अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार (7 सितंबर 2025) को पत्रकारों के सवाल का जबाव देते हुए कहा कि हां वह रूस पर पहले के मुकाबले प्रतिबंध को बढ़ा सकते हैं. ट्रंप की इस हां का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है, क्योंकि इससे पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर अधिक टैरिफ लगाने की बात कही थी. बेसेंट का तर्क है कि रूस को आर्थिक रूप से तबाह किए बिना पुतिन को बातचीत की मेज पर लाना असंभव है.
भारत को इस नीति का सबसे बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि भारत रूस से कच्चा तेल बड़ी मात्रा में आयात कर रहा है. यह कदम भारतीय ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से अहम है, लेकिन अमेरिका का मानना है कि तेल खरीदने की वजह से रूस को आर्थिक रूप से फायदा मिल रहा है, जिसका इस्तेमाल वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कर रहा है.
भारत पर अमेरिकी टैरिफ का खतरा
अमेरिकी वित्त मंत्री ने सीधे भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी तरफ से दिए गए बयान का इशारा साफ था. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ मिलकर रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर (secondary sanctions) और अधिक टैरिफ लगाते हैं तो रूस की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी. भारत पहले ही रूस से तेल खरीदने की वजह से 25% अतिरिक्त टैरिफ का सामना कर रहा है, जिसके चलते टोटल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है. वाशिंगटन में शीर्ष अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में भारत पर और अधिक दबाव डाला जा सकता है. हालांकि, इस मामले पर भारत का कहना है कि उसका तेल आयात पूरी तरह राष्ट्रीय हित में है और वह किसी तीसरे देश की राजनीति से प्रभावित होकर अपनी नीति नहीं बदलेगा.
अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट का दावा है कि अगर रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों पर और अधिक सेकेंडरी टैरिफ लगाते हैं तो रूसी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी”-
स्कॉट बेसेंट ने एनबीसी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने यूरोपीय आयोग कू अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ एक बहुत ही सार्थक बातचीत की. शुक्रवार को कॉल पर यह बातचीत की गई और उन्होंने चर्चा की कि रूस पर अधिक दबाव बनाने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) क्या कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि “अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ एक साथ आ सकते हैं, अधिक प्रतिबंध लगा सकते हैं, रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर सेकेंडरी टैरिफ लगा सकते हैं, तो रूसी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगी और राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन को मेज पर आना पड़ेगा.”
बेसेंट और व्यापार सलाहकार पीटर नवारो सहित ट्रंप प्रशासन के कई अधिकारियों ने कहा है कि भारत रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन में रूस के जंग की फंडिंग कर रहा है. वहीं भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को अनुचित बताया है. रूस से कच्चा तेल खरीदने का बचाव करते हुए, भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद उसकी अपनी जरूरत के हिसाब से है.