Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

आपातकाल नहीं चाहिए तो फिर कुछ बोलते रहना बेहद ज़रूरी है! ~ श्रवण गर्ग 

RK News by RK News
June 28, 2022
Reading Time: 1 min read
0
आपातकाल नहीं चाहिए तो फिर कुछ बोलते रहना बेहद ज़रूरी है! ~ श्रवण गर्ग 

कुछ पर्यटक स्थलों पर ‘ईको पाइंट्स’ होते हैं जैसी कि मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान माण्डू और सतपुड़ा की रानी के नाम से प्रसिद्ध पचमढ़ी के बारे में लोगों को जानकारी है।पर्यटक इन स्थानों पर जाते हैं और ईको पाइंट पर गाइड द्वारा उन्हें कुछ ज़ोर से बोलने को कहा जाता है।कई बार लोग झिझक जाते हैं कि वे क्या बोलें ! कई बार ज़ोर से बोल नहीं पाते या फिर जो कुछ भी बोलना चाहते हैं ,नहीं बोलते।आसपास खड़े लोग क्या सोचेंगे ,ऐसा विचार मन में आता है।जो हिम्मत कर लेते हैं उन्हें बोले जाने वाला शब्द दूर कहीं चट्टान से टकराकर वापस सुनाई देता है।

RELATED POSTS

असम की सरकार मदरसों के विरोध में क्यों है?

50 सालों तक संघ के हेड क्वार्टर पर तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया, जानिए सबकुछ

एक ही झटके में AMU के पाठ्यक्रम में बदलाव किसके कहने पर हुआ?

पर जो सुनाई देता है वह बोले जाने वाले शब्द का अंतिम सिरा ही होता है।शब्द अपने आने-जाने की यात्रा में खंडित हो जाता है।ईको पाइंट पर बोले जाने वाले शब्द के साथ भी वैसा ही होता है जैसा कि जनता द्वारा सरकारों को दिए जाने वाले टैक्स या समर्थन को लेकर होता है।जनता टैक्स तो पूरा देती है पर उसका दिया हुआ रुपया जब ऊपर टकराकर मदद के रूप में उसी के पास वापस लौटता है तो बारह पैसे रह जाता है।ऐसा तब राजीव गांधी ने कहा था।

बहरहाल, ईको पाइंट पर पहुँचकर कुछ लोग अपने मन में दबा हुआ कोई शब्द बोल ही देते हैं और बाक़ी सब उसके टकराकर लौटने पर कान लगाए रहते हैं।जैसा कि आमतौर पर सड़कों-बाज़ारों में भी होता है। बोलनेवाला यही समझता है कि बोला हुआ शब्द केवल सामने कहीं बहुत दूर स्थित चट्टान या बिंदु को ही सुनाई पड़ने वाला है और वहीं से टकराकर वापस भी लौट रहा है ।यह पूरा सत्य नहीं है।ईको पाइंट के सामने खड़े होकर साहस के साथ बोला गया शब्द उस कथित चट्टान या बिंदु तक सीधे ही नहीं पहुँच जाता।

वह अपनी यात्रा के दौरान एक बड़ी अंधेरी खाई ,छोटी-बड़ी चट्टानों, अनेक ज्ञात-अज्ञात जल स्रोतों,झाड़ियों और वृक्षों ,पशु-पक्षियों यानी कि ब्रह्मांड के हर तरह से परिपूर्ण एक छोटे से अंश को गुंजायमान करता है।ऐसा ही वापस लौटने वाले शब्द के साथ भी होता है।

आज तमाम नागरिक अपने-अपने शासकों ,प्रशासकों और सत्ताओं के ईको पाइंट्स के सामने खड़े हुए हैं।गाइड्स उन्हें बता रहे हैं कि ज़ोर से आवाज़ लगाइए ,आपकी बात मानवीय चट्टानों तक पहुँचेगी भी और लौटकर आएगी भी ,यह बताने के लिए कि बोला हुआ ठीक जगह पहुँच गया है।पर बहुत कम लोग इस तरह के ईको पाइंट्स के सामने खड़े होकर अपने ‘मन की बात’ बोलने की हिम्मत दिखा पाते हैं ।अधिकांश

तो तमाशबीनों की तरह चुपचाप खड़े रहकर सबकुछ देखते और सुनते ही रहते हैं।वे न तो बोले जाने वाले या फिर टकराकर लौटने वाले शब्द के प्रति अपनी कोई प्रतिक्रिया ही व्यक्त करते हैं।वे मानकर ही चलते हैं कि बोला हुआ शब्द गूँगी और निर्मम चट्टानों तक कभी पहुँचेगा ही नहीं।पहुँच भी गया तो क्षत-विक्षत हालत में ही वापस लौटेगा।यह अर्ध सत्य है।

सच तो यह है कि साहस करके कुछ भी बोलते रहना अब बहुत ही ज़रूरी हो गया है।अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम भी चट्टानों की तरह ही क्रूर, निर्मम और बहरे हो जाएँगे।तब हमें भी किसी दूसरे या अपने का ही बोला हुआ कभी सुनाई नहीं पड़ेगा।बोला जाना इसलिए ज़रूरी है कि ईको पाइंट्स और हमारी प्रार्थनाओं के शब्दों को अपनी प्रतिक्रिया के साथ वापस लौटाने वाली चट्टानों के बीच एक बहुत बड़ा सजीव संसार भी उपस्थित है।

