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Bihar voter verification में बड़ी धांधली की शिकायतों,पटना में आधार स्वीकार, लेकि सीमांचल में नहीं?

RK News by RK News
July 10, 2025
Reading Time: 1 min read
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Bihar Voter List Controversy: बिहार में मतदाता सूची संशोधन में जमकर धांधली और डबल स्टैंडर्ड की सूचनाएं मिली हैं। पटना में आधार स्वीकार किया जाता है, लेकिन मुस्लिम बहुल सीमांचल में आधार को बतौर दस्तावेज स्वीकार नहीं किया गया।

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बिहार में चल रही मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया ने एक बड़ी धांधली को उजागर किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, जहां पटना में मतदाताओं से आधार कार्ड के आधार पर फॉर्म स्वीकार किए जा रहे हैं, वहीं सीमांचल और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र या भूमि दस्तावेजों की मांग की जा रही है। वहां पर फॉर्म धड़ाधड़ अस्वीकार किए गए। सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है।

समाचार के अनुसार बिहार में 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाताओं में से 57% (लगभग 4.5 करोड़) ने बुधवार तक अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से लागू हो रही है। पटना और आसपास के क्षेत्रों में मतदाताओं को आधार, वोटर आईडी या राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों के साथ फॉर्म जमा करने की अनुमति दी जा रही है, भले ही ये दस्तावेज चुनाव आयोग द्वारा तय 11 दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं हैं।

दूसरी ओर, सीमांचल के किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार जैसे जिलों में स्थिति जटिल है। यहां मतदाताओं को तय 11 दस्तावेजों में से एक जमा करना अनिवार्य है, और आधार कार्ड को मान्य नहीं माना जा रहा। इससे कई लोग, खासकर गरीब और विस्थापित समुदाय, परेशान हैं, क्योंकि उनके पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं। नतीजतन, ब्लॉक कार्यालयों में निवास प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए लंबी कतारें देखी जा रही हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और बुजुर्ग मतदाताओं में मतदाता सूची से नाम हटने का डर विशेष रूप से गहरा है।इससे साफ ज़ाहिर होता है कि सरकार और चुनाव आयोग के इरादे क्या हैं

कहा जा रहा है कि सीमांचल में, जहां मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा है, मतदाताओं को “संदिग्ध विदेशी नागरिक” के रूप में चिह्नित करने की आशंका ने तनाव बढ़ा दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया कई पात्र मतदाताओं को मतदान से वंचित कर सकती है।चुनाव आयोग ने कहा है कि वह 1 अगस्त तक प्रारंभिक मतदाता सूची और 30 सितंबर तक अंतिम सूची प्रकाशित करेगा। इस बीच, बिहार में यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है।[ सत्य हिंदी के इनपुट के साथ ।

Tags: Aadhaarbig fraudBiharComplaintselection commissionPatnaSeemanchalvoter verification
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