नई दिल्ली: स्कूली किताब में माता पिता की जगह अम्मी अब्बू होने पर वबाल मच गया । किसी समाचार को किस तरह से जहरीला रंग दिया जा सकता है वह “zee news ऑनलाइन” खबर में देखा जासकता है। समाज के अंदर इसी तरह जहर घोला आजा रहा है यानि माता पिता पढ़ाना तो ठीक है, देशहित में है ,लेकिन अम्मी और अब्बू पढ़ाने से हिंदू धर्म खतरे में पड़ जाता है जी न्यूज की इस खबर को पढ़ें और देखिए समाज को किस तरह नफरत की आग में झोंका जा रहा है
“राजिस्थान में शिक्षा नगरी के नाम से मशहूर कोटा (Kota) से बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां शिव ज्योति कान्वेंट स्कूल की दूसरी क्लास के सिलैबस में मौजूद कंटेट के जरिए शिक्षा के इस्लामीकरण करने (Islamization of Education) का आरोप लगा है. इस स्कूल में 6 से 7 साल के बच्चों के दिमाग में उनकी किताब में लिखे शब्दों का क्या असर पड़ रहा है जब ये बात उनके परिजनों को पता चली तो मानो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई.
बच्चों को पढ़ाया जा रहा अम्मी-अब्बू
इस प्राइवेट स्कूल की बुक में उर्दू के शब्दों का जितना इस्तेमाल हुआ है मानो ये किसी मदरसे की किताब हो. यही वजह है कि इसमें मौजूद उर्दू शब्दों की भरमार होने की वजह से बच्चों की आदतों में कुछ बदलाव आने लगा तो सच्चाई पता चलते ही बवाल मच गया. एक इंग्लिश मीडियम स्कूल की क्लास-2 की किताब में ऐसा सिलैबस है जिसके कंटेट की शिकायत शिक्षा विभाग से की गई है. इस किताब में नॉन मुस्लिम बच्चों को मंमी-पापा या मां और पिता जी की जगह अम्मी-अब्बू पढ़ाया जा रहा है. इसी तरह इस किताब में फारुक-बिरयानी जैसे कई शब्द हैं मानों यहां बच्चे सामान्य स्कूली शिक्षा न लेकर उर्दू भाषा का ज्ञान सीखने आए हों. 6 से 7 साल के मासूम बच्चों के दिमाग में बचपन से यहां जो भरा जा रहा है उसको लेकर शुरू हुआ विवाद बहुत आगे तक निकल गया है”.