Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home समाचार

बांग्लादेश में हिंदुओं के विरूद्ध बढ़ती हिंसा और भारत में बढ़ता इस्लामोफोबिया
 -राम पुनियानी

RK News by RK News
August 16, 2024
Reading Time: 1 min read
0

RELATED POSTS

‘कांवड़ मार्ग पर सभी होटलों को लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिखाना होगा’, सुप्रीम कोर्ट

उदयपुर फाइल्स पर पाबंदी जारी रहेगी, जानिए फिल्म में क्या-क्या बदलेगा?

सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाना UAPAके दायरे में आता है: दिल्ली उच्च न्यायालय

जनता के आक्रोश के ज्वार ने बांग्लादेश को हिला दिया है. वहां जो हो रहा है उसके बारे में कई झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं, जिनके नतीजे में भारत में इस्लामोफोबिया ने जोर पकड़ लिया है. शेख हसीना ने बांग्लादेश पर पिछले 15 वर्षों से बहुत सख्ती से शासन किया. उन्होंने विपक्ष का जबरदस्त दमन किया और यहां तक कि सभी प्रमुख विपक्षी नेताओं को या तो जेलों में ठूंस दिया या उनके घरों में नजरबंद कर दिया.
बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों की संतानों को आरक्षण के मुद्दे को लेकर छात्रों का आंदोलन भड़का. यह आरक्षण 50 साल से भी अधिक समय पहले पाकिस्तान के चंगुल से आजाद होने के सफल संघर्ष के बाद से ही निरंतर जारी था. इस मुद्दे पर बांग्लादेश का युवा वर्ग आक्रोशित था और उनके आक्रोश को हसीना सरकार ने सख्ती से दबाया. इससे आंदोलन ने बहुत बड़ा और गंभीर स्वरूप अख्तियार कर लिया. 
हसीना के देश छोड़ने के बाद वहां अराजकता फैल गई. आवामी लीग (हसीना की पार्टी) के समर्थकों पर हमले हुए और उसके कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया. “हिंदू बुद्धिस्ट क्रिस्चियन यूनिटी काउंसिल” एवं “बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद” के अनुसार 5 अगस्त को हसीना सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश के 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की 205 घटनाएं हुईं. अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए छात्रों ने प्रोफेसर युनुस को चुना. अल्पसंख्यकों ने सुरक्षा की मांग करते हुए एक विशाल रैली आयोजित की. प्रोफेसर युनुस ने तुरंत एक अपील जारी करते हुए आंदोलनरत छात्रों से हिंदुओं, ईसाईयों और बौद्धों सहित सभी अल्पसंख्यक समुदायों को हमलों से सुरक्षा प्रदान करने की अपील की. “क्या यह उनका देश नहीं है? आपने देश की रक्षा की है, क्या आप कुछ परिवारों की रक्षा नहीं कर सकते?” उन्होंने आंदोलनरत छात्रों से सवाल किया.
यह अपील बहुत प्रभावी साबित हुई. बांग्लादेश के ‘द डेली स्टार’ समाचारपत्र के संपादक महफूज अनाम के अनुसार, इसके बाद हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा थम गई.  यहां तक कि दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी ने तक मंदिरों की रक्षा के लिए दस्तों का गठन किया. द वायर के करण थापर को दिए गए एक साक्षात्कार में संपादक ने इस ओर ध्यान दिलाया कि भारत और बांग्लादेश के दक्षिणपंथियों को एक दूसरे से ताकत हासिल होती है. उनके अनुसार पांच दिन बाद अल्पसंख्यकों के विरूद्ध हो रही हिंसा पूरी तरह थम गई. उनके और कई अन्य यूट्यूबर्स के अनुसार भारत में तथ्यों की पुष्टि किए बिना बहुत सारी अफवाहें और फेक न्यूज फैलाई गईं.
इसका एक बड़ा उदाहरण है क्रिकेट खिलाड़ी लीपन दास के घर को आग लगाए जाने की खबर और वीडियो. बीबीसी फेक्ट चैक से यह पता लगा कि यह घर किसी और क्रिकेट खिलाड़ी का था जो आवामी लीग का नजदीकी है और दो कार्यकालों के लिए सांसद रह चुका है. इसी तरह एक अन्य वीडियो में दावा किया गया कि वह चिटगांव में एक मंदिर को जलाए जाने का वीडियो है. फैक्ट चैक से पता लगा कि इस वीडियो में जिस भवन को जलता दिखाया गया है वह आवामी लीग का कार्यालय है, जो मंदिर के नजदीक है. ऐसे बहुत से वीडियो हैं जिनमें हिंदू मंदिरों को जलते और हिंदुओं की हत्या होते दिखाया गया है. लेकिन कुछ ऐसे वीडियो भी हैं जिन्हें दबा दिया गया – वे वीडियो जिनमें छात्रों द्वारा मंदिरों की रक्षा के लिए बनाए गए दस्तों को दिखाया गया है. “हिंदू एवं मुस्लिम दोनों पीड़ित हैं. लेकिन वे लोग राजनीति से प्रेरित हिंसा की चुनिंदा घटनाओं को साम्प्रदायिक हिंसा बताते हैं. जब हिंसा का शिकार होने वाला हिंदू होता है तो इसे धर्म आधारित प्रताड़ना बताकर जोर-शोर से प्रचारित किया जाता है, जिससे भारत में मुसलमानों के प्रति घृणा बढ़ती है” (एक फैक्ट चैकर शोहानूर रहमान ने द क्विंट को बताया).
इस समय बांग्लादेश में सत्ता के दो केन्द्र हैं – प्रोफेसर युनुस और आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र. दोनों ही बांग्लादेश के समावेशी चरित्र का समर्थन कर रहे हैं और हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं. निःसंदेह जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राष्ट्र का स्वप्न देखता है, बीएनपी की नेता खालिदा जिया भी दक्षिणपंथी और इस्मालिक राष्ट्र की समर्थक हैं. मगर बहुमत का नजरिया वही है जो युनुस और छात्रों का है. प्रोफेसर युनुस ने बहुवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धतता दिखाते हुए, 13 अगस्त को ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर का दौरा किया जहाँ वे हिन्दुओं के नेताओं से मिले, उनके दर्द को सुना और उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया. यह बहुत ही संतोषप्रद है.
इस बीच, भारत में नफरत फैलाने वाले और हिंदू राष्ट्रवाद के समर्थक बड़े पैमाने पर घृणा फैलाने और भड़काऊ संदेश भेजने में जुटे हैं. भाजपा सांसद कंगना रनौत ने ट्वीट किया “शांति वायु या सूर्य की रोशनी की तरह नहीं है, जिसे आप अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं और वह आपको बिना कोई कीमत चुकाए हासिल होगी.

