चुनाव आयोग ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड या चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनैतिक दलों को चंदा देने वाले दानदाताओं की लिस्ट जारी कर दी है। चुनावी बांड के जरिये किसने कितना रुपया राजनैतिक दलों को चंदे के रूप में दिया है अब सार्वजनिक हो चुका है और चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर कोई भी इसे देख सकता है।
इस बीच चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि उन कंपनियों ने भी राजनैतिक दलों को चुनावी बांड के जरिये जमकर चंदा दिया है जिनके उपर ईडी और आयकर विभाग की जांच चल चुकी है। इनमें से कई के ठिकानों पर तो जांच एजेंसियों ने छापे तक मारे थे। कुछ दानदाता तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां पड़ चुके छापे के कुछ दिनों बाद ही राजनैतिक दलों को चंदा देने के लिए चुनावी बांड खरीदे।
ऐसे ही दानदाताओं को लेकर अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसकी रिपोर्ट में बताया गया है कि 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को चुनावी बांड के जरिये दान देने वाले शीर्ष 5 दानदाताओं में से 3 ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी और आयकर विभाग की जांच का सामना करने के बावजूद चुनावी बांड खरीदे हैं।
इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म मेघा इंजीनियरिंग और खनन दिग्गज वेदांता शामिल हैं। चुनाव आयोग द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों में चुनावी बांड का नंबर 1 खरीदार सैंटियागो मार्टिन द्वारा संचालित फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड है। लॉटरी कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 1,300 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि ईडी ने 2019 की शुरुआत में फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। उस साल जुलाई तक, उसने कंपनी से संबंधित 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी। 2 अप्रैल 2022 को ईडी ने मामले में 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की थी।
इन संपत्तियों की कुर्की के पांच दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे।
ईडी ने सैंटियागो मार्टिन और उनकी कंपनी मेसर्स फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस (पी) लिमिटेड (वर्तमान में मेसर्स फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज (पी) लिमिटेड और पूर्व में मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड) के खिलाफ पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की थी। ईडी के अनुसार, मार्टिन और अन्य ने लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत लाभ प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी।
ईडी ने 22 जुलाई, 2019 को एक बयान में कहा था कि मार्टिन और उनके सहयोगियों ने 01.04.2009 से 31.08.2010 की अवधि के लिए पुरस्कार विजेता टिकटों के दावे को बढ़ाकर 910.3 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया था। 2019-2024 की अवधि में, कंपनी ने 21 अक्टूबर, 2020 को चुनावी बांड की पहली किश्त खरीदी थी।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि राजनीतिक दलों को दूसरा सबसे बड़ा दानकर्ता हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) है। इसने 2019 और 2024 के बीच 1000 करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं।था।
कृष्णा रेड्डी द्वारा संचालित, मेघा इंजीनियरिंग तेलंगाना सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में शामिल है। यह कालेश्वरम बांध परियोजना, जोजिला सुरंग और पोलावरम बांध का भी निर्माण कर रहा है।
अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भी जांच शुरू की गई। संयोग से, उसी साल 12 अप्रैल को एमईआईएल ने 50 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे।पिछले साल, सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए चीनी इलेक्ट्रिक कार निर्माता बीवाईडी और उसके हैदराबाद स्थित भागीदार एमईआईएल के 1 बिलियन डॉलर के निवेश प्रस्ताव को खारिज कर दिया
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह पांचवां सबसे बड़ा दानकर्ता है, जिसने 376 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं, जिसकी पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी गई थी।
2018 के मध्य में, ईडी ने दावा किया था कि उसके पास वीज़ा के लिए रिश्वत मामले में वेदांता समूह की कथित संलिप्तता से संबंधित सबूत हैं, इस मामले में कुछ चीनी नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया गया था।
ईडी द्वारा सीबीआई को भेजे गए एक संदर्भ में 2022 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था। जिसके बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता लिमिटेड ने 39 करोड़ रुपये से अधिक के बांड खरीदे। अगले चार वर्षों में, 2020 के महामारी वर्ष को छोड़कर, नवंबर 2023 तक, इसने 337 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिससे वेदांता द्वारा खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का संचयी मूल्य 376 करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि जिंदल स्टील एंड पावर भी शीर्ष 15 दानदाताओं में से एक है। कंपनी ने इस अवधि में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 123 करोड़ रुपये का दान दिया है।
जबकि कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच का सामना करना पड़ा है। ईडी ने अप्रैल 2022 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक ताजा मामले के संबंध में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के परिसरों पर छापा मारा था।
इसके अलावा रित्विक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने इस अवधि में 45 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। ऋत्विक प्रोजेक्ट्स का स्वामित्व राजनेता सीएम रमेश के पास है। अक्टूबर 2018 में, आयकर विभाग ने कंपनी और रमेश, जो उस समय टीडीपी सांसद थे, से जुड़े परिसरों पर छापा मारा।आयकर विभाग ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है। छापेमारी के कुछ महीनों बाद, रमेश भाजपा में शामिल हो गए
दिल्ली शराब घोटाले मामले में फंसी अरबिंदो फार्मा ने भी इस दौरान 49 करोड़ रुपये का दान दिया है। ईडी ने मामले में कंपनी के निदेशक पी सरथ रेड्डी को नवंबर 2022 में गिरफ्तार किया था। जबकि कंपनी ने 2021 में लगभग 2.5 करोड़ रुपये का दान दिया, इसकी अधिकांश चुनावी बांड खरीद 2022 और 2023 में की गई थी। (साभार सत्या हिन्दी)