Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home विचार

उत्तर प्रदेश समेत हर राज्य में भाजपा को नुकसान!:हरिशंकर व्यास

RK News by RK News
May 9, 2024
Reading Time: 1 min read
0

हां, किसी भी राज्य में भाजपा की सीटें नहीं बढ़ेंगी। उसे हर राज्य में नुकसान है। इस नुकसान को प्रति राज्य दो-चार सीट का मानें या आठ-दस सीटों का, कम-ज्यादा सभी राज्यों में है। भाजपा को हर उस राज्य में नुकसान होता हुआ है, जहां 2019 में मोदी की आंधी थी। जैसा मैंने पिछले सप्ताह लिखा, मेरी कसौटी राजस्थान है। मैं वहां भाजपा को चार सीटों का नुकसान बूझ रहा हूं। और राजस्थान में इतना भी नुकसान होना उन सभी राज्यों में भाजपा के लिए खतरे की घंटी है, जहां 2019 में उसकी जीत का वोट मार्जिन कुछ सौ वोटों से 50 हजार वोटों के बीच में था। सवाल है ऐसा क्यों होना चाहिए? इसलिए कि एक तो वोटिंग कम हो रही है। दूसरे, पूरे देश में मुस्लिम वोटों सहित दलित-आदिवासी और जातीय समीकरणों में यह कंफ्यूजन नहीं है कि मोदी को हराने के लिए बसपा को वोट दें या सपा-कांग्रेस को, नीतीश को वोट दें या लालू-कांग्रेस को। न महाराष्ट्र में कंफ्यूजन है और न बंगाल-ओडिशा में। तीसरा कारण लोगों में अपनी जिंदगी की चिंता पैदा होना है। मतलब महंगाई, बेरोजगारी जैसी बातें। इन सबसे बड़ा एक फैक्टर भाजपा के सीटिंग सांसदों के खिलाफ एंटी इंकम्बैंसी वाली नाराजगी या नए नौसखिए उम्मीदवारों के प्रति बेरूखी में लोकल जातीय समीकरणों व स्थानीय मुद्दों का हावी होना है। इन सबके कारण मोदी का जादू सिर चढ़ कर बोलता हुआ नहीं है।
इसलिए गुजरात, मध्य प्रदेश, छतीसगढ, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली के आठ राज्यों में 2019 की बंपर मार्जिन वाली भाजपा की 115 सीटों में रूखे-फीके चुनाव से कम ही सही लेकिन कुछ न कुछ नुकसान (जैसे राजस्थान में चार सीट, दिल्ली में एक-दो, हरियाणा में तीन-चार सीटों का) नुकसान निश्चित है। मगर इनसे अधिक उन बड़े राज्यों में भारी नुकसान है, जहां भाजपा ने 2019 में बहुत कम मार्जिन से सीटें जीती थी।
दूसरे शब्दों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, ओडिशा, बंगाल, झारखंड की 273 सीटों पर भाजपा इसलिए ज्यादा फंसी है क्योंकि इन प्रदेशों में 2019 में जीती सीटों में से बहुत सीटों पर चुनाव मात्र 181 वोटों से मतलब 0.0 प्रतिशत से दो, तीन, चार, आठ, दस  प्रतिशत वोट के अंतर से जीती थी। एक उदाहरण उत्तर प्रदेश है।
इस हकीकत को नोट करें। नरेंद्र मोदी की सुपर आंधी के बावजूद यूपी में भाजपा-सहयोगी की जीती 64 सीटों में से ऐसी 13 सीटें थी जो भाजपा ने 181 वोट (0.0 प्रतिशत, मछलीशहर) 4,729 वोट (0.4 प्रतिशत, मेरठ) और कई अन्य सीटें 15, 22 या 28 या 35 हजार के मार्जिन से जीती थी। इन सीटों पर तीसरा उम्मीदवार जीत के अंतर से बहुत ज्यादा वोट लिए हुए था। मतलब यूपी में करीबी मुकाबले (close contest) की ये सीटें हैं। सो, पहली बात भाजपा की जीती 64 सीटों में से तेरह पर तो कांटे का मुकाबला निश्चित है।
फिर इनके सहित यूपी में ऐसी कोई 27-28 सीटें हैं, जिनमें ओवरऑल भाजपा का कुछ हजार वोटों याकि 10 प्रतिशत वोट से कम अंतर पर जीतना था। ये सीटे हैं- मुजफ्फरनगर (0.6 प्रतिशत), कन्नौज (1.1 प्रतिशत), चंदौली (1.3 प्रतिशत), बलिया (1.6 प्रतिशत), बागपत (2.2 प्रतिशत), रामपुर (2.5 प्रतिशत), फिरोजाबाद (2.7 प्रतिशत), बस्ती (2.9 प्रतिशत), संत कबीरनगर (3.4 प्रतिशत), भदोही (4.2 प्रतिशत), कौशाम्बी (4.7 प्रतिशत), बंदायू (1.7 प्रतिशत), बांदा (5.7 प्रतिशत), अमेठी (5.8 प्रतिशत), सीतापुर (5 प्रतिशत), रॉबर्ट्संगज (5.5 प्रतिशत, अपना दल), इटावा (6 प्रतिशत) फैजाबाद, (6 प्रतिशत), मुरादाबाद (7.8 प्रतिशत), मोहनलालगंज (7 प्रतिशत), कैसरगंज (8.3 प्रतिशत), नगीना (9.8 प्रतिशत), मिशरिख (8.8 प्रतिशत), कुशीनगर (नौ प्रतिशत), कैराना (8.2 प्रतिशत), खिरी (10.2 प्रतिशत), आंवला (10.8 प्रतिशत) और बाराबंकी (9.5 प्रतिशत) सीटों को भाजपा ने 2019 में कम मार्जिन से जैसे-तैसे जीता था।
सो, पहली बात, यूपी में भाजपा को गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसी छप्पर फाड़ (लाखों वोटों के अंतर वाली) बहुमत से जीती सीटें पहले से ही कम हैं। इसलिए मुकाबला कांटे का होना स्वाभाविक है। कह सकते हैं यूपी में राममंदिर का भारी असर होगा। निश्चित ही होगा। लेकिन वह ब्राह्मण, बनिया, राजपूत और हार्डकोर मोदीभक्तों पर होगा। और इनकी वोट डालने में 2019 जैसी दिलचस्पी नहीं है यह मेरठ, नोएडा, गाजियाबाद जैसी जगह हो चुके मतदान से जाहिर है। दूसरी बात आश्चर्यजनक रूप से पश्चिम यूपी की तरह पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही भाजपा की कम मार्जिन वाली सीटें अच्छी खासी हैं। इनमें वहां बगल के बिहार के प्रभाव में व जातीय समीकरणों की तासीर वाली गणित से राम मंदिर की हवा फुस्स हो, लोकल इश्यू हावी हो, यह मुमकिन है।

