नई दिल्ली, 25 मार्च। “रमजान बदलाव का महीना है। रमजान का वास्तविक उद्देश्य मुसलमानों के व्यक्तिगत जीवन और सामूहिक मामलों में व्यापक सकारात्मक बदलाव लाना है। इस परिवर्तन का सबसे प्रमुख मीमांसा अल्लाह के प्रति निष्कपट समर्पण एवं प्रेम और उसके साथ मजबूत बंधन है एवं जीवन के सभी पहलुओं में उनकी आज्ञाओं और आदेशों का पूर्ण पालन करना।” ये बातें जमाअत -ए-इस्लामी हिंद के अमीर (अध्यक्ष) सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने मीडिया को जारी अपने बयान में कहीं।
उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू है “तकवा” या हर पल ईश-चेतना और कर्तव्यपूर्ण जीवन जीने के लिए एक दृष्टिकोण विकसित करना। पवित्र क़ुरआन के साथ एक मजबूत बंधन और क़ुरआन की तर्ज पर एक स्वभाव और व्यक्तिगत चरित्र को सोचने, देखने और विकसित करने की क्षमता का पोषण भी इस वांछित परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चौथा मीमांसा क़ुरआन के आदेशों के कार्यान्वयन के लिए इच्छाशक्ति और अनुशासन में वृद्धि है। एक और पहलू है गरीबों और वंचितों के दुख और दर्द को महसूस करना और साझा करना और जरूरतमंदों और बेसहारा लोगों के लिए सहानुभूति और करुणा की भावनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि। एक और विशेषता है कड़ी मेहनत और समय का सही और कुशलता से सदुपयोग कर स्वयं को नियंत्रित करना। यदि यह परिवर्तन अपने पूर्ण अर्थों में होता है, तो व्यक्ति और समाज संपूर्ण मानवता के लिए ज्ञान और करुणा का प्रकाश स्तंभ बन जाता है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम खुद को रोज़ा और रमजान के अन्य इबादतों एवं बाहरी पहलुओं तक ही सीमित न रखें बल्कि रोज़ा के उद्देश्यों और भावनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें और इसे वास्तविक परिवर्तन का महीना बनाएं।