नई दिल्ली: हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई इस हफ्ते में दूसरे दिन 7 सितंबर बुधवार को फिर शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने कई बातें तर्कपूर्ण ढंग से रखीं। लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस हेमंत गुप्ता ने एडवोकेट कामत से कहा कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जिसमें कपड़े पहनने की आजादी और वर्दी के साथ हिजाब को शामिल करना इस बहस को अतार्किक अंत तक ले जा रहा है। जस्टिस गुप्ता ने तब पूछा कि क्या पोशाक के अधिकार (राइट टु ड्रेस) में कपड़े उतारने का अधिकार (राइट टु अनड्रेस) भी शामिल है। हिजाब मामले की सुनवाई 8 सितंबर को भी जारी रहेगी।
सत्या डॉट कॉम के अनुसार वरिष्ठ अधिवक्ता कामत ने तर्क दिया था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19, जो नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार प्रदान करता है, में पहनने की आजादी भी शामिल है। उन्होंने कहा कि निस्संदेह इस अधिकार पर उचित प्रतिबंध होना चाहिए। लेकिन याचिकाकर्ता छात्रा वर्दी पहनने का विरोध नहीं कर रही थी, बल्कि वह सिर्फ हिजाब के साथ वर्दी पहनना चाहती थी।
जस्टिस गुप्ता ने कामत के तर्क के जवाब में फौरन कहा- आप इसे अतार्किक अंत तक नहीं ले जा सकते। क्या पोशाक के अधिकार में कपड़े उतारने का अधिकार भी शामिल होगा? इस पर सीनियर एडवोकेट कामत ने कहा कि- स्कूल में कोई भी कपड़े नहीं उतार रहा है। सवाल यह है कि इस अतिरिक्त पोशाक को अनुच्छेद 19 के हिस्से के रूप में पहना जा रहा है, क्या इसे प्रतिबंधित किया जा सकता है?