RELATED POSTS

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

गजा और शान्ति:अमेरिका की दोहरी नीति, दोहरा चरित्र

ईस्ट इंडिया कंपनी भले खत्म हो गई, उसका डर फिर से दिखने लगा!

इस विश्लेषण का अर्थ यह नहीं है कि भाजपा पिछली 62 सीटों से लुढ़क कर 40-50 पर जा पहुंचेगी। अपना तर्क सिर्फ इतना है कि यूपी में भाजपा की सीटें बढ़ेंगी नहीं। वह कम होंगी। और इसके साथ फीके चुनाव, सीटिंग उम्मीदवार से नाराजगी के मूड में भाजपा यदि यूपी में आठ-दस सीटें भी गंवा बैठे तो भाजपा का अपना आंकड़ा 250 सीटों से नीचे होगा। ऐसा होना महाराष्ट्र, कर्नाटक, बिहार, ओडिशा, बंगाल, झारखंड की 2019 की भाजपा जीत की गणित से भी पुष्ट है।  (साभार :नया इंडिया)
(यह लेख के निजी विचार हैं)

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

विचार

Waqf पर सुनवाई:केंद्र ने कहा- वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जारी रहेंगे, सुप्रीम कोर्ट  अब 20 मई को मामले की सुनवाई करेगा

May 15, 2025
विचार

गजा और शान्ति:अमेरिका की दोहरी नीति, दोहरा चरित्र

May 12, 2025
विचार

ईस्ट इंडिया कंपनी भले खत्म हो गई, उसका डर फिर से दिखने लगा!

November 6, 2024
विचार

इस्लामोफोबिया से मुकाबला बहुत पहले शुरू हो जाना था:–राम पुनियानी

September 16, 2024
विचार

क्या के.सी. त्यागी द्वारा इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने के आह्वान के कारण उन्हें अपना पद गँवाना पड़ा?

September 5, 2024
विचार

नए अखिलेश का उदय:—प्रभु चावला

July 28, 2024
Next Post

मोदी के चुनाव भाषण: झूट और नफ़रत का सैलाब

अरविंद केजरीवाल ने 'केजरीवाल की 10 गारंटी' की घोषणा करते हुए क्या कहा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

नेगेटिव’ ख़बरों की जांच करें अधिकारी, ग़लत पाए जाने पर मीडिया से जवाब मांगे: यूपी सीएमओ

August 19, 2023

राहुल का संघ पर हमला कहा, आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों की मदद की

October 8, 2022

चीन के चक्कर में पुराने दोस्त भारत से क्यों रिश्ता खराब कर रहा है मालदीव?

January 9, 2024

Popular Stories

  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • दुआएं कुबूल, हल्द्वानी में नहीं चलेगा बुलडोजर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • डॉ अली खान: मुसलमानों की जनतांत्रिक ज़ुबान को भी तराशने की तैयारी
  • ऊंची जाति के लोग नेता होंगे मुसलमान भिखारी होंगे’ असदुद्दीन ओवैसी ने भागवत के बयानों को पाखंड से भरा बताया
  • 50Civil societyorganisationsने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर पहलगाम आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग की

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi