Roznama Khabrein
No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
اردو
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو
No Result
View All Result
No Result
View All Result
Home समाचार

अमृत महोत्सव: निर्वासित सरकार के पहले प्रधानमंत्री मौलाना बरकतउल्लाह थे

RK News by RK News
August 14, 2022
Reading Time: 1 min read
0
अमृत महोत्सव: निर्वासित सरकार के पहले प्रधानमंत्री मौलाना बरकतउल्लाह थे

मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली भारत की पहली निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री थे. इन्होंने पहली सरकार का गठन 1 दिसंबर, 1915 को अफ़ग़ानिस्तान में किया और उस सरकार में उनके साथ राष्ट्रपति थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह.

RELATED POSTS

मालेगांव ब्लास्ट: जांच एजेंसियां लगातार विफल हो रही हैं,उनको भंग कर देना चाहिए:जमीअत उलमा-ए-हिंद

Up, Bulan Shahar: इंस्पेक्टर सुबोध हत्याकांड में 38 दोषी, जानें अख़लाक केस से संबंध

मालेगांव ब्लास्टः पीड़ितों का दर्द ,17साल बाद भी इन्साफ नहीं मिला,भरोसा टूटा, पर हिम्मत नहीं हारी, suprem court जाएंगे

वही उबेदुल्लाह सिंधी इस सरकार में गृह मंत्री थे. इनकी दोस्ती हिंदू-मुस्लिम एकता की भी मिसाल रही है. 1 दिसंबर का दिन इसलिये चुना गया क्योंकि इसी दिन राजा महेंद्र प्रताप सिंह की पैदाइश हुई थी.

लेकिन भोपाल से ताअल्लुक रखने वाले बरकतुल्लाह भोपाली वो क्रांतिकारी नेता हैं जिन्हें सरकारों ने लगभग भुला ही दिया है.

भोपाल में बरकतुल्लाह भोपाली के नाम पर शहर की यूनिवार्सिटी का नाम ज़रूर है लेकिन पिछले कुछ सालों में इस यूनिवर्सिटी के नाम को बदलने की भी मांग होती रही है.

आज जब देश आज़ादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है तब इतिहासकार और शहर से जुड़े लोगों का कहना है कि बरकतुल्लाह भोपाली को भुला देना मतलब अपने इतिहास से ऐसे व्यक्ति की यादों को मिटा देना है जिसने हिंदुस्तान की आज़ादी में एक अहम रोल अदा किया.

इतिहासकार अशर किदवई का कहना है कि जो भी सरकारें रही हैं उन्होंने सिर्फ अपनों को बढ़ाया और हक़ीक़त में जिनका योगदान रहा उन्हें भुला दिया गया.

उन्होंने कहा, “बरकतुल्लाह भोपाली भी उन्ही में से एक थे. देख लीजिये चाहे कांग्रेस जब थी तो उसने उन्हें ही बढ़ाया जो कांग्रेस से जुड़े क्रांतिकारी थी. अब जो सरकार है उसके लिये बरकतुल्लाह भोपाली को देखने का नज़रिया ही अलग है. इसलिये सिर्फ एक यूनिवर्सिटी का नाम रख दिया गया है उसके अलावा आपको इस शहर में ऐसी कोई चीज़ नज़र नहीं आएगी जो बताए कि बरकतुल्लाह भोपाली कौन थे और उनका योगदान क्या था.”

वहीं सैयद इफ्तिख़ार, जिन्होंने मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली पर लिखी गई किताब का अनुवाद किया है उन्होंने बताया कि, “बरकतुल्लाह भोपाली ने देश के बाहर रह कर देश की आज़ादी के लिये काम किया. वो लगातार अंतराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे मुल्कों में भारत की आवाज़ को बुलंद करते रहे ताकि लोगों को ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ एकजुट किया जा सकें. उन्हें हिंदुस्तान में बोलने की आज़ादी नही थी इसलिये वो बाहर चले गये.”

हालांकि सैयद इफ्तिख़ार का मानना है कि अब जो हुकूमत है वो ऐसी है कि उसने सभी असली क्रांतिकारियों को भुला दिया है.

बरकतुल्लाह यूथ फोरम भोपाल के कॉर्डिनेटर अनस अली आरोप लगाते हैं, “हुकूमत चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की दोनों ने बरकतुल्लाह भोपाली को जो सम्मान देना था वो नहीं दिया.”

अनस अली, बरकतुल्लाह यूथ फोरम भोपाल के ज़रिये बरकतुल्लाह भोपाली की यादों को ताज़ा रखने के लिये हर साल कई कार्यक्रम आयोजित करवाते हैं.

