जुनैद और नासिर की हत्या के एक हफ्ते बाद राजस्थान के भरतपुर में उनके गांव घाटमीका (Ghatmeeka) में उनके परिवार के सदस्यों और गांव के लोगों ने राजस्थान कांग्रेस सरकार पर “खामोश रहने” के लिए “दबाव” बनाने का और घर आने का आरोप लगाया है.
जुनैद और नासिर के चचेरे भाई मोहम्मद जाबिर और उनके साथियों का जो धरने पर बैठे हैं कहना है कि “राजस्थान सरकार पहले दिन से ही हमें चुप कराने की कोशिश कर रही है, हमारे प्रदर्शन के खिलाफ नोटिस हमारी आशंका को सच साबित करता है कि यह सरकार मुजरिमों को सजा दिलाने में दिलचस्पी नहीं रखती है,
वह जिस नोटिस का जिक्र कर रहे हैं, वह गुरुवार 23 फरवरी को CrPC की धारा 107/116 के तहत जाबिर और दूसरे गांव वालों को दिया गया है, जो जुनैद और नासिर के लिए इंसाफ की मांग को लेकर हत्या के दिन से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. कारण बताओ नोटिस में प्रदर्शनकारियों को 27 फरवरी को पहाड़ी के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट की अदालत में हाजिर होने और अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है कि “शांति बनाए रखने” के लिए क्यों न उन पर छह महीने के लिए पाबंदी लगा दी जाए.
यह नोटिस राजस्थान पुलिस की तरफ से हत्या के मामले में आरोपियों का पोस्टर जारी करने के एक दिन बाद आया है. इस पोस्टर में आठ नाम और फोटो हैं, मगर ध्यान देने वाली बात है कि इसमें से बजरंग दल का नेता मोनू मानेसर गायब है.
हाफिज जाबिर ने रोजनामा खबरें को बताया कि नोटिस देकर हमें डराने की कोशिश की गई है, अफसोस के बाकी है कि जुनैद और नासिक के हत्यारों को पकड़ा नहीं जाता और इंसाफ दिलाने की मांग करने वालों को नोटिस जारी किया जाता है यह कांगरे सरकार का दोहरा चरित्र है, उनका कहना है कि अगर इन्हें सजा नहीं मिली तो कल मेवात के किसी भी गांव में गोरक्षा के नाम पर आतंक मचाने वाले कुछ भी कर सकते हैं।