कनाडा में भारत के बाकी राजनयिक भी नोटिस पर हैं। कनाडा ने शेष भारतीय राजनयिकों को “स्पष्ट रूप से सूचित” किया है कि वे कनाडाई लोगों के जीवन को खतरे में न डालें, क्योंकि एक सिख अलगाववादी की हत्या में भारत की भूमिका के आरोपों पर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। यह बात कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने शुक्रवार को कही।
भारत-कनाडा के बीच राजनयिक गतिरोध तब शुरू हुआ जब इस हफ्ते की शुरुआत में कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त और पांच अन्य राजनयिकों को कनाडा में सिख अलगाववादियों के खिलाफ हिंसा और धमकी के अभियान से जुड़े होने का आरोप लगाते हुए निष्कासित कर दिया।
कनाडा के घटनाक्रम ने भारत की विदेश नीति और कूटनीति पर सवालिया निशान लगा दिये हैं। क्योंकि ठीक इसी तरह के आरोप अमेरिका में भी हैं। लेकिन उसको भारत ने किसी तरह संभाल लिया है। लेकिन कनाडा से संबंध रसातल पर पहुंच गए हैं। कोई देश बीच में हस्तक्षेप करके हालात को सामान्य बनाने की कोशिश नहीं कर रहा है। जिस तरह से ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका ने खुलकर कनाडा का इस मसले पर साथ दिया, वो भारत की विदेश नीति को खुली चुनौती है। कनाडा की विदेश मंत्री ने शुक्रवार के बयान में रूस का भी जिक्र आया है। जबकि पीएम मोदी अगले हफ्ते रूस की यात्रा ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने जाने वाले हैं।
कनाडा की विदेश मंत्री जोली ने कहा- “हमने अपने इतिहास में ऐसा कभी नहीं देखा है। कनाडा की धरती पर उस स्तर का अंतरराष्ट्रीय दमन नहीं हो सकता। हमने इसे यूरोप में कहीं और देखा है। जोली ने कहा, “रूस ने जर्मनी और ब्रिटेन में ऐसा किया है और हमें इस मुद्दे पर दृढ़ रहने की जरूरत है।