नईदिल्ली:करीब 100 से अधिक सेवानिवृत्त सिविल सेवकों और राजनयिकों ने शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष से भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के ख़िलाफ़ हेट स्पीच मामले की शिकायत को सदन की आचार समिति को रेफ़र करने का आग्रह किया है.
इस शिकायत में कहा गया था कि प्रज्ञा ठाकुर के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने के आरोप में हुई एफ़आईआर ही उन पर एक्शन लेने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए.
अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ के अनुसार, पूर्व अधिकारियों और नौकरशाहों के इस समूह ने कहा है कि लोकसभा के नियमों के अनुसार बीजेपी सांसद के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
इस समूह ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी में कहा है, “अपने भड़काऊ भाषण और बार-बार नफ़रत फैलाने वाले कृत्यों से प्रज्ञा ठाकुर ने संसद के सदस्य होने का नैतिक अधिकार खो दिया है.”
इस चिट्ठी में कई सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइज़ेशनों की ओर से लोकसभा अध्यक्ष को लिखी एक अर्ज़ी का भी उल्लेख है, जिसमें प्रज्ञा ठाकुर को शिवमोगा में दिए उनके सांप्रदायिक बयानों के लिए सांसद के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है. इन संगठनों में कैंपेन अगेन्स्ट हेट स्पीच, बहुत्व कर्नाटक, ऑल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फॉर जस्टिस एंड द पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ (कर्नाटक) शामिल हैं.
चिट्ठी में प्रज्ञा ठाकुर के 25 दिसंबर को दिए बयान का ज़िक्र है. बीजेपी सांसद ने कर्नाटक के शिवमोगा में हिंदू जागरण वेदिक की सभा में कहा था कि हिंदुओं को महिलाओं की सुरक्षा के लिए अपने घरों में सब्ज़ी काटने वाले चाकू तैयार रखने चाहिए. इस बयान के बाद 28 दिसंबर को कर्नाटक में प्रज्ञा ठाकुर के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, आनंद अर्नी (पूर्व स्पेशल सेक्रटरी, कैबिनेट सेक्रेटेरियेट) मोहिंदरपाल औलख (पंजाब जेल के पूर्व महानिदेशक), शरद बेहर (मध्य प्रदेश के पूर्व चीफ़ सेक्रेटरी), मधु भंडारी (पोलेंड की पूर्व राजदूत) और नितिन देसाई (पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार) जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं.