एक जुलाई, 2022 को ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित रंजन ने अपने शो डीएनए में रात 9 बजे एक फर्जी खबर दिखाई. खबर में एंकर ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के एक बयान को राजस्थान के उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या से जोड़कर दिखाया. जबकि राहुल गांधी केरल में सीपीएम के छात्रों द्वारा उनके ऑफिस में की गई तोड़फोड़ पर बात कर रहे थे.
शो के कुछ देर बाद ही रात के करीब 10:45 पर बीजेपी नेता और पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन राठौर ने राहुल का वही वीडियो ट्वीट कर दिया.
राठौर के वीडियो को अन्य बीजेपी नेता भी शेयर करने लगे और शो के एंकर की तारीफ की. तारीफ वाले ट्वीट्स को एंकर ने भी अपने ट्वीटर हैंडल से रिट्वीट किया. कांग्रेस पार्टी को कवर करने वाले एक पत्रकार कहते हैं, “मैंने यह वीडियो शेयर होता देख तुरंत कांग्रेस पार्टी के मीडिया साथियों को बताया. जिसके बाद उन्होंने रात में ही वायनाड में दिए गए असली बयान को शेयर करना शुरू कर दिया.”
राठौर के ट्वीट को अभी एक घंटा भी नहीं हुआ था कि कांग्रेस पार्टी की नई सोशल और डिजिटल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने रात में करीब 11:38 पर राठौर के ट्वीट का जवाब देते हुए उन्हें ट्वीट डिलीट करने को कहा. श्रीनेत ने लिखा कि “कभी जो वर्दी पहनी उसकी इज़्ज़त रखिए”.
थोड़ी ही देर बाद कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने भी राठौर के ट्वीट पर पलटवार किया. दोनों नेताओं के त्वरित हमले के बाद कांग्रेस सोशल मीडिया के लोगों ने राहुल गांधी के असली बयान से सोशल मीडिया को पाट दिया. हमले से सुरक्षात्मक हुए राज्यवर्धन राठौर ने 11:50 पर अपना फेक न्यूज़ वाला ट्वीट डिलीट कर दिया.
न सिर्फ बीजेपी नेता ने ट्वीट डिलीट किया, बल्कि ज़ी न्यूज़ ने शो में हुई गलती को लेकर माफी भी मांगी. खुद एंकर रोहित रंजन ने और एक अन्य एंकर ने माफीनामा प्रसारित किया. इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी ने करीब छह राज्यों में रोहित और बीजेपी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कराया. साथ ही पांच जुलाई को छत्तीसगढ़ पुलिस रोहित रंजन को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंच गई.
कांग्रेस पार्टी की जवाबी कार्रवाई से पार्टी के नेता और पत्रकार सभी हैरान थे. यह सब कांग्रेस पार्टी की नई संचार और मीडिया टीम बनने के बाद हुआ. 15 मई, 2022 को उदयपुर में नव संकल्प शिविर के एक महीने बाद 16 जून को कांग्रेस पार्टी ने सांसद जयराम रमेश को सोशल मीडिया और डिजिटल विंग सहित संचार, प्रचार और मीडिया का प्रभारी एआईसीसी महासचिव नियुक्त किया. जो पहले रणदीप सुरजेवाला देखते थे.
जयराम रमेश के साथ पवन खेड़ा को मीडिया और प्रचार विभाग का प्रमुख और सुप्रिया श्रीनेत को सोशल और डिजिटल मीडिया प्रमुख नियुक्त किया गया. इसके साथ ही तीन नए सचिव भी बनाए गए. विनीत पुनिया को पार्टी का राष्ट्रीय सचिव एवं पार्टी में आंतरिक संचार मामलों का प्रभारी और वैभव वालिया को संचार विभाग में सचिव नियुक्त किया है. अमिताभ दुबे को संचार विभाग में रीसर्च विंग का प्रभारी बनाया गया है.
विनीत पुनिया न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “नवसंकल्प शिविर में संचार और मीडिया विभाग में बदलाव की बात कही गई थी. उसी को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया को अब संचार विभाग से जोड़ा गया है और रीसर्च विंग का गठन किया गया है. साथ ही अब से सभी प्रदेशों की संचार और मीडिया टीम केंद्रीय टीम को रिपोर्ट करेगी.”
