मद्रास हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज मामले में मुस्लिम व्यक्ति और उसके साथियों को हिंदू व्यक्ति को मारने की साजिश रचने के संदेह में जमानत दे दी। सद्दाम हुसैन बनाम पुलिस इंस्पेक्टर केस में सद्दाम पर एनआईए ने आरोप लगाया था कि उसने इस्लाम में धर्मांतरण के लिए साजिश रची थी।
यूएपीए के मामले में पुलिस की कहानियों पर आधारित यह ऐसा लगातार दूसरा मामला है जब मद्रास हाईकोर्ट ने किसी मुस्लिम युवकों को जमानत दी है। यह फैसला 26 अगस्त शुक्रवार को सुनाया गया। इसी तरह 22 जुलाई को भी हाईकोर्ट ने यूएपीए में गिरफ्तार आरोपी इकबाल को जमानत दे दी थी। हालांकि यूएपीए में देशभर में सैकड़ों युवक जेलों में हैं। लेकिन अधिकांश को सद्दाम हुसैन या इकबाल की तरह जमानत नहीं मिल पा रही है। इसमें उमर खालिद का केस सबसे दिलचस्प है। जिनकी जमानत अर्जी अनगिनत बार कोर्ट खारिज कर चुकी है।
बार एंड बेंच के मुताबिक जस्टिस एस. वैद्यनाथन और ए.डी. जगदीश चंडीरा की बेंच ने कहा कि अपीलकर्ता के खिलाफ किसी ने कोई शिकायत नहीं की थी और इस मामले में कोई घायल भी नहीं हुआ था। यूएपीए सिर्फ इसलिए लगाया गया ताकि आरोपी को जमानत नहीं मिल सके।
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता सदाम हुसैन पर आरोप लगाया गया कि वह कुमारसन नामक शख्स को इसलिए खत्म करना चाहता था क्योंकि उसने इस्लाम धर्म में परिवर्तित करने का विरोध किया था। लेकिन यूएपीए के तहत एक ‘आतंकवादी अधिनियम’ के लिए यह आरोप काफी नहीं है।