वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या किसी हिंदू ट्रस्ट के बोर्ड में भी गैर-मुस्लिम सदस्य हैं. कोर्ट ने तिरुमाला तिरुपति बाला जी का भी जिक्र किया. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किए जाने पर याचिकाकर्ताओं की आपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ये सवाल पूछा है.बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार की बेंच वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. सीजेआई संजीव खन्ना ने वक्फ सदस्यों को लेकर केंद्र से सवाल करते हुए कहा, कानून के अनुसार 8 सदस्य मुस्लिम होंगे, जबकि 2 मुस्लिम नहीं हो सकते तो बाकी तो गैर-मुस्लिम हुए.
सीजेआई संजीव खन्ना ने एसजी मेहता से पूछा कि क्या हिंदुओं की धार्मिक ट्रस्ट के अनुसार गैर-हिंदुओं को बोर्ड में शामिल होने की इजाजत है. जस्टिस संजय कुमार ने भी केंद्र से पूछा और कहा कि कोई उदाहरण बताएं… क्या तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर में गैर-हिंदू हैं. जजों के सवाल पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वह कोई उदाहरण नहीं देना चाहते हैं, लेकिन मंदिर का वैधानिक पर्यवेक्षण एक कमेटी करती है, जिसमें मुस्लिम हो भी सकते हैं और नहीं भी. उनके जवाब पर जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि निकटम उदाहरण तो हिंदू धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम है और हिंदू समुदाय ही इसका संचालन कर रहा है.
सीजेआई ने वक्फ बोर्ड के सदस्यों को लेकर किए गए बदलावों पर सवाल किया और कहा कि 8 मुस्लिम हैं और 2 मुस्लिम नहीं हो सकते यानी वो गैर-मुस्लिम होंगे. सीजेआई की इस बात पर एसजी मेहता ने कहा कि तब तो ये बेंच भी इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकती. सीजेआई संजीव खन्ना ने उन्हें टोका और कहा, ‘क्या, जब हम कुर्सी पर बैठते हैं तो हम धर्म को भूल जाते हैं. हमारे लिए दोनों पक्ष एक समान हैं. आप इस बात की जजों के साथ तुलना कैसे कर सकते हैं. अगर आप ऐसा कह रहे हैं तो क्यों न हिंदू बंदोबस्ती में भी गैर-हिंदुओं को शामिल किया जाए.’
सीजेआई ने तुषार मेहता से कहा, ‘मिस्टर मेहता क्या आप कह रहे हैं कि मुसलमानों को भी हिंदू बंदोबस्ती के बोर्ड में अनुमति है. खुलकर बोलिए.’ एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका है, जो वक्फ कानून से शासित नहीं होना चाहता, तो वो अब अपना ट्रस्ट बना सकते हैं. सीजेआई संजीव खन्ना ने एसजी मेहता से कहा कि कानून में पॉजिटिव चीजें हैं, लेकिन कुछ पॉइंट हैं जो चिंता का विषय हैं.आभार abpnews