शंघाई कोऑपरेशन संगठन (एससीओ) के मौजूदा अध्यक्ष के रूप में भारत ने सभी सदस्य राष्ट्रों को इसके विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने का आमंत्रण भेजा है। जो बात आमंत्रण की इस औपचारिक कवायद को खास बना रही है वह यह कि इसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान भी शामिल है। हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री इस आमंत्रण को स्वीकार करके बैठक में शामिल होने भारत आएंगे या नहीं। पाकिस्तान में इसी साल चुनाव हैं और वहां की राजनीति में भारत विरोध का फैक्टर जितनी अहम भूमिका में होता है, उसके मद्देनजर जानकार इसे मुश्किल ही बता रहे हैं, लेकिन अगर वह आते हैं तो 2015 के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच विदेश मंत्री स्तर की यात्रा का यह पहला मौका होगा।
तब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ‘हार्ट ऑफ एशिया’ कॉन्फ्रेंस में शामिल होने पाकिस्तान गई थीं। उसी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कॉम्प्रिहेंसिव बाइलैटरल डायलॉग प्रॉसेस शुरू हुआ, जिसकी बदौलत वह पल भी आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से निर्धारित कार्यक्रम के बगैर पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के घर पहुंचे। लेकिन उसके बाद पाकिस्तान की ओर से 2016 से 2019 के बीच पठानकोट, उरी और फिर पुलवामा में हुए आतंकी हमलों ने दोनों देशों के रिश्तों में दरार डाल दी। भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक और सीमा पार के टेरर कैंपों पर हवाई हमले के रूप में इन आतंकी हमलों का जवाब दिया, जिससे तनाव में और बढ़ोतरी हुई। इस बीच 5 अगस्त 2019 को भारत ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को हासिल विशेष दर्जा समाप्त करने का फैसला किया, जिसे पाकिस्तान ने संबंधों के सामान्य होने की राह में एक और रोड़ा करार दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने यह शर्त लगा दी कि इस फैसले को वापस लिए जाने के बाद ही दोनों देशों में बातचीत हो सकती है।
बहरहाल, अच्छी बात यह है कि हाल में मिले कुछ संकेत नए सिरे से रिश्तों में बेहतरी की उम्मीद बंधा रहे हैं। जब कुछ ही दिनों पहले पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने संयुक्त अरब अमीरात के एक चैनल को दिए इंटरव्यू में दोनों देशों के बीच हुए चार युद्धों से मिली सीख का हवाला देते हुए भारत से बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई। उन्होंने कश्मीर मसले का जिक्र जरूर किया, लेकिन अनुच्छेद 370 से जुड़ा फैसला वापस लेने की मांग नहीं दोहराई। ध्यान रहे, अफगानिस्तान की ओर से डुरंड लाइन पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर भारत से रिश्ते सुधारने की पाकिस्तान की जरूरत बढ़ गई है। दूसरी ओर, लद्दाख में चीन से लगती एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर जारी गतिरोध को और तवांग में हालिया तनाव को देखते हुए पाकिस्तान के साथ एलओसी पर सामान्य स्थिति भारत के लिए भी बेहतर होगी ( संपादकीय: नवभारत टाइम्स)