नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के चौथे चरण में आज उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत 10 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 96 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है. इस चरण में 1717 प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर है, जिनके लिए 17.48 करोड़ वोटर्स मतदान कर सकेंगे. भाजपा नीत राजग के इन 96 लोकसभा सीट में से 40 से अधिक पर वर्तमान में सांसद हैं. लोकसभा चुनाव के पहले तीन चरणों में क्रमशः 66.14 प्रतिशत, 66.71 प्रतिशत और 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ था. कम वोटिंग प्रतिशत को लेकर प्रधानमंत्री कई बार चिंता जता चुके हैं. वह हर बार ‘पहले मतदान, फिर जलपान’ की अपील मतदाताओं से करते हैं. इस बार वोटिंग प्रतिशत काफी कुछ बयां कर रहा है.
2019 लोकसभा चुनाव से कम रहा है मतदान प्रतिशत
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले फेज की वोटिंग में 65.5 प्रतिशत वोट डाले गए थे. दूसरे फेज में 66.00% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वहीं, तीसरे चरण में 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ. अगर 2019 के मुकाबले तीनों चरणों में इस बार कम वोटिंग हुई है. चौथे दौर में जिन 96 सीटों पर मतदान हो रहा है उनमें 2019 में 69.12% मतदान हुआ था. इसके अलावा 2019 लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 69.96 प्रतिशत, दूसरे चरण में 70.09% और तीसरे चरण में 66.89 फीसदी मतदान हुआ था.
लोकसभा चुनाव 2024 : दोपहर 3 बजे तक 52.6 प्रतिशत मतदान
• पश्चिम बंगाल – 66.1%
• मध्य प्रदेश – 59.6%
• झारखंड – 56.4%
• तेलंगाना – 52.3%
• आंध्र प्रदेश – 55.5%
• उत्तर प्रदेश – 48.4%
• ओडिशा – 52.9%
• बिहार – 45.2%
• महाराष्ट्र – 42.4%
• जम्मू-कश्मीर – 29.9%
मतदाताओं के मूड को समझना आसान नहीं
राजनीति में भविष्यवाणी करना वैसे बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि मतदाताओं के मूड को समझना आसान नहीं होता. लेकिन कम वोटिंग प्रतिशत को आमतौर पर सत्ता पक्ष के विरूद्ध देखा जाता है. पिछले 12 में से 5 चुनावों में मतदान प्रतिशत में गिरावट देखने को मिले है. जब-जब मतदान प्रतिशत में कमी आई है, तब 4 बार सरकार बदल गयी है. वहीं एक बार सत्ताधारी दल की वापसी हुई है. 1980 के चुनाव में मतदान प्रतिशत में गिरावट हुई थी और जनता पार्टी की सरकार सत्ता से हट गयी. जनता पार्टी की जगह कांग्रेस की सरकार बन गयी थी. वहीं 1989 में एक बार फिर मत प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गयी और कांग्रेस की सरकार चली गयी थी. विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी थी. 1991 में एक बार फिर मतदान में गिरावट हुई और केंद्र में कांग्रेस की वापसी हो गयी. 1999 में मतदान में गिरावट हुई लेकिन सत्ता में परिवर्तन नहीं हुआ. वहीं 2004 में एक बार फिर मतदान में गिरावट का फायदा विपक्षी दलों को मिला था. हालांकि, राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस बार ऐसा देखने को नहीं मिलेगा. (साभार NDTV इंडिया)