समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग संबंधी याचिकाओं का विरोध करते हुए मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.जमीयत ने कहा कि समलैंगिक विवाह पारिवारिक व्यवस्था पर हमला है ये सभी ‘पर्सनल लॉ’ का पूरी तरह से उल्लंघन है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, शीर्ष अदालत में लंबित याचिकाओं में हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए जमीयत ने हिंदू परंपराओं का भी हवाला दिया. जमीयत ने कहा कि हिंदुओं में शादी का मक़सद सिर्फ़ भौतिक सुख या संतानोत्पत्ति सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग वाली याचिकाओं को बीती 13 मार्च को पांच जजों वाली संविधान पीठ के पास भेज दिया था और कहा था कि ये मुद्दा ‘बुनियादी महत्व’ का है.
जमीयत ने कहा, “समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं के ज़रिए समलैंगिक विवाह की अवधारणा पेश की है, जिससे विवाह की मूल अवधारणा कमज़ोर हो सकती है.”
समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं का केंद्र ने भी सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया नहीं बल्कि आध्यात्मिक उन्नति है.
जमीयत ने कहा कि शादी हिंदुओं के 16 ‘संस्कारों’ में से एक है और “समलैंगिक विवाह पारिवारिक व्यवस्था पर एक हमला है.