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किया मुसलमान भारत के जेलों में सड़ने के लिए ही बने हैं?

पत्रकार सिद्दीक कप्पन केस उदाहरण है!

RK News by RK News
July 10, 2021
Reading Time: 1 min read
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किया मुसलमान भारत के जेलों में सड़ने के लिए ही बने हैं?

विक्रम सिंह चौहान

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सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ राजद्रोह के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि देशद्रोह पर केदार नाथ सिंह के फैसले के तहत हर पत्रकार सुरक्षा का हकदार होगा. सुनने में और पढ़ने में ये शब्द अच्छा लग रहा है. पर हक़ीकत क्या है ये देश जानता है. जो नहीं जानते हैं वे मुझसे सुन लें.

केरल के एक पत्रकार सिद्दीक कप्पन अपने दोस्तों के साथ हाथरस में 17 सितंबर 2020 को सामूहिक बलात्कार की पीड़िता दलित लड़की की मौत के बाद उनके परिवार के सदस्यों से मिलने ,खबर बनाने उनके गांव जा रहे थे. पुलिस ने रास्ते से उठा लिया और उन्हें पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का सदस्य बता दिया.

उनपर व उनके साथियों पर राजद्रोह व दंगे भड़काने का मामला लगा दिया और जेल में ठूंस दिया. पहले पुलिस ने अदालत को बताया कि कप्पन और उनके साथी पीएफआई के सदस्य हैं ,लेकिन एक सबूत जुटा नहीं पाए.

फिर कहा इनका अखबार तेजस पीएफआई का मुखपत्र है और सिमी से इनके तार जुड़े हुए हैं. कमाल यह है कि इसका भी सबूत नहीं जुटा पाए.फिर कहा ये पत्रकार ही नहीं है इनका अखबार तीन साल पहले बंद हो गया है.फिर कहा इनका अखबार पहले ओसामा बिन लादेन को शहीद बताता था. तमाम झूठे आरोप लगाए गए. फिर भी न उच्च न्यायालय ने और न सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें जमानत दिया. सुप्रीम कोर्ट तो कई माह बाद केस सुना.

सिद्दीक कप्पन का न्यायिक हिरासत बढ़ता गया. जेल में उन्हें लंबे समय तक वकीलों से मिलने नहीं दिया गया. उनके साथ जमकर मारपीट की गई.पिछले दिनों सिद्दीक कप्पन को कोरोना हो गया.उन्हें मथुरा अस्पताल में चारपाई के साथ चेन से बांधा गया था जैसे कोई बड़ा आतकंवादी हो.पेशाब के लिए एक प्लास्टिक बोतल लटका दिया गया था. सिद्दीक कप्पन की तबीयत अभी भी बहुत खराब है. केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट ने अपनी याचिका में कहा है सिद्दीकी कप्पन सक्रिय पत्रकार हैं. फिर भी सुप्रीम कोर्ट उन्हें राजद्रोह से राहत नहीं दे रहा. जिस पीएफआई से उनका लिंक जोड़ा जा रहा है वह भी इस देश में प्रतिबंधित संगठन नहीं है.

मुझे तो लगता है धर्म इस्लाम और नाम में मुसलमान हो तो भारत के जेलों में आप सड़ने के लिए ही बने हैं. आखिर केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को किस जुर्म की सजा दी जा रही है ? क्या एक मुसलमान पत्रकार नहीं हो सकता ? क्या एक मुसलमान पत्रकार देश के दूसरे राज्य जाकर संवेदनशील मामलों की रिपोर्टिंग नहीं कर सकता ?

Tags: सिद्दीक कप्पन
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