पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रवासी मजदूरों को भरोसा दिलाया कि जो लोग वापस अपने राज्य लौटना चाहते हैं, उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा, “मुंबई, उत्तर प्रदेश या राजस्थान में रहने की कोई जरूरत नहीं है। बेशक, मैं आपको पेठे या पायस (बंगाली मिठाइयां) खिलाने में सक्षम नहीं हूं, लेकिन अगर हम एक रोटी खाएंगे हैं, तो हम यह तय करेंगे कि आपको भी एक रोटी मिले। आप यहां शांति से रह सकते हैं।”
प्रवासियों के लिए खास योजना
ममता बनर्जी ने कहा कि लगभग 22 लाख बंगाली प्रवासी अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं। उन्होंने प्रवासियों को पुलिस हेल्पलाइन नंबर के जरिए संपर्क करने और वापसी की इच्छा जताने पर ट्रेन से वापस लाने का वादा किया। यह बयान तृणमूल कांग्रेस की संतिनिकेतन में पहली ‘भाषा आंदोलन’ रैली से पहले आया। सीएम ने प्रवासियों को राशन कार्ड, हेल्थ कार्ड और कर्मश्री परियोजना के तहत नौकरियां देने का वादा किया। उन्होंने कहा, “हमें दलालों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। हम कैंप लगाएंगे और आपको सामाजिक सुरक्षा देंगे।”
बीजेपी पर निशाना
ममता ने बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली प्रवासियों के उत्पीड़न का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “असम सरकार अलिपुरद्वार में एक आदिवासी परिवार को एनआरसी नोटिस भेज रही है। महाराष्ट्र में मटुआ समुदाय को प्रताड़ित किया जा रहा है। मैं अब इस देश को पहचान भी नहीं पा रही। मेरा देश सभी को खुश रखता है। अगर वे (बीजेपी शासित राज्य) ऐसा ही करते रहे, तो देश टुकड़ों में बंट जाएगा।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि वैध दस्तावेज होने के बावजूद बंगाल के निवासियों को बांग्लादेश क्यों भेजा जा रहा है।
बंगाली मुसलमान डिटेंशन सेंटरों में
ममता बनर्जी प्रवासी बंगाली मजदूरों के मुद्दे को लगातार उठा रही हैं। दरअसल, हाल ही में दिल्ली एनसीआर में बंगाली बोलने वाले मुसलमानों को बंगलादेशी बताकर या तो डिटेंशन सेंटर में हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, यूपी, असम और दिल्ली की पुलिस में रखा या उनको जबरन बांग्लादेश भेज दिया गया। इनमें कुछ आदिवासी परिवार हैं जो मेहनत मजदूरी करने दूसरे राज्यों में हैं। दिल्ली एनसीआर में कूड़ा बीनने और सफाई के काम वहां के लोग ही हैं। उन लोगों की धरपकड़ के बाद गुड़गांव (गुरुग्राम) जैसे शहर पर इसका असर साफ दिखा। बंगाली भाषी कुछ मुसलमानों की धरपकड़ का मामला अदालतों में भी पहुंचा हुआ है। जिस पर कोर्ट ने पुलिस से आपत्ति भी की है।ममता बनर्जी ने पहले भी बीजेपी पर बंगाली प्रवासियों को निशाना बनाने और उन्हें बांग्लादेशी बताकर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने हाल ही में कोलकाता में एक विरोध मार्च का नेतृत्व किया था और तृणमूल के ‘शहीद दिवस’ रैली में ‘भाषा आंदोलन’ की घोषणा की थी। उनका यह बयान 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बंगाली गौरव के मुद्दे को फिर से उठाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा (आभार सत्य हिंदी)