महाभारत हो या रामायण, दुनिया में सबसे बड़ी लड़ाईयां अमन हासिल करने के लिए लड़ी गई हैं. अपनी तलवारें उठाओ, उनकी धार तेज करो, और प्रतिदिन लड़ने-भिड़ने का थोड़ा-बहुत अभ्यास करो”. कई अन्य लोग पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश को जानबूझकर “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश” के नाम से पुकार रहे हैं, जिसका बहुत ही पतित उद्धेश्य है.
इसी तरह कई ट्रोल और भाजपा नेता भड़काने वाली बातें फैला रहे हैं. इस समय क्या किया जाना आवश्यक है? हमें बांग्लादेश के अल्पसंख्यको के अधिकारों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए. अंतरिम सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आव्हान कर रही है और अल्पसंख्यक अपने अधिकारों के समर्थन में एक रैली का आयोजन सफलतापूर्वक कर सके. इन दोनों बातों से यह प्रतीत होता है कि बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए स्थान है, जिसका समर्थन और सराहना की जानी चाहिए. लेकिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन के सभी मामलों में एक सा रवैया अपनाया जाना चाहिए. हमें अपने देश में भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों का समर्थन करना चाहिए ताकि हम पड़ोसी देशों के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत कर सकें.
पूरा दक्षिण एशिया साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद के दौर से गुजर रहा है. श्रीलंका एक साल पहले तक साम्प्रदायिकता की गिरफ्त में था. पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करने के लिए कुख्यात है और म्यांमार भी इसी रास्ते पर चल रहा है. जो लोग तलवार निकालने की बात करते हैं और अन्य घृणा उत्पन्न करने वाले संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं, उनका कुछ भी नहीं बिगड़ता, उन पर घृणा फैलाने और विभाजनकारी प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के आरोपों में कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होती.
जनसंख्या संबंधी आंकड़ों के संबंध में गलत धारणाओं पर आधारित ‘हिंदू खतरे में’ के झूठे प्रचार को सोशल मीडिया में कही जा रही उन बातों से बल मिलता है जो तथ्यों की पुष्टि किए बिना फैलाई जाती हैं. बहुवाद और लोकतंत्र के पक्षधरों के कंधों पर इस समय बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. घृणा फैलाने वालों का बहुत बड़ा तंत्र बन गया है जो अपने विभाजनकारी एजेंडे पर अमल करने के लिए उद्यत है. इसका मुकाबला करने के लिए शांति एवं मैत्री में यकीन रखने वाले लोगों को और बड़ी संख्या में आगे आना होगा ताकि घृणा की इस फैलती आग को काबू में किया जा सके और सही तथ्य सामने लाने की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी व सघन बनाया जा सके.
हसीना का दुहरा चरित्र था. जहां एक ओर वे तानाशाह थीं,  वहीं दूसरी ओर उनके राज में बहुवाद कुछ हद तक कायम रहा. जरूरी यह है कि बहुवाद और लोकतंत्र दोनों को सशक्त किया जाए. बांग्लादेश सरकार के समक्ष यह चुनौती है कि वह इन दोनों की जड़ें मजबूत करे. भारत को इन मूल्यों को बढ़ावा देकर दक्षिण एशिया के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए. विभिन्न समुदायों के बीच संबंध प्रगाढ़ करने का प्रयास होना चाहिए, अल्पसंख्यकों के हित के सकारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए और सभी के मानवाधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए. किसी भी समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाने वाली बातें नहीं की जानी चाहिए
. (लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं) 

