Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

रामप्यारी को न्याय मिलेगा द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति होने से?

RK News by RK News
July 19, 2022
Reading Time: 1 min read
0
रामप्यारी को न्याय मिलेगा द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति होने से?

योगेन्द्र यादव

RELATED POSTS

संविधान के सामने सनातन को खड़ा कर रहे हैं पीएम मोदी:- डॉ. उदित राज, पूर्व सांसद

आपराधिक कानूनों को बदलने वाले विधेयक पर जमात-ए-इस्लामी को गंभीर चिंता

समान नागरिक संहिता बनने पर सबसे ज़्यादा दिक़्क़त हिंदुओं को होगी? :-एक नज़रिया

मैने कहा बधाई हो! श्रीमती द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनने जा रही हैं। उनके चेहरे को सपाट देखकर मैंने स्पष्ट किया: बनी नहीं हैं, बनने जा रही हैं। वोट पड़ गए हैं, गिनती की औपचारिकता बाकी है, लेकिन परिणाम में कोई संदेह नहीं है। बात परिणाम की नहीं है, उन्होंने कहा।  किसी ना किसी को तो राष्ट्रपति  बनना ही था। इनमे क्या खास बात है?

खास बात तो है, मैं बोला। पहली बार देश की सर्वोच्च पद पर आदिवासी समाज के प्रतिनिधि को आसीन होने का मौका मिलेगा, और वह भी एक महिला को! इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में सब जनरल और फौजी एक आदिवासी महिला को सैल्यूट करेंगे। आप को न सही, मुझे तो गर्व होगा। जरा सोचिए, टीवी पर इस महिला को देखकर कितनी लड़कियों को प्रेरणा और ऊर्जा मिलेगी।

उनके चेहरे पर उत्साह नहीं था। बोले, महिला तो पहले भी इस देश की राष्ट्रपति बन चुकी है। आदिवासी महिला होने में क्या खास बात है? इस सवाल के लिए मैं जैसे तैयार बैठा था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार देश में साक्षरता 64% थी, लेकिन आदिवासी महिलाओं में सिर्फ 42% थी। अगर ग्रेजुएट की बात करें तो पूरे देश में 9% के करीब थे लेकिन आदिवासी महिला में 3% से भी कम। स्वास्थ्य का कोई भी पैमाना ले लीजिए, चाहे शिशु मृत्यु दर हो या बालिकाओं का कुपोषण या फिर एनीमिया ग्रस्त महिलाएं, आदिवासी महिला की स्थिति देश में सबसे बदतर है। अगर इस देश का कोई अंतिम व्यक्ति है तो वह जरूर आदिवासी महिला ही होगी।

उनकी चुप्पी से हौसला लेकर मैंने बात आगे बढ़ाई।द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना इस देश की अंतिम पायदान पर बैठी 6 करोड़ आदिवासी महिलाओं का सम्मान है। उन्हे मिलने का मौका तो नहीं मिला है, लेकिन उनके बारे में जितना पढ़ा है, उससे यह स्पष्ट है कि वे विलक्षण महिला हैं। गांव की पहली ग्रेजुएट, विकट परिस्थिति में भी शिक्षा हासिल करने की लगन, फिर वापस आकर समाज की सेवा और तमाम व्यक्तिगत आघात के बावजूद सार्वजनिक जीवन में बने रहना। गवर्नर जैसे पद पर रहने के बाद भी समाज से कटी नहीं।  झारखंड की राज्यपाल होते हुए द्रौपदी मुर्मू जी ने वहां के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का दौरा किया जो दलित आदिवासी और अन्य पिछड़े समाज की लड़कियों के लिए विशेष विद्यालय हैं। यह सब कोई छोटी बात नहीं है।

उन्होंने ध्यान से बात सुनी लेकिन चेहरे के भाव नहीं बदले। बोले: राष्ट्रपति तो रबड़ की मुहर है। उस कुर्सी पर किसी के बैठने से उसी के समाज के लोगों को क्या फर्क पड़ेगा? याद नहीं आपको जब इस देश में सिखों का नरसंहार हुआ था उस वक्त ज्ञानी जैल सिंह इस देश के राष्ट्रपति थे। गुजरात के दंगों के बाद अब्दुल कलाम इस देश के राष्ट्रपति बने। क्या उससे दंगे के पीड़ितों को न्याय मिला? राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल में दलितों पर के उत्पीड़न की अनेकों घटनाएं हुई। क्या फर्क पड़ा?