छवि सुधारने और अपनी बात पहुंचाने की कोशिश
यह बात बीते कई सालों में बारंबार कही जाती रही है कि भारतीय जनता पार्टी ने मीडिया और कम्युनिकेशन के मामले में बाकी सभी दलों को मीलों पीछे छोड़ दिया है. भाजपा की सियासी सफलता में उसकी प्रभावी मीडिया रणनीति की बड़ी भूमिका रही है. इस जरूरत को कांग्रेस पार्टी ने थोड़ा देर से समझा. इसलिए संचार और मीडिया टीम में बदलाव लंबे समय बाद किया गया है. करीब सात साल रणदीप सुरेजवाला इस पद पर रहे. इस दौरान पार्टी को लोकसभा चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा. इसके अलावा सोशल मीडिया के मंचों पर भी कांग्रेस पार्टी भाजपा की आक्रामक तेवरों के आगे कमजोर दिखी.
कांग्रेस पार्टी में ज्यादातर पदों पर नियुक्ति तीन साल के लिए होती है. लेकिन सुरेजवाला इस पद पर करीब सात साल रहे. हालांकि उन्होंने इस दौरान कई बार पद छोड़ने का प्रस्ताव भी दिया, लेकिन पार्टी ने स्वीकार नहीं किया. संचार प्रमुख के पद के लिए पहले मनीष तिवारी का भी नाम आया था क्योंकि उनके मीडिया से अच्छे संबंध हैं, लेकिन बाद में उनका विरोधी स्वर उजागर होने के कारण पार्टी ने उनसे दूरी बना ली. इसकी एक वजह उनका ग्रुप-23 से जुड़ा होना भी है.
वरिष्ठ पत्रकार और कांग्रेस पार्टी पर कई किताबें लिख चुके रसीद किदवई कहते हैं, “किसी भी पार्टी की हार पर उसके कारणों की समीक्षा होती है. कांग्रेस के अंदर और बाहर सभी जगह यह कहा गया कि कांग्रेस अपनी बात जनता तक पुरजोर तरीके से नहीं पहुंचा पा रही है. इसके बावजूद कांग्रेस के मीडिया और संचार टीम में लंबे समय तक कोई बदलाव नहीं किया गया.”
वह आगे कहते हैं, “एक तरफ कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है. नेता बोल रहे है कि हम अपनी बात नहीं पहुंचा पा रहे है लेकिन पार्टी लगातार पुराने ढर्रे पर ही काम कर रही है. इससे पार्टी की कथनी और करनी में विरोधाभास नजर आता है.”
जयराम रमेश की नियुक्ति के बाद से पार्टी का संचार विभाग काफी सजग और सक्रिय हो गया है. पार्टी उन तमाम मुद्दों पर तुंरत जवाब दे रही है जिससे सरकार को घेरा जा सके. साथ ही जवाब देने के अलावा वह हर दिन भाजपा को साधने के लिए अलग-अलग मुद्दों पर रोजाना प्रेस कॉन्फ्रेस भी कर रही है.
कांग्रेस बीट कवर करने वाले पत्रकार आदेश रावल कहते हैं, “कांग्रेस पार्टी को लगता है राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की इमेज को खराब करने में मीडिया का सबसे ज्यादा योगदान है. यह बात काफी हद तक सही भी है. लेकिन उन्होंने शुरुआत में फेक न्यूज़ पर रिएक्ट ही नहीं किया. अब हम देख रहे हैं कि अमन चोपड़ा और रोहित रंजन के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो रही है. इन कार्रवाइयों से कांग्रेस एग्रेसिव दिखने की कोशिश कर रही है.”
पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई और फेक न्यूज़ से निपटने के सवाल पर पवन खेड़ा कहते हैं, “हमारे कार्यकर्ता हमसे उम्मीद करते हैं कि हम बेसिर-पैर की फेक न्यूज़ चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें. आगे से हम इस तरह की ख़बर चलाने वालों को जरूर जवाब देंगे.”
