( नई दिल्ली एजेंसी )
उत्तर प्रदेश : 13 दिसंबर को मथुरा में यूपी की एक अदालत ने कथित हाथरस साज़िश मामले में केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और सात अन्य मुस्लिम मुलज़िमों के खिलाफ़ दर्ज मामले को लखनऊ में एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत में स्थानांतरित कर दिया।
अंग्रेजी न्यूज़ पोर्टल मकतूब मीडिया के समाचार के अनुसार केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के साथ कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया के नेता और छात्र अतीकुर रहमान, मसूद अहमद और दिल्ली के एक कैब ड्राइवर मुहम्मद आलम पिछले साल से जेल में बंद हैं। उन सभी को पिछले साल 5 अक्टूबर को एक दलित महिला के परिवार से मिलने के लिए हाथरस जाने के दौरान गिरफ़्तार किया गया था, जिसकी सवर्ण हिंदुओं द्वारा हत्या और बलात्कार किया गया था। तीन मुस्लिम युवक कैंपस फ्रंट ऑफ़ इंडिया के नेता रऊफ़ शरीफ़, केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया के कार्यकर्ता अंसद बदरुद्दीन और फिरोज़ ख़ान को भी पिछले साल दिसंबर में गिरफ़्तार किया गया था।
यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के अतिरिक्त महानिदेशक अमिताभ की जानकारी के अनुसार “मामला आरोपों के बीच यूएपीए चार्ज के तहत है। राज्यों में यूएपीए मामलों के लिए एक निर्दिष्ट अदालत है। अब तक, यूपी में यूएपीए के तहत मामलों के लिए एक निर्दिष्ट अदालत नहीं थी। लेकीन अब, लखनऊ एनआईए अदालत को राज्य के लिए यूएपीए अदालत के रूप में नामित किया गया है। कप्पन सहित आठ लोगों के खिलाफ़ मामले लखनऊ की एनआईए अदालत में स्थानांतरित कर दिए गए हैं।”
उन्होंने आगे बताया, “हमने मथुरा की स्थानीय अदालत को यूएपीए मामलों के लिए नामित की जाने वाली लखनऊ एनआईए अदालत के बारे में बताया था, इसलिए अदालत ने सोमवार को मामले को स्थानांतरित कर दिया।”
कप्पन के वकील विल्स मैथ्यूज ने नए घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हम मामले की तकनीकी पर ग़ौर कर रहे हैं।”
इस साल सितंबर में, केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अवमानना याचिका दायर की गई थी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के हाथों गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के ‘चिकित्सा अधिकारों’ के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।
यूपी एसटीएफ ने हाथरस गैंगरेप और हत्या के बाद, कप्पन और सात अन्य मुस्लिम युवाओं के खिलाफ़ लगभग 5,000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया, उन पर देशद्रोह और जातीय हिंसा भड़काने की साज़िश रचने का आरोप लगाया।
सभी आठ मुस्लिम मुलज़िमों के परिवार के सदस्यों ने उनके लिए न्याय की मांग करते हुए यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से कई विरोध प्रदर्शन किए थे।