देश में हर रोज़ पत्रकारिता की जो दशा दिखती है और जिसे लोग महसूस करते हैं, उसकी ‘जाँच रिपोर्ट’ आ गई है। पत्रकारिता की आज़ादी चिंताजनक स्तर पर है। प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में दुनिया भर के देशों की सूची में हम लगातार निचले स्तर पर हैं। सूचकांक में भारत पाकिस्तान से भी नीचे है। तुलना के लिए और क्या चाहिए! ‘विश्व गुरु’ का दंभ भरते-भरते प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में पाकिस्तान से भी बदतर हालात में हैं! तो क्या अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति है?
कम से कम रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की स्थिति से तो ऐसा ही सवाल खड़ा होता है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है। इसके द्वारा जारी ताज़ा वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 159वें स्थान पर है। 2023 की सूची में भारत 161वें स्थान पर था।
इस रैंकिंग में पाकिस्तान भारत से सात पायदान ऊपर 152वें स्थान पर है। 2023 में यह 150वें स्थान पर था। भारत पाकिस्तान के साथ ही तुर्की, श्रीलंका से भी पीछे है, जो क्रमशः 158वें और 150वें स्थान पर हैं। एक महीने तक चले इजरायली हमले के बावजूद फिलिस्तीन 156 से 157वें स्थान पर एक पायदान ही फिसला है। जबकि संघर्ष में यहाँ इस दशक में किसी भी संघर्ष में सबसे अधिक संख्या में पत्रकार मारे गए हैं। फ़िलिस्तीनी अधिकारियों का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या कम से कम 140 होगी।
नॉर्वे रैंकिंग में शीर्ष पर था, जबकि डेनमार्क विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में दूसरे स्थान पर था। सूची में स्वीडन तीसरे स्थान पर है। आरएसएफ की रैंकिंग पांच संकेतकों पर आधारित है- राजनीतिक स्थिति, कानूनी ढांचा, आर्थिक स्थिति, सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति और पत्रकारों की सुरक्षा।
फ्रेंच भाषा में रिपोर्टर्स सान्ज फ्रंटियर्स यानी आरएसएफ़ के नाम से जाने जाने वाले रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने अपने विश्लेषण में दावा किया है कि ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र’ यानी भारत में प्रेस की स्वतंत्रता संकट में है, जहां 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शासन है।