क्या लोकसभा चुनाव की वजह से अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल सकती है? सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनाव के कारण अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है। हालाँकि, आज इससे आगे मामला नहीं बढ़ पाया और मामले की अगली सुनवाई 7 मई को तय की गई।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने शुक्रवार दोपहर क़रीब दो घंटे तक दलीलें सुनीं। जस्टिस खन्ना ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ‘ऐसा लगता है कि हम आज पूरा नहीं कर सकते हैं। हम इसे मंगलवार की सुबह तय करेंगे। एक चीज और है। यदि इसमें समय लग रहा है, तो ऐसा लगता है कि इसमें समय लग सकता है, फिर हम अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार कर सकते हैं। चुनाव के कारण हम उस पर सुनवाई कर सकते हैं।’
माना जा रहा था कि ईडी शुक्रवार को शीर्ष अदालत द्वारा उठाए गए उन सवालों का जवाब देगा जिनमें चुनाव से पहले केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय के बारे में सवाल उठाया गया था। अदालत ने ईडी से पूछा था कि लोकसभा चुनाव से ऐन पहले केजरीवाल की गिरफ़्तारी क्यों की गई?
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय के बारे में ईडी से जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘आज़ादी बेहद अहम है, आप इससे इनकार नहीं कर सकते। आखिरी सवाल गिरफ्तारी के समय के संबंध में है, जिसके बारे में उन्होंने बताया है कि गिरफ्तारी का समय आम चुनाव से ठीक पहले है।’
जस्टिस खन्ना ने कहा था, ‘इस मामले में अब तक कोई कुर्की की कार्रवाई नहीं की गई है और अगर की गई है तो दिखाइए कि केजरीवाल इस मामले में कैसे शामिल हैं। मुझे बताएँ, आम चुनाव से पहले गिरफ्तारी क्यों?’
शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसी से शुक्रवार को जवाब देने को कहा था। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा ईडी की किसी दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा देने से इनकार करने के 21 घंटे बाद ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था।
केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है और इसी मामले की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
इससे पहले सोमवार को केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद अपनी गिरफ्तारी की आवश्यकता और समय पर सवाल उठाया था।
केजरीवाल की ओर से पेश सिंघवी ने कहा था, ‘गिरफ्तारी की तारीख से पहले सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की और ईडी ने ईसीआईआर दर्ज की। गिरफ्तारी की तारीख़ से पहले के सभी दस्तावेज और दलीलें मुझसे दूर-दूर तक नहीं जुड़ीं। इससे पहले 18 महीने तक कई आपराधिक कानूनी दस्तावेजों ने मुझे छुआ तक नहीं था।’