नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के लुलु मॉल में नमाज़ पढ़े जाने का वीडियो सामने आने के बाद विवाद बढ़ गया है. गुरुवार को मॉल के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे एक हिंदुवादी संगठन ने मॉल पर बुलडोज़र चलाने की मांग की.
अंग्रेज़ी अख़बार द टेलिग्राफ़ ने सुर्खी लगाई है – “लुलु मॉल में, नफ़रत की राजनीति में घिरे योगी आदित्यनाथ.”
अख़बार लिखता है कि योगी आदित्यनाथ ने इस मॉल का उद्घाटन किया था लेकिन अब वो खुद इसे लेकर निशाने पर आ गए हैं. उपद्रवियों पर बुलडोज़र चलाने की बात करने वाले सीएम से अब हिंदुवादी संगठन लुलु मॉल पर बुलडोज़र चलाने की मांग कर रहे हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने चार दिन पहले इस मॉल का उद्घाटन किया था. इसे लखनऊ का सबसे बड़ा मॉल बताया जा रहा है.
लेकिन, इस मॉल में नमाज पढ़े जाने का एक वीडियो सामने आने के बाद ये विवादों में आ गया. अखिल भारत हिंदू महासभा नाम के एक हिंदुवादी संगठन ने इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. उन्हें सीएम से मॉल में इस्लाम को बढ़ावा दिए जाने के आरोप की जांच करने की मांग की.लुलु मॉल केरल के कारोबारी एम.ए. यूसुफ़अली का है जो लुलु ग्रुप के प्रमुख हैं. यूसुफ़अली ने केरल में भी देश के दो सबसे बढ़े मॉल बनाए हैं.
यूसुफ़अली ने यूपी में 2500 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव दिया था और उन्हें 4 जून को लखनऊ में आयोजित इंवेस्टर समिट में बुलाया गया था.
प्रदर्शनकारी संगठन के प्रवक्ता शिशिर चुतर्वेदी ने मॉल के बाहर मीडिया से कहा, ”हमें पता चला है कि बुधवार को मॉल के सार्वजनिक इलाक़े में नमाज पढ़ी गई है. अगर ऐसा है तो हम वहां सुंदर कांड और हनुमान चालीसा पढ़ना चाहते हैं.”
उन्होंने आरोप लगाया, ”हमें ये भी पता चला है कि मॉल के 70 प्रतिशत कर्मचारी मुसलमान और 30 प्रतिशत हिंदू हैं. मॉल मुसलमानों और इस्लाम को बढ़ावा दे रहा है.”
हालांकि, नमाज को लेकर विवाद बढ़।
हालांकि, नमाज को लेकर विवाद बढ़ने के बाद इसे लेकर एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है. हिंदी अख़बार हिंदुस्तान लिखता है कि सुशांत गोल्फ सिटी थाने में ये शिकायत दर्ज हुई है.
लुलु मॉल मैनेजमेंट की तरफ़ से ही पुलिस को तहरीर दी गई है कि वायरल वीडियो में दिख रहे नमाज पढ़ते हुए लोगों से उनका कोई संबंध नहीं है. वह मॉल के कर्मचारी भी नहीं हैं.
अख़बार के अनुसार लुलु मॉल के उद्घाटन के बाद से ही योगी आदित्यनाथ इसे लेकर दक्षिणपंथी संगठनों की आलोचना का सामना कर रहे हैं. एक मुसलमान कारोबारी और विशेषतौर पर अधिकतर मुसलमानों को नौकरी देने वाले कारोबीर का मॉल होने के चलते वो निशाने पर हैं.