ा नुकसान पहुंचा है. वहीं ईरान ने अराक वॉटर रिएक्टर और तेहरान रिसर्च सेंटर को तबाह कर दिया.
इजराइल ने 13 जून को ईरान के खिलाफ ऑपरेशन लॉयन राइजिंग की शुरुआत की थी, जिसके कुछ देर बाद ही ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 शुरू किया और इजराइल पर मिसाइलों की बारिश कर दी. 12 दिनों तक चली इस जंग में ईरान हो या इजराइल दोनों को बड़ा नुकसान उठा पड़ा. जंग में ईरान के 657 से 800 लोगों की मौत हो गईं. वहीं इजराइल के 24 से 30 लोग मारे गए. मरने वालों में ईरान के 200 से 365 सैनिक थे. जबकि इजराइल के सैनिकों की मौत से जुड़ा कोई आंकड़ा अब तक सामने नहीं आया है. घायलों की बात करें तो ईरान में 2500 से 3500 लोग घायल हुए जबकि इजराइल में 804 लोग घायल होने की खबर है.
*** इजराइल के तेल अवीव, हाइफा, और बीर शेवा में बड़ी तबाही इजराइल के हमलों का ठीक वैसा ही जवाब ईरान ने भी दिया. ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रोमिस 3 चलाया और इजराइली शहरों को दहला डाला. इजराइल के तेल अवीव, हाइफा, और बीर शेवा शहर को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है. इसके अलावा इजराइल की कई प्रमुख इमारतों को तबाह कर डाला. जिसमें मोसाद हेडक्वार्टर, IDF हेडक्वार्टर, तेल अवीव स्टॉक एक्सचेंज और सोरोका मेडिकल सेंटर शामिल हैं. साथ ही हाइफा बंदरगाह, हाइफा नौसैनिक अड्डे और तेल रिफाइनरी को भी नुकसान पहुंचा
***अमेरिका को भी बड़ा नुक्सान:अमेरिका इस जंग में सीधे तौर पर आखिरी 24 घंटों में शामिल हुआ था. ऐसे में अमेरिका को सैन्य मोर्चो पर कोई नुकसान पहुंचा लेकिन इजरायल-ईरान युद्ध में अमेरिका को जो नुकसान पहुंचा है. वो इससे भी बड़ा है. युद्ध में अमेरिकी की छवि को बड़ा नुकसान पहुंचा है. पहला तो ये कि अमेरिकी विश्वसनियता को चोट पहुंची जबकि दूसरा अरब में अमेरिका की पकड़ कमजोर हुई है. साफ है, ईरान-इजराइल को जहां सैन्य मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ा. तो वहीं अमेरिका को कूटनीतिक मोर्चे पर नुकसान झेलना पड़ा लेकिन अगर सीजफायर टूटता है तो यकीनन इस जंग का अगला फेज बेहद ज्यादा विध्वंसक होगा.ईरान को दहलाना ट्रंप को भारी पड़ गया. पहले से तैयार ईरान सिर्फ नुकसान से बचा, बल्कि, कतर में अमेरिकी बेस पर मिसाइल दागकर उसने अपना बदला भी ले लिया और बदले की यही कार्रवाई ईरान में उत्साह की लहर ले आई. ईरान की ये कार्रवाई अमेरिका के खिलाफ सीधी चेतावनी थी और ईरान की खुशी बता रही है कि ईरानी लोग अमेरिका से टकराने के लिए तैयार हैं. यानी ट्रंप को युद्ध में एंट्री लेना भारी पड़ गयाआ(आभार: tv9bharat varsh)