नई दिल्ली:(विशेष समाचार)
•सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2019 में धारा 370 ख़त्म करने का फ़ैसला संवैधानिक था।
•सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर की कोई संप्रभुता नहीं रही।
•सीजेआई ने कहा कि ऐतिहासिक संदर्भ को पढ़ने पर पता चलता है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है
•सीजेआई बोले- 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का अस्तित्व ख़त्म होने के बाद भी अनुच्छेद 370 समाप्त होने की उद्घोषणा जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति कायम है
•सीजेआई बोले- यह माना जाए कि जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को भंग करने के बाद राष्ट्रपति के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है, तो एकीकरण की प्रक्रिया रुक जाएगी।
•सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल हो। राज्य में चुनाव सितंबर 2024 तक कराए जाएं।
•सीजेआई ने कहा कि अगस्त 2019 में राष्ट्रपति आदेश जारी करने के लिए अनुच्छेद 370(3) के तहत शक्ति के प्रयोग में कोई दुर्भावना नहीं है।
सीजेआई ने कहा कि भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं।
•सीजेआई चंद्रचूड़ ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को भी बरकरार रखा।
•सीजेआई की सहमति में जस्टिस एसके कौल ने कहा कि अनुच्छेद 370 का उद्देश्य धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों के बराबर लाना था।
अपने फ़ैसले में जस्टिस खन्ना ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का सूचक नहीं है।
•जस्टिस खन्ना ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से संघवाद खत्म नहीं होगा।
•जस्टिस संजय कौल ने कहा, ‘सेनाएं दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए होती हैं… राज्य में कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए नहीं। …पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने भारी कीमत चुकाई है। (साभार सत्य हिंदी)