कन्हैया कुमार को लेकर कांग्रेस में बड़ी योजना बन रही है। बताया जा रहा है कि उनको दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है या यूथ कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास की उम्र 42 साल हो गई है और अध्यक्ष के नाते वे करीब चार साल से काम कर रहे हैं। इसलिए उनकी जगह नया अध्यक्ष बनना है। श्रीनिवास को मल्लिकार्जुन खड़गे की केंद्रीय टीम में जगह मिल सकती है। वे जितने सक्रिय हैं और उनकी जैसी लोकप्रियता है उसे देखते हुए उनको किसी राज्य का प्रभारी महासचिव बनाया जा सकता है। लेकिन कांग्रेस के कई नेता मान रहे हैं कि उनकी जगह कन्हैया को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना ज्यादा कारगर नहीं होगा।
कन्हैया दिल्ली में बतौर प्रदेश अध्यक्ष ज्यादा कारगर हो सकते हैं। ध्यान रहे भारतीय जनता पार्टी पिछले कई बरसों से दिल्ली में प्रवासी वोट अपनी तरफ करने का प्रयास कर रही है लेकिन कामयाबी नहीं मिली है। बिहार के रहने वाले मनोज तिवारी और उत्तर प्रदेश के सतीश उपाध्याय को भाजपा ने दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। अब थक हार कर भाजपा अपने पुराने पंजाबी और वैश्य की राजनीति पर लौटी है। उसने वीरेंद्र सचदेवा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। इस लिहाज से भी कांग्रेस के लिए मौका है कि वह पूर्वांचल के किसी व्यक्ति को पार्टी की कमान सौंपे। कन्हैया इस पैमाने पर फिट बैठते हैं।
वे बिहार के हैं, दिल्ली में रहे हैं और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़े हैं, अच्छे वक्ता हैं और कम्युनिस्ट पार्टी में रह कर संगठन का प्रशिक्षण लिया है। इसलिए वे कांग्रेस के काम आ सकते हैं। आखिर उत्तर प्रदेश की शीला दीक्षित ने दिल्ली में कांग्रेस के पैर जमाने में मदद की थी। उनकी वजह से पूर्वांचल का वोट कांग्रेस से जुड़ा था। कन्हैया बिल्कुल वैसा कर पाएंगे या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन इतना जरूर है कि उनको अगर कांग्रेस दिल्ली प्रदेश का प्रभार देती है तो वे प्रवासी वोट में असर बना देंगे। उससे कांग्रेस की हवा भी बन सकती है।
मुश्किल यह है कि वे शीला दीक्षित की तरह पारंपरिक रूप से कांग्रेसी नहीं हैं और इस वजह से दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेताओं को उनके साथ काम करने में दिक्कत आएगी। दिल्ली में कांग्रेस के पास युवा नेता कम बचे हैं और ज्यादातर नेता पुराने हैं। मध्य प्रदेश के प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल से लेकर अजय माकन तक और मंगतराम सिंघल, किरण वालिया से लेकर संदीप दीक्षित तक सब सांसद, विधायक और मंत्री रह चुके हैं। दूसरी ओर कन्हैया सिर्फ एक बार चुनाव लड़े हैं। उनके साथ काम करने में पुराने नेता असहज महसूस करेंगे। तभी यह लॉबिंग शुरू हो गई है कि वे युवा हैं इसलिए उनको यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के नेता यह तर्क भी दे रहे हैं कि प्रवासी वोट आम आदमी पार्टी की ओर गया है और आप सरकार ने जैसी योजनाएं शुरू की हैं उसे देखते हुए प्रवासी वोट की कांग्रेस में वापसी मुश्किल होगी।