कांग्रेस मीडिया टीम के एक सदस्य कहते हैं, “अब पार्टी का जवाब देने का तरीका बदल गया है. आपको वह बदलाव हमारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिख जाएगा. साथ ही हम पार्टी के खिलाफ फेक न्यूज़ चलाने वालों पर भी नज़र रख रहे हैं और उन्हें तुंरत जवाब दे रहे है. नई टीम के गठन के बाद अब हमारा काम ज्यादा तालमेल और संगठित तरीके से हो रहा है.”
न सिर्फ पार्टी के नेता अपनी संचार और मीडिया टीम से खुश नज़र आ रहे है बल्कि कई पत्रकार भी इस बदलाव को खुले या दबे स्वर में स्वीकर करते हैं. वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने ट्वीट कर कहा कि, कांग्रेस पार्टी की मुखरता पिछले दिनों में बढ़ी है. नेताओं की सक्रियता पार्टी को मायूसी से बाहर ला रही है और गोदी-एंकरों की माफ़ी-मुद्रा अनायास नहीं है.
हालांकि उन्होंने अपने अगले ट्वीट में यह भी लिखा कि कांग्रेस में जोश ठंडा भी जल्दी होता है.
एक राष्ट्रीय चैनल के पत्रकार न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “नई दुल्हन भी शादी के बाद कुछ दिन बहुत फुर्ती के साथ काम करती है. अब देखना होगा की कांग्रेस पार्टी दुल्हन की तरह कितने दिन तीखे तेवर में जवाब देती रहेगी.“
दरअसल यही बड़ी चुनौती है. इस चुनौती की राह में एक बड़ी भूमिका वित्तीय संसाधनों की भी है. भाजपा की आक्रामक और प्रभावी मीडिया रणनीति के पीछे उसके द्वारा झोंका गया मोटा पैसा भी है. कांग्रेस मीडिया टीम के एक बड़े नेता कहते हैं, “हमारी सबसे बड़ी चुनौती है पैसा. हमारी टीम के पास काम करने वालों के लिए अलग से कोई फंड नहीं है. जो लोग कांग्रेस पार्टी के पेरोल पर हैं बस उतना ही हमारा बजट है. हमारी टीम आर्थिक मोर्चे पर भाजपा के मुकाबले बहुत पीछे है.”
लिहाजा ताज़ा-ताज़ा जोश के जल्द ही ठंडा पड़ जाने की आशंकाएं जताई जा रही हैं.
पार्टी की नई रणनीति
कांग्रेस पार्टी को यह समझने में लंबा वक्त लगा कि मीडिया कंट्रोल और सोशल मीडिया के गेम में वह बीजेपी से बहुत पीछे है. जिस तरह से मीडिया का कंटेंट ज्यादातर समय विपक्ष को घेरने वाला और सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने वाला होता है ऐसे माहौल में कांग्रेस को अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए कई संसाधनों की जरूरत है.
मुख्यधारा की मीडिया द्वारा पार्टी के खिलाफ गलत खबर दिखाने और सत्ताधारी नेताओं के बयानों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने से परेशान होकर पार्टी ने अप्रैल 2021 में अपना न्यूज़ चैनल आईएनसी टीवी शुरू किया था. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी यूट्यूब पर चैनल के सिर्फ 20.3 हजार सब्सक्राइबर्स है. चैनल शुरू करने के समय पत्रकार पल्लवी घोष ने अपने एक लेख में लिखा था कि राहुल गांधी के खास माने जाने वाले लोग इस टीवी की लॉन्चिंग के पीछे हैं और वह पार्टी में इस चैनल के माध्यम से अपनी पोजीशन को और मजबूत करना चाहते हैं.
न सिर्फ नेताओं की महत्वाकांक्षाओं ने पार्टी को कमजोर किया बल्कि शीर्ष नेतृत्व ने भी मीडिया पर उतना ध्यान नहीं दिया. पार्टी ने अब सोशल, डिजिटल मीडिया पर अधिक काम करना शुरू कर दिया है. साथ ही पार्टी के प्रवक्ता सोशल मीडिया के माध्यम से हर दिन लोगों तक अपनी बात पंहुचा रहे हैं.
पवन खेड़ा कहते हैं, “हम सोशल मीडिया के जरिए हर दिन अपनी बात करोड़ों लोगों तक पहुंचा रहे हैं. राजनीति में संवाद बहुत जरूरी है इसलिए हम हर दिन भाजपा सरकार की नाकामियों को उजागर कर रहे हैं.”
