सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। क्योंकि सुनवाई के दौरान रोक लगाने की मांग नहीं की गई। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से आग्रह किया कि वह आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में किए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण में मतदाताओं की पहचान साबित करने के लिए आधार, राशन कार्ड और मतदाता फोटो पहचान पत्र को मान्य दस्तावेजों के रूप में अनुमति देने पर विचार करे। गुरुवार की सुनवाई से एक बात साफ है कि उसने प्रक्रिया पर रोक लगाने का कोई आदेश पारित नहीं किया है।
बार एंड बेंच के मुताबिक अदालत ने आदेश में स्पष्ट कहा – “दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद, चुनाव आयोग ने बताया है कि मतदाताओं के सत्यापन के लिए दस्तावेजों की सूची में 11 दस्तावेज शामिल हैं और यह संपूर्ण नहीं है। इसलिए, हमारी राय में, यह न्याय के हित में होगा यदि आधार कार्ड, ईपीआईसी कार्ड और राशन कार्ड को भी इसमें शामिल किया जाए। यह चुनाव आयोग पर निर्भर है कि वह दस्तावेज लेना चाहता है या नहीं। यदि वह दस्तावेज नहीं लेता है, तो उसे इसके लिए कारण बताना होगा और इससे याचिकाकर्ताओं को संतुष्ट होना होगा। इस बीच, याचिकाकर्ता अंतरिम रोक के लिए दबाव नहीं डाल रहे आज की सुनवाई का निचोड़
**अदालत ने बिहार मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) पर कोई राहत नहीं दी। क्योंकि स्टे मांगा नहीं गया।
**अदालत ने चुनाव आयोग को सलाह दी- आधार, वोटर पहचान पत्र और राशन कार्ड को दस्तावेज स्वीकार करना चाहिए।
**अगर आयोग इन्हें स्वीकार नहीं करता है तो कारण बताए और याचिकाकर्ताओं को भी संतुष्ट करे।
**सुप्रीम कोर्ट की दूसरी अदालत में 28 जुलाई को इस मामले की फिर सुनवाई होगी।
**सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा कि फिलहाल मतदाता सूची 1 अगस्त प्रकाशित न की जाए।
इस सिलसिले में कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने कहा, “हमारे पास उन पर (चुनाव आयोग पर) संदेह करने का कोई कारण नहीं है। वे कह रहे हैं कि उनकी साख की जाँच की जाए। मामले की सुनवाई ज़रूरी है। इसे 28 जुलाई को सूचीबद्ध किया जाए। इस बीच, सूची का प्रकाशन 1 अगस्त को नहीं होगा।” हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा चुनाव से चंद महीना पहले चुनाव आयोग द्वारा यह प्रक्रिया शुरू करने पर “गंभीर संदेह” जताया












