नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि देश भर की विभिन्न अदालतों में लंबित मामले पांच करोड़ के आंकड़े को छूने जा रहे हैं।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि एक जुलाई तक सुप्रीम कोर्ट में 72,062 मामले लंबित हैं, जबकि 25 जुलाई तक देश के 25 हाई कोर्ट्स में 59,55,873 मामले लंबित थे।
रिजिजू ने बताया कि जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 4.23 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक, विभिन्न अदालतों में कुल 4.83 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं।
प्रश्न “क्या सरकार ने विभिन्न अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामलों के कारणों का आकलन किया है” 26 लोकसभा सदस्यों द्वारा पूछा गया था।
रिजिजू ने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का निपटारा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में है। संबंधित अदालतों द्वारा विभिन्न प्रकार के मामलों के निपटारे के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि अदालतों में मामलों के निपटारे में सरकार की कोई सीधी भूमिका नहीं है।
रिजिजू ने कहा कि अदालतों में मामलों का समय पर निपटारा कई चीजों पर निर्भर करता है जिनमें पर्याप्त संख्या में जजों और न्यायिक अधिकारियों की उपलब्धता, सहायक अदालत के कर्मचारी, तथ्यों की जटिलता, साक्ष्यों की प्रकृति, जांच एजेंसियों, गवाहों, वादी और नियम एवं प्रक्रियाएं शामिल हैं