वह आगे कहते हैं, “मीडिया द्वारा बीजेपी और नरेंद्र मोदी की आर्टिफीशियल इमेज बनाई गई है. जिसको हम हर दिन काउंटर कर रहे हैं. अब हम रिएक्टिव और प्रोएक्टिव संवाद पर ज़ोर दे रहे हैं.”
एक तरफ जहां कांग्रेस के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर पार्टी की बात प्रमुखता से रख रहे हैं, वहीं जयराम रमेश पार्टी की छवि को सुधारने के लिए विभिन्न चैनलों के संपादकों से लगातार मुलाकात भी कर रहे हैं. संपादकों के साथ मुलाकात को पार्टी के कई नेताओं और पत्रकारों ने पुष्टि की है.
एक पत्रकार कहते हैं, “जयराम रमेश और विनीत पुनिया अलग-अलग चैनलों के संपादकों के साथ बैठक कर रहे हैं. उम्मीद हैं इस बैठक का कुछ परिणाम टीवी चैनलों पर देखने को मिलेंगे.”
खेड़ा कहते हैं, “ऐसी बैठके पहले भी होती रही हैं. हमने चैनलों से बैठक में फेक न्यूज़ न दिखाने और समाज को बांटने वाले कंटेंट से परहेज करने की बात कही है.”
ज़ी न्यूज़ के खिलाफ कार्रवाई के कुछ दिनों बाद पवन खेड़ा ने एक ट्वीट किया जिसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. उन्होंने लिखा, “हर एक दिन, हर शब्द जो आप कह रहे हैं, हर खेल जो आप खेल रहे है, हम आपको देख रहे हैं”
कांग्रेस पार्टी की नई रणनीति के अनुसार पार्टी या उसके नेताओं के खिलाफ फेक न्यूज़ चलाने वालों पर अब जवाब देने के अलावा कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. पार्टी के प्रवक्ताओं को हर विषय पर पार्टी का पक्ष रखने के लिए शोध टीम रिसर्च करके देगी. साथ ही यह टीम चैनलों की निगरानी भी कर रही है.
इस समय कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं की जो सूची है उसमें वह नेता शामिल है जो आक्रमक शैली में जवाब देते हैं. गौरव वल्लभ, सुप्रिया श्रीनेत, अल्का लांबा, रागिनी नायक, पवन खेड़ा, अलोक शर्मा के चेहरे प्रमुखता से देखे जा सकते हैं. खेड़ा कहते हैं, “प्रवक्ता पार्टी की पहचान हैं. लोग प्रवक्ताओं से ही पार्टी को जानते हैं. हमारे प्रवक्ताओं को अब जनता सुनना चाहती है. सभी की अलग-अलग खूबी है, जिसे लोग पंसद कर रहे हैं.”
पार्टी ने टीवी चैनलों के स्व नियमन संस्था एनबीडीएसए को पत्र लिखकर ज़ी के खिलाफ शिकायत की साथ ही कार्रवाई करने की भी मांग की. इस तरह की शिकायत पार्टी द्वारा पहली बार की गई है. पवन खेड़ा कहते हैं, “पार्टी हर वह कदम उठा रही है जो कानूनन सही है, इसलिए हमने पहले एफआईआर दर्ज कराई और फिर चैनल की शिकायत की.”
कांग्रेस को लेकर मीडिया का रूख
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई कहते हैं, “कांग्रेस में कपिल सिब्बल, शशि थरूर जैसे नेताओं के व्यक्तिगत संबंध मीडिया से अच्छे हैं, इसलिए कभी इन नेताओं के खिलाफ मीडिया में खबरें नहीं आती हैं. अगर आती भी है तो ज्यादा बात नहीं होती. इसके उलट कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने कभी मीडिया से बेहतर संबंध नहीं बनाए. उन्होंने अपने कुछ खास लोगों के भरोसे मीडिया को आउटसोर्स किया.”
वह आगे कहते हैं, “अब मीडिया को पार्टी के इतर व्यक्तिगत नेताओं द्वारा मैनेज किया जा रहा है. जैसे की नरेंद्र मोदी, केसीआर, नवीन पटनायक आदि. लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं है. इतने साल सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार मीडिया को लेकर पॉलिसी नहीं बना पाई. गांधी परिवार के पास मीडिया का एक्सेस तक नहीं है फिर चाहे वह कोई भी पत्रकार या मीडिया संस्थान हो.”
