दिल्ली की एक अदालत का कहना है कि जब तक किसी आरोपी को दोषी करार नहीं दिया जाता है, तब तक उसे जेल में रखकर सजा नहीं दी जा सकती है. अदालत एक मामले पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक व्यक्ति पर 12 लाख रुपये की घूस लेने का आरोप था. कोर्ट ने आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए ये टिप्पणी की.
दरअसल, कई मामलों में देखने को मिलता है कि अगर किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है, तो अदालत सुनवाई पूरी होने तक उसे जेल भेज देती है.
Tv9bharatwarsh के अनुसार स्पेशल जज सुनेना शर्मा ने ऋषि राज को जमानत दी. उनका कहना है कि किसी आरोपी को तब तक निर्दोष माना जाता है, जब तक वह दोषी साबित नहीं हो जाता है. इसे आपराधिक न्यायशास्त्र के बुनियादी सिद्धांतों में से एक माना जाता है. 17 जुलाई को पारित आदेश में कहा गया कि अगर पहली नजर में आरोपी किसी अपराध के लिए दोषी है, तो उसे दोषी ठहराए जाने तक दंडित करने की अप्रत्यक्ष प्रक्रिया में जमानत से इनकार नहीं किया जा सकता.
जज सुनेना शर्मा ने कहा कि आरोपी को एक महीने से ज्यादा समय से न्यायिक हिरासत में रखा गया है. सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (CBI) के पास कथित लेनदेन की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी पहले से ही मौजूद है. उनका कहना है कि आरोप एक लोकसेवक था. सर्विस के दौरान उसके ऊपर इस तरह का एक भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया.
हालांकि, उसे इस मामले की वजह से ही सस्पेंड किया गया था. आरोपी को 50,000 रुपये के जमानती बॉन्ड और इतनी ही राशि के दो मुचलके पेश करने का निर्देश अदालत से मिला है. अदालत ने ये भी कहा कि अगर सीबीआई को लग रहा था कि आरोपी जमानत का गलत इस्तेमाल कर सकता था, तो उसे अदालत आना चाहिए था.