उनकी बात सुनकर मुझे एक घटना ध्यान आई। 22 जून को द्रौपदी मुर्मू के एनडीए का राष्ट्रपति प्रत्याशी होने का समाचार आया। उसके 10 दिन बाद मध्य प्रदेश के गुना जिले से खबर आई कि सहरिया आदिवासी समुदाय की 38 वर्षीय महिला रामप्यारी को जिंदा जला कर मार दिया गया। उसके परिवार को मध्य प्रदेश सरकार की ओर से 6 बीघा जमीन दी गई थी। कागज भी उनके पास थे।  लेकिन जमीन पर गैर आदिवासी समाज के लोगों का कब्जा था, खेती वही कर रहे थे। ऊपर से रामप्यारी के परिवार को धमका रहे थे। इस घटना से एक सप्ताह पहले रामप्यारी और उसके पति अर्जुन ने पुलिस को सूचना दी, सुरक्षा मांगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जब रामप्यारी ने खेत में जाकर आपत्ति जताई तो उन्होंने वहीं उस पर डीजल छिड़ककर उसे जिंदा जला दिया। इस घटना का वीडियो भी मौजूद है। मैं सोचने लगा, क्या द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से रामप्यारी और उसके परिवार को न्याय मिल जाएगा? क्या यह सुनिश्चित हो पाएगा कि इस देश में एक और रामप्यारी को दिनदहाड़े न जलाया जाए?

मेरी चुप्पी को उन्होंने तोड़ा। वे बोले, देखो प्रतीकों का महत्व मैं भी समझता हूं। अगर राष्ट्रपति को सिर्फ रबड़ की मोहर ही होना है तो मैं भी चाहूंगा कि मोहर पर एक और मुखर्जी, पाटिल, शर्मा  या फिर उनकी जगह किसी सिन्हा, रेड्डी और यादव के नाम की बजाय किसी मुर्मू, सोरेन, मुंडा, राठवा, मीणा या फिर जाटव और वाल्मीकि का नाम हो। सैंकड़ों हजारों साल से सत्ता से बहिष्कृत किए गए समाज को न्याय तभी मिलेगा जब उसके प्रतिनिधि खुद कुर्सी पर बैठेंगे।

अब वो रौ में बोलते जा रहे थे। असली सवाल यह है कि किस मार्ग पर चलकर दलित या आदिवासी कुर्सी तक पहुंचेंगे? एक वह क्रांति मार्ग है जो बाबासाहेब अंबेडकर, नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग ने दिखाया था। यानी कि बहिष्कृत समाज के लोग सामाजिक न्याय के आंदोलन के दम पर सत्ता पर काबिज हों। तमिलनाडु के द्रविड़ आंदोलन और कांशीराम जी की बसपा ने कमोबेश यही रास्ता अपनाया था। इस रास्ते से सत्ता हासिल करने पर बहिष्कृत समाज सत्ता का इस्तेमाल बुनियादी सामाजिक न्याय के लिए कर पाता है। दूसरा मार्ग बराक ओबामा या फिर राष्ट्रपति के आर नारायणन ने दिखाया था। इस तेजस्वी मार्ग पर चलकर सत्ता प्राप्ति सामाजिक न्याय आंदोलन के जरिए नहीं होती, लेकिन सत्ता पर काबिज होकर कुछ नेता अपनी व्यक्तिगत प्रतिभा और वैचारिक प्रतिबद्धता से बहिष्कृत समाज का कुछ हित साध पाते हैं। तीसरे मार्ग को चमचा मार्ग या शिखंडी मार्ग कुछ भी कह लीजिए। इस मार्ग से आए बहिष्कृत समाज के नेतृत्व को बड़ी-बड़ी कुर्सियों पर बैठाया जाता है ताकि वह अपने समाज के विरुद्ध हो रहे अन्याय और अत्याचार को ढकने का काम करें। ऐसे नेता चाहे जितने भी योग्य हो, वे सेफ्टी वाल्व का काम करते हैं ताकि वंचित समाज का गुस्सा ज्वालामुखी की तरह फूट न जाय। सामाजिक अन्याय और शोषण की व्यवस्था को बनाए रखने में वे बहुत उपयोगी साबित होते हैं, जिससे इस वर्ग का वोट भी मिल जाए और सत्ता को इनके लिए कुछ करना भी ना पड़े।

द्रौपदी मुर्मू इनमे से किस मार्ग पर चलेंगी? जब इस सवाल का जवाब मिल जाएगा तब तुम्हारी बधाई भी कुबूल कर लूंगा, यह कहकर उन्होंने अपनी बात पूरी की। बात तो सही थी लेकिन मेरा मन मान नहीं रहा था। मैं किसी और को ढूंढ रहा था जो मेरी बधाई स्वीकार कर ले।

 

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

संविधान के सामने सनातन को खड़ा कर रहे हैं पीएम मोदी:- डॉ. उदित राज, पूर्व सांसद

September 25, 2023
विचार

आपराधिक कानूनों को बदलने वाले विधेयक पर जमात-ए-इस्लामी को गंभीर चिंता

September 3, 2023
विचार

समान नागरिक संहिता बनने पर सबसे ज़्यादा दिक़्क़त हिंदुओं को होगी? :-एक नज़रिया

June 30, 2023
विचार

मोदी और राहुल का फर्क: एक नज़रिया

June 4, 2023
विचार

छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक करने से ब्राह्मणों ने क्यों किया था इंकार

June 4, 2023
विचार

अगले चुनावों के लिए कर्नाटक से संदेश: एक नजरिया
लेखक:चाणक्य

May 21, 2023
Next Post
लापता हाजी याकूब कुरैशी के 5 मंजिला मकान पर छापे में 200 पुलिस कर्मियों को 12 घंटे लगे

लापता हाजी याकूब कुरैशी के 5 मंजिला मकान पर छापे में 200 पुलिस कर्मियों को 12 घंटे लगे

आजाद भारत में पहली बार अनाज पर टैक्स, व्यापारी आंदोलन की तैयारी में

आजाद भारत में पहली बार अनाज पर टैक्स, व्यापारी आंदोलन की तैयारी में

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

कौन है संदीप पाठक, केजरीवाल के बाद ‘आप’ के सुपर बॉस

कौन है संदीप पाठक, केजरीवाल के बाद ‘आप’ के सुपर बॉस

December 15, 2022
आरसीए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के चार छात्रों का IFS में चयन

आरसीए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के चार छात्रों का IFS में चयन

June 30, 2022

आज से दिल्ली की 14 सरकारी नर्सरी से आम जनता के लिए मुफ्त पौधे बाटें जाएंगे – गोपाल राय

July 2, 2022

Popular Stories

  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • दुआएं कुबूल, हल्द्वानी में नहीं चलेगा बुलडोजर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • खबरदार! धंस रहा है नैनीताल, तीन तरफ से पहाड़ियां दरकने की खबर, धरती में समा जाएगा शहर, अगर .…..!

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • पत्रकारों, के घरों पर की गई छापेमारी से प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया चिंतित
  • सुप्रीम कोर्ट की ED पर तीखी टिप्पणी, कहा-अपने कामकाज में पारदर्शी और निष्पक्ष रहें, प्रतिशोधी न बनें
  • विधायकी छोड़ अखिलेश लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव, मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन का एलान

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?