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

समाचार

‘कांवड़ मार्ग पर सभी होटलों को लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिखाना होगा’, सुप्रीम कोर्ट

July 22, 2025
समाचार

उदयपुर फाइल्स पर पाबंदी जारी रहेगी, जानिए फिल्म में क्या-क्या बदलेगा?

July 21, 2025
Uncategorized

सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाना UAPAके दायरे में आता है: दिल्ली उच्च न्यायालय

July 18, 2025
समाचार

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बनें असिस्टेंट प्रोफेसर, 86 पद खाली; गेस्ट फैकल्टी के भी 306 पदों पर भर्ती

July 17, 2025
Uncategorized

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा सवाल- जेल में कटी उम्र और फिर निकले बेकसूर, तो क्यों ना मिले मुआवजा कहा, कानून बनाने पर विचार हो

July 16, 2025
Uncategorized

लव जिहाद और गैरकानूनी धर्मांतरण विरोधी कानून को सुप्रीम कोर्ट में  चुनौती,यूपी सरकार को नोटिस 

July 16, 2025
Next Post

सुप्रीम कोर्ट ने कहा: एससी/एसटी लोगों की हर बेइज्जती एससी/एसटी कानून के तहत अपराध नहीं

वक्फ बिल:मुसलमानों का विरोध देखते हुए JDU ने पलटी मारी’ TDP भी बिल के विरोध मे उत्तरी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

छेड़छाड़, उत्पीड़न: एक पवित्र त्योहार में अपवित्रता

March 10, 2023
आंकड़े बताते हैं यूपी में सबसे ज्यादा हिरासती मौतें

आंकड़े बताते हैं यूपी में सबसे ज्यादा हिरासती मौतें

August 7, 2022

विचारधारा पहले या BJP से संबंध?केसी त्यागी के इस्तीफे से नीतीश की JD(U) में सत्ता संघर्ष हुआ उजागर

September 9, 2024

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • ‘कांवड़ मार्ग पर सभी होटलों को लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिखाना होगा’, सुप्रीम कोर्ट
  • उदयपुर फाइल्स पर पाबंदी जारी रहेगी, जानिए फिल्म में क्या-क्या बदलेगा?
  • सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को कट्टरपंथी बनाना UAPAके दायरे में आता है: दिल्ली उच्च न्यायालय

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi