लेखक:अब्दुल अलीम ज़ाफ़री
लखनऊ: कन्याकुमारी से कश्मीर तक सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा के बाद, उत्तर प्रदेश कांग्रेस राज्य में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ शुरु कर रही है। 2024 आम चुनाव से पहले पार्टी अपनी ताकत दिखाने की तैयारी कर रही है।
यूपीसीसी अध्यक्ष अजय राय ने कहा, पैदल मार्च अभियान 20 दिसंबर को पश्चिमी यूपी के सहारनपुर से शुरू होगा और अवध क्षेत्र के सीतापुर में समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की “जनविरोधी” और “किसान विरोधी” नीतियों और विचारधारा से आम जनता तक पहुंचकर उन्हें अवगत कराया जाएगा।
पार्टी अध्यक्ष के अनुसार, ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ पश्चिमी यूपी के जिलों मोरादाबाद, मेरठ, बरेली, बिजनौर और अन्य से होकर गुजरेगी और मकर संक्रांति पर सीतापुर के नैमिषारण्य में समाप्त होगी। यह अजय राय के नेतृत्व में 25 दिवसीय यात्रा होगी।
प्रियंका गांधी और राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ पार्टी नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है और वे किसी समय मार्च में शामिल हो सकते हैं।
पैदल मार्च के लिए निर्मल खत्री, सलमान खुर्शीद, अजय लल्लू, बृजलाल खाबरी, जफर अली नकवी समेत कई कांग्रेस नेताओं को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं।
अल्पसंख्यक बहुल जिले सहारनपुर से मार्च शुरू करने और पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर ध्यान केंद्रित करने के पीछे का कारण दलित और मुस्लिम समर्थन (पश्चिमी यूपी में दलित, मुस्लिम और जाट तीन प्रमुख मतदाता समूह हैं) को मजबूत करने की कांग्रेस की रणनीति है। इसे हाल ही में इमरान मसूद और अहमद हामिद जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाने-माने अल्पसंख्यक नेताओं को शामिल करने से भी इस मोर्चे पर समर्थन मिला है।
वरिष्ठ पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सबसे पुरानी पार्टी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के लिए जल्द से जल्द तैयारी शुरू कर दी जाए।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने टिप्पणी की, “पश्चिमी यूपी में मुस्लिम-दलित वोट बैंक को मजबूत करने से ज्यादा, कांग्रेस भाजपा के मूल वोट बैंक में सेंध लगाती दिख रही है।”
उत्तर प्रदेश की राजनीति को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुबुल कुरेशी ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, “अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित भाजपा के पारंपरिक मतदाता रहे हैं और अगर कांग्रेस उनके वोट में कटौती करने में सक्षम हुई तो भगवा पार्टी मुश्किल में पड़ सकती है।”
जब उनसे राज्य में ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ के प्रभाव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अपना कोई राजनीतिक आधार नहीं है लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के बाद एक पैटर्न देखा जा रहा है कि मुस्लिम मतदाता क्षेत्रीय दलों को छोड़ रहे हैं और फिर से कांग्रेस की ओर रुख कर रहे हैं। दिल्ली में हाल के नागरिक चुनाव परिणाम दर्शाते हैं कि कांग्रेस को अपने खोए हुए कुछ मुस्लिम वोट मिल रहे हैं। कर्नाटक में भी, मुसलमानों ने जेडीएस छोड़ दिया है और कांग्रेस को एकतरफा वोट दिया है। कर्नाटक में मुस्लिम मतदाताओं ने अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में जेडीएस के मुस्लिम उम्मीदवार के बजाय कांग्रेस के हिंदू उम्मीदवार को चुना। इसका कारण यह है कि कांग्रेस और विशेष रूप से राहुल गांधी, बजरंग दल, आरएसएस के खिलाफ मुखर हैं और उन्होंने हिजाब मुद्दे और मुसलमानों से संबंधित अन्य मुद्दों के लिए एक स्टैंड लिया है।”
