दिल्ली चुनाव के प्रचार का अंतिम दिन आ चुका है, किसके पक्ष में माहौल है, कौन जीतने वाला है, यह जानना हर कोई चाहता है। अब असल जनादेश तो 8 फरवरी को आएगा जब ईवीएम खुलेंगी, कुछ vipसीटो का हाल जानते हैं
***सीट: नई दिल्ली
उम्मीदवार: अरविंद केजरीवाल (AAP), परवेश वर्मा (बीजेपी), संदीप दीक्षित (कांग्रेस)
नई दिल्ली सीट पर इस बार माहौल एकतरफ दिखाई नहीं देता है। जनसत्ता की टीम जब ग्राउंड पर उतरी थी, वो कई इलाकों में गई, वाल्मीकि बस्ती का रुख भी किया, इस बार लोगों के सुर कुछ बदले हुए हैं। अरविंद केजरीवाल का चेहरा तो पसंद आ रहा है, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार के कामकाज को लेकर नाराजगी है। कुछ लोगों ने कहा कि अरविंद केजरीवाल अपने इलाके में दिखते भी नहीं हैं, यहां तक कहा गया है कि पिछली बार के मुकाबले फिजा थोड़ी खराब है।
कुछ वोटरों ने बातचीत में इस बात को भी स्वीकार किया कि महिला का वोट अरविंद केजरीवाल को मिल रहा है और उस वजह से वे फिर सत्ता वापसी कर सकते हैं। लेकिन महिला वोटर साथ दिख रहा है तो बुजुर्गों में गुस्सा है, नई दिल्ली सीट पर पता चला कि 60 साल से ज्यादा वाले कई लोगों को पेंशन नहीं मिल रही है, काफी समय से रुकी हुई है। सड़कों पर गड्डे भी लोगों को इस बार आक्रोशित कर रहे हैं।
लेकिन सबसे बड़ी खबर नई दिल्ली की वाल्मीकि बस्ती से मिली। जानकारी मिली कि वाल्मीकि बस्ती में कुछ दिन पहले एक कैंप लगा था। उस कैंप के जरिए इलाके की कई महिलाओं को 1100 रुपये दिए गए। उन्हीं लोगों ने बातचीत में बताया कि प्रवेश वर्मा ने यह पैसे बंटवाए हैं। हैरानी की बात यह रही कि ऑन कैमरा महिलाओं ने इस बात को स्वीकार किया कि हां उन्हें पैसे दिए गए हैं और यह बोलकर दिए गए वोट देना पड़ेगा
**सीट: कालकाजी
उम्मीदवार: आतिशी (AAP), रमेश बिधूड़ी (बीजेपी), अल्का लांबा (कांग्रेस)
चुनाव में इस बार कालकाजी सीट काफी हाई प्रोफाइल मानी जा रही है। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी यहां से दूसरी बार ताल ठोक रही हैं, बीजेपी ने रमेश बिधूड़ी को उतार रखा है और कांग्रेस ने अल्का लांबा पर भरोसा जताया है। इस सीट पर आतिशी के खिलाफ गुस्सा भी है और कई लोग तारीफ भी कर रहे हैं। जनसत्ता ने जब कालकाजी का रुख किया था, सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर थी कि DDA ने कई गरीबों की दुकान तोड़ रखी थी, वे जमीन पर ही रहने को मजबूर दिखे।
अब लोग इस बात को लेकर कन्फ्यूज थे कि जिम्मेदार आप सरकार को माना जाए या मोदी सरकार को। लेकिन गोविंदपुरी जैसे इलाकों में जरूर साफ दिखा कि पतली सड़कें, तारों के जाल से लोग त्रस्त थे और पूरी तरह केजरीवाल को दोषी मान रहे थे। कुछ ऐसे वोटर भी सामने आए जो अरविंद केजरीवाल के नाम पर आतिशी को दोबारा मौका देना चाहते थे।
***सीट: जंगपुरा
उम्मीदवार: मनीष सिसोदिया (AAP), तजिंदर सिंह मारवाह (बीजेपी), फरहाद सूरी (कांग्रेस)
दिल्ली की जंगपुरा सीट इस बार हाई प्रोफाइल इसलिए बन गई है क्योंकि मनीष सिसोदिया पटपड़गंज छोड़ यहां से चुनावी ताल ठोक रहे हैं। आम आदमी पार्टी के जो वर्तमान विधायक हैं प्रवीण कुमार, उनके खिलाफ जबरदस्त नाराजगी देखने को मिली। जंगपुरा में, एक बात प्रमुखता से सामने आई- प्रवीण कुमार ने काम नहीं किया। लोग सिसोदिया से नाराज नहीं थे, लोग केजरीवाल से ज्यादा सवाल नहीं उठा रहे थे, लेकिन प्रवीण कुमार ने काम नहीं किया, यह बात उनके मन में घर कर चुकी थी।जंगपुरा में भी टूटी सड़कें और तारों का जाल एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन उससे भी बड़ा मुद्दा गंदे पानी का है। कई महिलाओं ने बताया कि टॉयलेट का पानी उनकी पाइपलाइन में आ रहा है, नेताओं ने ही जंगपुरा को जंग लगाने का काम कर दिया है। बीजेपी के तजिंदर सिंह मारवाह के पक्ष में भी माहौल देखने को मिला। कई लोग सामने आए जिनके मुताबिक मारवाह स्थानीय हैं, यहां के मुद्दे जानते हैं और कांग्रेस में रहते हुए भी काफी काम किया है। सिसोदिया के सामने एक चुनौती यह भी दिखाई दे रही है कि उन्हें कई वोटर ‘बाहरी’ बता रहे हैं
दिल्ली की सीलमपुर सीट मुस्लिम बाहुल मानी जाती है, यहां पर मुस्लिमों का जनादेश ही सीट की तकदीर भी तय करता है। इस सीट से एक बार भी बीजेपी नहीं जीत पाई है। इस बार भी जब जनसत्ता की टीम ग्राउंड पर उतरी तो माहौल पूरी तरह आम आदमी पार्टी के पक्ष में दिखाई पड़ा। यहां पर लोग ना केजरीवाल का नाम ले रहे थे ना ही किसी प्रत्याशी का, शब्द चल रहा था ‘झाड़ू’
यहां पर सभी दुकानदारों की एक शिकायत थी- सड़क पर अपनी ठेली लगाने नहीं दी जा रही, पुलिस सामने से वसूली करती है, लेकिन उसके बार भी मारपीट होती है। यह बात पूरे सीलमपुर इलाके में देखने को मिली, जहां कैमरा गया, वहां लोगों में गुस्सा। लेकिन फिर भी वोट केजरीवाल के लिए दिख रहा था, थोड़ा समर्थन कांग्रेस को मिल रहा था, बीजेपी का जिक्र काफी कम हुआ
साभार: जनसत्ता