वो कहते हैं, “भोपाल में बरकतुल्लाह भोपाली के नाम पर एक यूनिवर्सिटी है. वो भी 1980 में उस वक़्त के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की देन से, जब भोपाल यूनिवर्सिटी का नाम बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी किया गया. उसके बाद से आज तक किसी सड़क, चौराहे, ब्रिज या स्टेशन का नाम बरकतुल्लाह भोपाली के नाम पर नहीं रखा गया. यह सबसे छोटी चीज़ है जो शहर उनके लिये कर सकता है.”

वो आगे कहते हैं, “यहां तक उनकी जयंती या पुण्यतिथि पर सरकारी प्रोग्राम तो दूर सरकार की तरफ़ से श्रद्धांजलि तक नहीं दी जाती यही रवैया विपक्षी दल का भी रहता है.”

आठ भाषाएं जानते थे बरकतुल्लाह

अशर किदवई कहते हैं, “किताबों तक में आप नहीं देखेंगे कि उनका कोई चैप्टर हो. वो सिर्फ उर्दू कि एक किताब में ज़रूर पढ़े जाते हैं लेकिन उर्दू पढ़ने वाले बच्चे कितने हैं. जबकि वो ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने राजा महेंद्र सिंह, लाला हरदयाल जैसे लोगों के साथ मिलकर काम किया और उनके साथ मिलकर आज़ाद भारत का ख्वाब देखा.”

बरकतुल्लाह भोपाली का जन्म 7 जुलाई 1854 को भोपाल के इतवारे इलाके में हुआ था. उनके पिता शुजाअत उल्लाह खान भोपाल हुकूमत में पुलिस में थे. बरकतुल्लाह भोपाली ने अपनी तालीम भोपाल के रेतघाट स्थित सुलेमानियां स्कूल से की थी जो आज भी मौजूद है. उसके बाद वो मुंबई चले गये.

बरकतुल्लाह भोपाली को कैलीग्राफी भी आती थी. इसके अलावा अरबी, फ़ारसी, इंग्लिश, जापानी सहित उन्हें आठ भाषाओं का ज्ञान था.

शिक्षा प्राप्त करने के बाद शुरुआत दौर में उसी स्कूल में शिक्षक के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया था. उसके बाद ब्रिटिश विरोधी नज़रिया रखने की वजह से वो भोपाल छोड़कर चले गये. वो मुंबई पहुंच गये और वहां पर वो फिर से एक स्कूल में पढ़ने लगे ताकि अंग्रेज़ी की शिक्षा ले सकें.

1887 में वो लंदन चले गये और वहां पर उर्दू, अरबी और फ़ारसी पढ़ाने लगे. साथ ही वो ख़ुद जर्मन, फ्रेंच और जापानी सीखने लगे. उसके बाद वो ओरियंटल कॉलेज ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपूल में पढ़ाने लगे. इस दौरान वो इंडिया हाउस में लगातार भारतीय क्रांतिकारियों के संपर्क में आते रहे और वो वहां रहकर ब्रिटिश हुकूमत के ख़िलाफ़ झंडा बुलंद करते रहे.

इंग्लैंड के बाद वो अमेरिका (1903), जापान (1909), जर्मनी (1914), तुर्की ,अफगानिस्तान (1915), सोवियत यूनियन (1919), फ्रांस और रोम (1924) में गये. उन्होंने जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी में अरबी की शिक्षा भी दी.

गोखले और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रेरित थे

बरकतुल्लाह भोपाली गोपाल कृष्ण गोखले और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से भी काफी प्रभावित थे. बरकतुल्लाह भोपाली वो व्यक्ति थे जिन्होंने देश के बाहर रह कर विदेश में अंग्रेज़ विरोधी गतिविधियों को आगे बढ़ाया जिसकी वजह से उन्हें सम्मान प्राप्त हुआ.

उन्होंने विदेश में रहकर अंग्रेज़ विरोधी खैमा तैयार किया, इसके लिये एक देश से दूसरे देश की यात्रायें कीं, उनके राष्ट्र प्रमुखों से मुलाकात की. जिसमें रूस के लेनिन भी शामिल रहे हैं. बरकतुल्लाह भोपाली की विदेश यात्राओं का मक़सद ब्रिटिश विरोधी शक्तियों को जोड़ना था.

बरकतुल्लाह भोपाली ग़दर पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. उनकी ख़ासियत यह रही है कि ग़दर पार्टी के अख़बार ग़दर के संपादक भी बरकतुल्लाह भोपाली थे जो अंग्रेज़ विरोधी इंक़लाबी तहरीर लिखा करते थे.

