नई दिल्ली: डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपये में गिरावट का दौर लगातार जारी है.शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपये ने नया निचला स्तर बनाया और 39 पैसे और लुढ़क गया.डॉलर के मुक़ाबले ये रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है.
यानी अभी अगर आपको एक डॉलर खरीदना है तो इसके लिए आपको 81 रुपये 18 पैसे चुकाने होंगे.रुपये में गिरावट के लिए अमेरिकी फेडरल रिज़र्व और दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों की ब्याज़ दरों में बढ़त को वजह माना जा रहा है.रुपये में लगातार होती गिरावट भारत सरकार के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है.
क्योंकि दुनिया भर में ब्याज़ दरें बढ़ने का सीधा असर भारत में विदेशी निवेश पर पड़ सकता है साथ ही भारत को तेल इंपोर्ट पर भी विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है.रुपये में गिरावट का असर शेयर बाज़ार पर भी दिखने को मिल रहा है और सेंसेक्स और निफ्टी करीब एक फ़ीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं.
इसके साथ ही बीजेपी को विपक्षी दलों की ओर से भी इस मुद्दे पर आलोचना का सामना कर पड़ रहा है.मुद्रा या करेंसी का जहाँ लेन-देन होता है, उसे फ़ॉरेन एक्सचेंज मार्केट, या फिर मनी मार्केट कहते हैं.
एक्सचेंज रेट हमेशा एक सा नहीं रहता, उसमें बदलाव होता रहता है. कोई ज़रूरी नहीं कि पाउंड के बदले जितने रुपये 2022 जुलाई में देने पड़े, दिसंबर में भी पाउंड की क़ीमत रुपये के या किसी और मुद्रा के मुक़ाबले उतनी ही रहेगी.ये कम भी हो सकती है और अधिक भी. ऐसा किसी करेंसी की मांग और सप्लाई पर निर्भर करता है.