यह संसार हर दम प्रतीक्षा में रहता है कि कोई कुछ तो बोले।इस संसार में एक बहुत बड़ी आबादी बसती है जिसमें कई वे असहाय लोग भी होते हैं जिन्हें कि पता ही नहीं है कि कभी कुछ बोला भी जा सकता है ,चट्टानों को भी सुनाया जा सकता है, बोले गए शब्दों की प्रतिध्वनि से संगीत का रोमांच भी उत्पन्न हो सकता है।

वापस लौटने वाला शब्द चाहे जितना भी खंडित हो जाए, यह भी कम नहीं कि वह कहीं जाकर टकरा तो रहा है, वहाँ कोई कम्पन तो पैदा कर रहा है। अगर हम स्वयं ही एक चट्टान बन गए हैं तो फिर शुरुआत कभी-कभी खुद के सामने ही बोलकर भी कर सकते हैं।हमें इस बात की तैयारी भी रखनी होगी कि जब हम बोलने की कोशिश करेंगे,हमें बीच में रोका भी जाएगा।

याद किया जा सकता है कि गुजरे दौर के मशहूर अभिनेता अमोल पालेकर जब पिछले साल फ़रवरी में मुंबई में एक कार्यक्रम में अभिव्यक्ति की आज़ादी को दबाने की कोशिशों की आलोचना कर रहे थे तो किस तरह से उन्हें बीच में ही रोक दिया गया था और उन्हें अपना बोलना बंद करना पड़ा था।आपातकाल की शुरुआत ऐसे ही होती है।उसे रोकने के लिए बोलते रहना ज़रूरी है।

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

असम की सरकार मदरसों के विरोध में क्यों है?
विचार

असम की सरकार मदरसों के विरोध में क्यों है?

August 7, 2022
50 सालों तक संघ के हेड क्वार्टर पर तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया, जानिए सबकुछ
विचार

50 सालों तक संघ के हेड क्वार्टर पर तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया, जानिए सबकुछ

August 6, 2022
एक ही झटके में AMU के पाठ्यक्रम में बदलाव किसके कहने पर हुआ?
विचार

एक ही झटके में AMU के पाठ्यक्रम में बदलाव किसके कहने पर हुआ?

August 6, 2022
अंधेरगर्दी पर सर्वोच्च न्यायालय की मुहर
विचार

अंधेरगर्दी पर सर्वोच्च न्यायालय की मुहर

August 2, 2022
एक नजरिया: हिंदू- मुस्लिम को एक साथ ला सकने वाला ही मोदी को चुनौती दे सकता है
विचार

एक नजरिया: हिंदू- मुस्लिम को एक साथ ला सकने वाला ही मोदी को चुनौती दे सकता है

July 31, 2022
गोदाम’ का होरी अब बीमार नहीं पड़ता! आत्महत्या करता है! 
विचार

गोदाम’ का होरी अब बीमार नहीं पड़ता! आत्महत्या करता है! 

July 31, 2022
Next Post
मोहम्मद जुबैर का पोस्ट “अत्यधिक भड़काऊ” था: पुलिस

मोहम्मद जुबैर का पोस्ट "अत्यधिक भड़काऊ" था: पुलिस

WPI के अध्यक्ष डॉक्टर इलियास और कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया

WPI के अध्यक्ष डॉक्टर इलियास और कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

मैरीकॉम जीत के साथ दूसरे दौर में पहुंचीं

मैरीकॉम जीत के साथ दूसरे दौर में पहुंचीं

July 25, 2021
हमारे फ़ोन टैप किए जा रहे हैं, अखिलेश का सनसनीखेज़ दावा

हमारे फ़ोन टैप किए जा रहे हैं, अखिलेश का सनसनीखेज़ दावा

December 19, 2021
आज से देश भर में सिंगल-यूज-प्लास्टिक पर पाबंदी

आज से देश भर में सिंगल-यूज-प्लास्टिक पर पाबंदी

July 1, 2022

Popular Stories

  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • खबरदार! धंस रहा है नैनीताल, तीन तरफ से पहाड़ियां दरकने की खबर, धरती में समा जाएगा शहर, अगर .…..!

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • तौकीर रजा की कायापलट, योगी को बताया शानदार मुख्यमंत्री। कहा, 2024 में प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • उपराज्यपाल ने अमानतुल्लाह खान के खिलाफ सीबीआई जांच की अनुमति दी

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • 5000 से ज्यादा प्रतिबंधित चाकू ऑनलाइन बेचे गए, दिल्ली पुलिस ने फ्लिपकार्ट से मांगी खरीदारों की डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • भारत की पहली मुस्लिम फीमेल न्यूरोसर्जन बनी डॉ. मरियम अफीफा अंसारी

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • जमाअत इस्लामी हिन्द ने गाजा में इजरायली बर्बरता की निंदा की
  • पैग़ंबरे इस्लाम पर टिप्पणी, सुप्रीम कोर्ट ने एंकर नाविका कुमार को गिरफ्तारी से राहत दी
  • क्या हैं बिहार का नया समीकरण, नीतीश टूटे तो BJP को कितना होगा नुकसान?

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?