बरकतुल्लाह भोपाली की मौत अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को में 20 सितंबर 1927 को हुई. उन्हें इस उम्मीद के साथ दफ़नाया गया था कि जब हिंदुस्तान आज़ाद हो जाएगा तो उनके जिस्म को हिंदुस्तान में दफ़न किया जाएगा लेकिन ऐसा न हो सका.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार प्रोफ़ेसर बरकतुल्लाह भोपाली ने कहा, “मैंने ईमानदारी के साथ अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए संघर्ष किया है पर आज जब मैं इस दुनिया को छोड़ रहा हूँ मुझे अफ़सोस है. मैं देश को स्वतंत्र नहीं देख सका पर मुझे विश्वास है लाखों देशभक्त बहादुर ईमानदार नौजवान आगे आएंगे और इस देश को आज़ाद करायेंगे मैं अपने देश का भाग्य उन वीरों को सौंपता हूं.”

“बरकतुल्लाह भोपाली देश के लिए जिए देश के लिए मरे.”

आभार: बीबीसी हिंदी

ShareTweetSend
RK News

RK News

Related Posts

समाचार

मालेगांव ब्लास्ट: जांच एजेंसियां लगातार विफल हो रही हैं,उनको भंग कर देना चाहिए:जमीअत उलमा-ए-हिंद

July 31, 2025
समाचार

Up, Bulan Shahar: इंस्पेक्टर सुबोध हत्याकांड में 38 दोषी, जानें अख़लाक केस से संबंध

July 31, 2025
समाचार

मालेगांव ब्लास्टः पीड़ितों का दर्द ,17साल बाद भी इन्साफ नहीं मिला,भरोसा टूटा, पर हिम्मत नहीं हारी, suprem court जाएंगे

July 31, 2025
समाचार

मालेगांव धमाका केस में सभी आरोपी बरी,साध्वी प्रज्ञा बोलीं,यह भगवा की जीत

July 31, 2025
Uncategorized

सीएए विरोधी प्रदर्शनों में जेल में बंद  शरजील इमाम  का बिहार चुनाव लड़ने का फैसला

July 30, 2025
समाचार

ग़ज़ा में नरसंहार पर पीएम की ‘शर्मनाक चुप्पी, मानवता के खिलाफ अपमान,अत्याचारों के खिलाफ बोलें: सोनिया

July 29, 2025
Next Post

जामिया ने मनाया 'विभाजन भयावह स्मरण दिवस', प्रदर्शनी व मैराथन का आयोजन

सीएम अरविंद केजरीवाल ने 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर त्यागराज स्टेडियम में आयोजित ‘हर हाथ तिरंगा’ समारोह का किया नेतृत्व

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recommended Stories

एक और दावा:मुरादाबाद में सरकारी भूमि पर वक्फ की 200 से अधिक संपत्तियां, जाैहर विवि भी शामिल

January 24, 2025

किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहनाअशोभनीय , मगर अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट ।

March 4, 2025

कृपया हमारा बजट पास कर दें: पीएम को केजरीवाल की चिट्ठी

March 21, 2023

Popular Stories

  • दिल्ली में 1396 कॉलोनियां हैं अवैध, देखें इनमें आपका इलाका भी तो नहीं शामिल ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • मेवात के नूह में तनाव, 3 दिन इंटरनेट सेवा बंद, 600 परFIR

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • कौन हैं जामिया मिलिया इस्लामिया के नए चांसलर डॉक्टर सैय्यदना सैफुद्दीन?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • NCERT Recruitment 2023 में नौकरी पाने का जबरदस्त मौका, कल से शुरू होगा आवेदन, जानें तमाम डिटेल

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में महिला यूट्यूबर ज्योति गिरफ्तार, पूछताछ में किए बड़े खुलासे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नूपुर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- बयान के लिए टीवी पर पूरे देश से माफी मांगे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Roznama Khabrein

The Roznama Khabrein advocates rule of law, human rights, minority rights, national interests, press freedom, and transparency on which the newspaper and newsportal has never compromised and will never compromise whatever the costs.

More... »

Recent Posts

  • मालेगांव ब्लास्ट: जांच एजेंसियां लगातार विफल हो रही हैं,उनको भंग कर देना चाहिए:जमीअत उलमा-ए-हिंद
  • Up, Bulan Shahar: इंस्पेक्टर सुबोध हत्याकांड में 38 दोषी, जानें अख़लाक केस से संबंध
  • मालेगांव ब्लास्टः पीड़ितों का दर्द ,17साल बाद भी इन्साफ नहीं मिला,भरोसा टूटा, पर हिम्मत नहीं हारी, suprem court जाएंगे

Categories

  • Uncategorized
  • अन्य
  • एजुकेशन
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • विचार
  • समाचार
  • हेट क्राइम

Quick Links

  • About Us
  • Support Us
  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Grievance
  • Contact Us

© 2021 Roznama Khabrein Hindi

No Result
View All Result
  • होम
  • समाचार
  • देश-विदेश
  • पड़ताल
  • एजुकेशन
  • विचार
  • हेट क्राइम
  • अन्य
  • रोजनामा खबरें विशेष
  • اردو

© 2021 Roznama Khabrein Hindi