“जब आप मीडिया से मिलेंगे नहीं या उन्हें साधने की कोशिश नहीं करेंगे तो कैसे संबंध अच्छे होंगे. पार्टी ने पहले बहुत से मीडिया घरानों के लोगों को सांसद बनाया लेकिन वह सिर्फ उन तक ही सीमित था,” किदवई बताते हैं.
बीजेपी के साथ ही दूसरी पार्टियां भी मीडिया को मैनेज कर रही हैं. लेकिन कांग्रेस इसमें विफल नजर आती है. हालांकि पार्टी की सरकार राजस्थान और छत्तीसगढ़ में है लेकिन मीडिया रणनीति के मामले में यह छोटे से राज्य दिल्ली की आम आदमी पार्टी से कोसों पीछे हैं.
पवन खेड़ा कहते हैं, “मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. अगर उसके साथ खिलवाड़ किया जाएगा तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. हमें उम्मीद हैं कि एक दिन मीडिया भी अपनी अंतरआत्मा की आवाज सुनेगा और सच दिखाएगा.”
यह मामला इतना आसान नहीं है. पार्टी की राज्य इकाई के नेता अपने ही राज्य में मीडिया पर खर्च करना चाहते हैं. दूसरे राज्यों में नहीं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, “मीडिया को विज्ञापन देने के मामले पर पार्टी में बात हुई थी लेकिन राज्य स्तर के नेता अपने राज्य में विज्ञापन देना चाहते हैं, ना कि राष्ट्रीय स्तर पर. आप देखें, बीजेपी की सरकार है इसलिए वह राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया को विज्ञापन देती है. उसी तरह आप की दिल्ली में सरकार है, इसलिए वह यहां मीडिया को विज्ञापन देती है. लेकिन अन्य पार्टियों के साथ ऐसा नहीं है फिर चाहे वह ममता हो, स्टालिन हो, केसीआर हो अन्य कोई पार्टी.”
कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में वैसे तो सभी टीवी चैनलों के रिपोर्टर बैठते हैं. सिर्फ रिपब्लिक को छोड़कर. पवन खेड़ा कहते हैं “हम रिपब्लिक, ज़ी न्यूज. टाइम्स नाउ और सीएनएन पर आनंद नरसिम्हन के शो पर नहीं जाते. बाकी चैनलों पर हम अपना पक्ष रखते हैं.”
क्या कुछ समय के लिए एक्टिव है कांग्रेस संचार टीम?
पत्रकार राशिद किदवई कहते हैं, “जब भी कोई नई टीम बनती है या कोई नया नेता आता है तो वह कुछ अलग करने की कोशिश करता है. अब देखना होगा की संचार टीम की सक्रियता कितने दिन रहती है.”
संचार और मीडिया टीम में कुल मिलाकर लगभग 100 लोग हैं. जयराम रमेश ने अभी तक अपनी टीम घोषित नहीं की है. उनको आए करीब एक महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. पवन खेड़ा कहते हैं जल्द ही टीम की घोषणा की जाएगी.
कांग्रेस कवर करने वाले एक टीवी पत्रकार कहते हैं, “मीडिया को विज्ञापन चाहिए जो उन्हें सत्ता पक्ष से मिल रहा है. वह तब तक इनके पक्ष की खबरें नहीं दिखाएगा जब तक उसे मोटा विज्ञापन नहीं मिल जाएगा. सिर्फ विज्ञापन ही नहीं, कुछ को सरकारी एजेंसियों का डर भी है. इसलिए सब एक पक्ष में ही बोल रहे है.”
वो आगे कहते हैं, “इस तरह के माहौल में कांग्रेस पार्टी को लगातार सक्रिय होना पड़ेगा तभी कुछ परिणाम दिखेगा.
तमाम चुनौतियों के बावजूद संचार विभाग के सचिव विनीत पुनिया बड़ी उम्मीद से कहते हैं, “2024 में सरकार बदलेगी. मैंने साल 2012 भी देखा है.”
उम्मीद पर दुनिया कायम है.
अभार: न्यूजलॉन्ड्री