नई दिल्ली:देश को आगे बढ़ाने के लिए नागरिकों का सही मायने में शिक्षित होना बेहद जरूरी है. लेकिन क्या नागरिकों को क्वालिटी एजुकेशन, सिर्फ प्राइवेटाइजेशन और फाइनेंशियल इनसेंटिव के जरिए दी जा सकती है? कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का कहना है कि क्वालिटी एजुकेशन प्राइवेटाइजेशन और फाइनेंशियल इनसेंटिव के जरिए हासिल नहीं की जा सकती है. उन्होंने सरकारों द्वारा शिक्षा पर अधिक खर्च करने और सार्वजनिक संस्थानों को मजबूत करने के महत्व को बताते हुए ये बात कही. आईआईटी मद्रास के छात्रों के साथ हुई बातचीत में लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कई मुद्दों पर बात की, जिसमें शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए वह बदलाव भी शामिल थे, जो कांग्रेस शुरू करना चाहती है.उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में यह बात दोहराई और बताया कि छात्रों के साथ उनकी बातचीत ‘सफलता को नए तरीके से परिभाषित करने और भारत में शिक्षा को फिर से कल्पना करने’ पर केंद्रित थी. उन्होंने कहा,’हमारी बातचीत इस पर केंद्रित थी कि कैसे छात्रों को पारंपरिक करियर से परे जाकर नवाचार अपनाने और अपनी रुचियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए.’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली बच्चों की कल्पनाशीलता को पनपने नहीं देती. राहुल ने आगे कहा,’हमारा एजुकेशन सिस्टम में बहुत सिकुड़ा हुआ है और ऊपर से नीचे की तरफ चलता है.
चार प्रोफेशन की तरफ सोच पाते हैं बच्चे
नेता प्रतिपक्ष ने कहा,’वर्तमान में हमारा शिक्षा ढांचा अकसर युवाओं को कुछ करियर जैसे डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस, या सेना तक सीमित कर देता है.’ राहुल गांधी ने बच्चों को नई चीजों की तरफ प्रेरित करने और प्रोडक्शन क्षेत्र को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि असल में नई चीजें तभी संभव होंगी, जब उत्पादन को प्राथमिकता दी जाए और इस क्षेत्र में निवेश किया जाए.
••कांग्रेस और बीजेपी कैसे अलग?
राहुल गांधी से इस दौरान छात्रों ने पूछा कि कांग्रेस और बीजेपी अपने काम करने के तरीके के मामले में कैसे अलग हैं? इसके जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस और यूपीए आमतौर पर मानते हैं कि संसाधनों को और अधिक निष्पक्ष तरीके से बांटना चाहिए और विकास व्यापक और समावेशी होना चाहिए. उन्होंने कहा, बीजेपी विकास पर अधिक आक्रामक है. वे आर्थिक दृष्टि से ‘ट्रिपल-डाउन’ में विश्वास करते हैं. सामाजिक मोर्चे पर, हम महसूस करते हैं कि समाज जितना अधिक सामंजस्यपूर्ण होगा, जितने कम लोग लड़ेंगे, देश के लिए उतना ही बेहतर होगा. अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मोर्चे पर, अन्य देशों के साथ हमारे संबंध के तरीके में संभवत: कुछ मतभेद हैं, लेकिन यह समान होगा.’ उच्च शिक्षा को कैसे बढ़ावा दिया जाए, इस पर उन्होंने कहा, किसी देश को अपने लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी देने की जरूरत है.