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विभाजित जमीयत उलेमा ए हिंद के एक होने की प्रक्रिया तेज, महमूद मदनी की अध्यक्षता में कई अहम फैसले ।

RK News by RK News
July 23, 2022
Reading Time: 1 min read
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विभाजित जमीयत उलेमा ए हिंद के एक होने की प्रक्रिया तेज, महमूद मदनी की अध्यक्षता में कई अहम फैसले ।

देवबंद ( समीर चौधरी): जमीयत उलमा ए हिंद का दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी सम्मेलन मौलाना महमूद असद मदनी, अध्यक्ष , जमीयत उलमा ए हिंद की अध्यक्षता में मुफ्ती किफायतुल्लाह हाल, आईटीओ, नई दिल्ली में आयोजित हुआ। जिसमें जमीअत उलमा ए हिंद में सुलह प्रक्रिया के अलावा सांप्रदायिकता की परिस्थितियों, हेट क्राइम के विरुद्ध, संविधान की सुरक्षा और राष्ट्र और देशवासियों के समक्ष आने वाली विभिन्न मुख्य समस्याओं पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया।

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पिछली कार्रवाई को जमीअत उलमा ए हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी ने पढ़कर सुनाया। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिंद मौलाना महमूद मदनी ने देश की वर्तमान स्थिति पर चिंता प्रकट की और कहा कि स्थिति को अच्छा करने के लिए हर तरह के प्रयासों की आवश्यकता है।

जमीयत उलमा ए हिंद इस संबंध में संवैधानिक, सामाजिक संघर्ष के अतिरिक्त अंतरधार्मिक एकता प्रोग्राम का आयोजन कर रही है। इसके अलावा हेट क्राइम के समापन के लिए विधिवत एक विभाग स्थापित किया है लेकिन इसके साथ यह विशेष है कि देश के सत्ताधारी किस तरह की नीति पर चल रहे हैं । इसको ठीक किए बिना परिस्थितियों में सुधार होना अत्यधिक कठिन है।

मौलाना मदनी ने इस अवसर पर पिछड़े वर्गों की समस्याओं के समाधान करने के प्रयासों को समय की बड़ी आवश्यकता बताया । आज के सम्मेलन में विशेष रूप से जमीयत में चल रही आपसी सुलह प्रक्रिया से संबंधित लंबी चर्चा के बाद, एकमत होकर निम्नलिखित प्रस्ताव स्वीकृत हुए,

जमीअत उलमा ए हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी आपसी एकता को अच्छी दृष्टि से देखती है और इसको जारी रखने पर सहमति प्रकट करती है और इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद हज़रत मौलाना महमूद असद मदनी को संवैधानिक तौर पर, किसी उचित समाधान के लिए बातचीत का पूर्ण अधिकार देती है, इसके अलावा यह आवश्यक समझती है कि इस संबंध में पक्षकार सिर्फ़ बातचीत ही न करें बल्कि मिलजुल कर प्रस्ताव और लिखित रूप में प्रस्तुत करें।

इसके अतिरिक्त आपसी सुलह प्रक्रिया के प्रयासो को प्रबलता देने और परिणाम तक पहुंचाने के लिए सभी संबंधित कार्यकारिणी सदस्य ,आमंत्रित विशेष सदस्य, राज्य अध्यक्ष और महासचिवों की तरफ से अपने-अपने पदों और सदस्यता से अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद, मौलाना महमूद असद मदनी की सेवा में त्याग पत्र पेश करने का प्रस्ताव भी स्वीकृत किया गया।

सांप्रदायिक स्थितियों पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि घृणास्पद धार्मिक विद्वेष और धार्मिक मामलों के अपमान को जिस तरह राजनीतिक नेताओं, धार्मिक नेताओं और मीडिया के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है वह देश के लिए बहुत ही अधिक हानिकारक और राष्ट्र व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अत्यधिक बदनामी का कारण है। विशेषकर सत्ताधारी पार्टी और उससे जुड़े राजनीतिक नेताओं यहां तक कि संसद सदस्यों , विधानसभा सदस्यों के विवादास्पद भाषणों पर तुरंत रोक लगाए जाना आवश्यक है क्योंकि वह समाज के बहुत बड़े वर्ग को प्रभावित करते हैं। इन परिस्थितियों के सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तहसीन पूनावाला केस (2018 ) में गाइडलाइन जारी की थी लेकिन बड़ा दुखद है कि सरकारों ने इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया। अंततः 21 जुलाई 2022 को अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिंद की प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से इस संबंध में किए गए कार्यों की रिपोर्ट मांगी है ।

यह सम्मेलन देश की वर्तमान स्थितियों के दृष्टिगत अध्यक्ष जमीयत उलमा ए हिंद के इस संवैधानिक कदम को समयानुसार और आवश्यक मानता है और आशा व्यक्त करता है कि सुप्रीम कोर्ट सांप्रदायिकता पर नकेल कसने के लिए प्रभावी निर्देश जारी करे, इसके दृष्टिगत यह सम्मेलन भारत सरकार से विशेष मांग करता है कि सांप्रदायिक घृणा और दंगों और इस पर विवाद के सिलसिले को बंद किया जाए और हिंसा को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के प्रकाश में प्रभावी कानून बनाकर इस पर कार्यवाही को विश्वसनीय और सुनिश्चित बनाया जाए। इसके अलावा बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच विश्वास के वातावरण को बहाल किया जाए ।

इस अवसर पर जमीयत उलमा ए हिंद, अपनी सारी शाखाओं का ध्यान आकर्षित करती है कि वह प्रबंध राष्ट्रीय प्रबंध कमेटी के सम्मेलन दिनांक 28 ,29 मई 2022 के प्रस्ताव के प्रकाश में सद्भावना संसद का आयोजन करें जिसमें सभी धर्मों के प्रभावी मुख्य लोगों को जमा करें और जमीयत सद्भावना मंच के अंतर्गत सद्भावना कमेटी स्थापित करें।

एक मूलभूत निर्णय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सारे राज्यों के पदाधिकारीगणों व ज़िले के मुख्य पदाधिकारियों को प्रतिबंधित किया कि वह ज़िला स्तर पर सदस्यों के लिए प्रशिक्षण प्रोग्राम का आयोजन करें । जिसमें शिक्षण संस्थाओं की स्थापना , जमीयत के दूसरे प्रगति प्रोग्राम जैसे तफसीर कुरान, बयान सीरत, समाज सुधार इत्यादि का आयोजन किया जाए।

एजेंडा नंबर 5 के तहत जमीअत उलमा ए हिंद के तहत चल रहे अदालती कार्रवाइयों के आंकलन से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी एडवोकेट ने प्रस्तुत की।

एक महत्वपूर्ण निर्णय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने निर्धारित किया कि पिछड़े वर्गों की संस्थाओं के मुख्य पदाधिकारियों से आपसी बैठक की जाए और उनकी समस्याओं को सुनकर समाधान कराने के प्रयास किए जाएं ।

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