उन्होंने कहा, “यूपी नगर निगम चुनावों में कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी जहां सबसे पुरानी पार्टी के पास एक भी विधायक नहीं है। अगर समाजवादी पार्टी (एसपी) ने चुनाव नहीं लड़ा होता तो कांग्रेस जीत जाती। हालांकि नगर निगम चुनावों में वोटिंग पैटर्न थोड़ा अलग है।” भारत जोड़ो यात्रा का असर तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी देखा गया जहां मुसलमानों ने हैदराबाद क्षेत्र को छोड़कर पूरे दिल से कांग्रेस को वोट दिया।”
क़ुरैशी का कहना है कि ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ जिन इलाकों से होकर गुजरेगी उनमें ज्यादातर मुस्लिम बहुल इलाके हैं और इन्हीं सीटों पर 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया था।
एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, “भाजपा यूपी में सबसे बड़े समुदायों में से एक और सपा के मुख्य मतदाता – यादवों को एकजुट करना चाहती है। इसलिए, कांग्रेस मुस्लिम वोटों को मजबूत करने की कोशिश कर रही है जैसा कि बसपा प्रमुख मायावती ने हाल ही में कहा है कि वह उस पार्टी के साथ गठबंधन करेंगे जो वोट ट्रांसफर करा सके और कांग्रेस इसी के लिए बसपा के साथ गठबंधन करने की कोशिश कर रही है।’इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता हिलाल अहमद नकवी ने कहा कि पैदल मार्च के दौरान वरिष्ठ पदाधिकारी सहारनपुर में लकड़ी के कारीगरों और व्यापारियों, मुजफ्फरनगर में गुड़ व्यापारियों, बिजनौर और अमरोहा में गन्ना किसानों, मुरादाबाद में पीतल विक्रेताओं और बरेली में बांस उद्योग से बातचीत करेंगे। लखीमपुर खीरी में थारू जनजाति के लोगों के साथ सभा करेंगे।
उन्होंने कहा, ”हम संबंधित व्यापारियों के साथ मिलकर उनके मुद्दों पर बात करेंगे और उनके समाधान को लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में पिछले कई वर्षों में मुसलमानों ने ज्यादातर समाजवादी पार्टी (सपा) को वोट दिया है। यह 2022 के विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों में स्पष्ट था।
हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व को एहसास है कि पार्टी 2024 के चुनावों में अपने संदेश के साथ बढ़त हासिल कर सकती है कि “केवल कांग्रेस ही राष्ट्रीय मंच पर भाजपा को हराने के लिए काम कर सकती है, सपा एक क्षेत्रीय पार्टी है।’’
2022 के विधानसभा चुनावों में 403 सदस्यीय सदन में 111 एसपी विधायक चुने गए, जिनमें से 32 मुस्लिम चेहरे थे। 2019 के लोकसभा चुनावों में, राज्य की 80 सीटों में से एसपी ने जो पांच सीटें जीतीं, उनमें से तीन मुस्लिम उम्मीदवारों – आजम खान (रामपुर), एसटी हसन (मुरादाबाद), और शफीकुर रहमान बर्क (संभल) ने जीतीं। अन्य दो सीटें पार्टी संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव (मैनपुरी) और अध्यक्ष अखिलेश यादव (आजमगढ़ – बाद में उपचुनाव में भाजपा से हार गए) ने जीती थीं।
हालांकि ऐसा कहा जाता है कि “समुदाय से संबंधित मुद्दों पर चुप रहने” के कारण कुछ मुसलमानों में एसपी के प्रति नाराजगी बढ़ गई है। एसपी के आलोचक भी “यूपी के सबसे बड़े मुस्लिम नेता आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ गलत कार्रवाई” को इस बात का सबूत बताते हैं कि पार्टी “मुस्लिम मुद्दों” पर पर्याप्त बात नहीं करती है। कई लोगों को “मजबूत प्रतिक्रिया” की उम्मीद थी भले ही अखिलेश ने आजम परिवार के पक्ष में बात की थी। (साभार: न्यूज़click)