सातवीं कक्षा की सोशल साइंस की किताब “एक्सप्लोरिंग सोसाइटी इंडिया एंड बियॉन्ड” जाति व्यवस्था का बचाव करती है, इस किताब में कहा गया है कि भारतीय समाज में दो-स्तरीय व्यवस्था थी: “जाति” जो पेशे से जुड़ी थी और “वर्ण” जो वैदिक ग्रंथों में बताई गई व्यवस्था थी। इसके मुताबिक चार वर्ण थे- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनसीआरटी को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने कहा है कि स्कूल पाठ्यक्रम में जातिगत भेदभाव के खतरों पर सामग्री शामिल की जाए। एनसीईआरटी राष्ट्रीय पाठ्यपुस्तक निर्माण संस्था है। उसने जाति व्यवस्था का महिमामंडन वाली किताबें विभिन्न क्लासों के लिए छापी हैं। सबसे ताज़ा उदाहरण सातवी कक्षा की सोशल साइंस की किताब है। जिसमें जाति व्यवस्था को सही ठहराया गया है।
जस्टिस विनोद दिवाकर ने 16 सितंबर को यह आदेश जारी किया है। आदेश में सुझाव दिया गया है कि स्कूल के पाठ्यपुस्तकों में जाति और सामाजिक असमानता के प्रति छात्रों को संवेदनशील बनाने वाली सामग्री शामिल की जानी चाहिए। यह मामला अप्रैल 2023 में हरियाणा से यूपी के रास्ते बिहार में अवैध शराब ले जाने से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने दो कारों को रोका और एफआईआर में आरोपियों की जाति का उल्लेख किया था। अदालत ने पुलिस को जाति का उल्लेख न करने का निर्देश दिया।
जाति के मुद्दे पर विचार करते हुए, अदालत ने कहा कि सरकार द्वारा जाति-आधारित असमान व्यवस्थाओं को दूर करने के लिए उठाए गए कदम पॉजिटिव कार्रवाई पर केंद्रित हैं, लेकिन सामाजिक भेदभाव को खत्म करने पर नहीं। आदेश में कहा गया, “कानून प्रत्यक्ष भेदभाव के कृत्यों को दंडित कर सकता है, लेकिन यह अभी संस्थानों, स्कूलों, कार्यस्थलों और गांवों में मौजूद है। देश में स्वच्छता और जेंडर समानता जैसे अभियानों की तरह जातिगत भेदभाव को विशेष रूप से टारगेट करने वाला कोई राष्ट्रव्यापी जागरूकता कार्यक्रम नहीं है।”
अदालत ने कहा, “स्कूलों में जाति-विरोधी शिक्षा के लिए विशेष रूप से समर्पित कोई व्यवस्थित पाठ्यक्रम मॉड्यूल नहीं है… जातिगत भेदभाव को कम करने के लिए, सरकार को कानूनों के साथ-साथ निरंतर कार्यक्रमों की आवश्यकता है। सामाजिक सद्भाव और जातिगत समानता को बढ़ावा देने वाला एक राष्ट्रीय अभियान चलाना चाहिए। स्कूल पाठ्यक्रम में बच्चों को समानता, गरिमा और जातिगत भेदभाव के खतरों के बारे में सिखाना चाहिए।”आभार: सत्य हिंदी












