आज मुझे इलाहाबाद में धमकी दी गई है कि दो सप्ताह के भीतर आपको जेल से फिर किसी बहाने से बाहर निकाला जाएगा और आपको निपटा दिया जाएगा. ये जानकारी एक बड़े अधिकारी ने मुझे दी है.”
29 मार्च को पुलिस की क़ैदी गाड़ी के भीतर से झाँकते हुए पत्रकारों से बात कर रहे अतीक़ अहमद के साथ मारे गए उनके भाई अशरफ़ ने ये डर अपने बयान से ज़ाहिर किया था.
इसके ठीक दो हफ़्ते बाद, 15 अप्रैल की रात पुलिस सुरक्षा में मेडिकल जाँच के लिए ले जाते समय अतीक़ और अशरफ़ की हत्या कर दी गई.
पत्रकार बनकर आए तीन हमलावरों ने लाइव कैमरों के सामने अतीक़ और अशरफ़ की हत्या की. इस घटना के वीडियो लगातार टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं.
अतीक़ के वकील ने पुलिस पर उठाए कई सवाल
अतीक़ अहमद के वकील विजय मिश्रा उनकी परछाई बन कर चलते थे. वो बताते हैं, “हाई कोर्ट ने भी अशरफ़ की सुरक्षा का संज्ञान लेते हुए आदेश दिया था कि उनकी सुरक्षा का विशेष ध्यान दिया जाए.”सुप्रीम कोर्ट ने भी अतीक़ अहमद की सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की थी, लेकिन उन्हें यह गुहार हाई कोर्ट से करने को कहा था.
विजय मिश्रा कहते हैं, “इससे पहले कि वो हाई कोर्ट जाकर वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से पेशी और सुनवाई की मांग करते, उससे पहले ही अतीक़ की हत्या हो गई.”
अशरफ़ की सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि उनकी पेशी के लिए आते-जाते हर वक़्त वीडियोग्राफी हो.
हत्या की घटना के बारे में विजय मिश्रा कहते हैं, “जब कॉल्विन अस्पताल अतीक़ और अशरफ़ को लेकर पहुँचे, तो वहाँ कोई पुलिस का वीडियो कैमरा नहीं था. सिर्फ़ 6 से 7 पुलिसकर्मी ही थे.” विजय मिश्रा हत्या के चश्मदीद थे.
वो कहते हैं, “काफ़ी मीडियाकर्मी थे और जो पुलिसकर्मी चल रहे थे, वो काफ़ी पीछे चल रहे थे.”
सुरक्षा व्यवस्था पर अहम सवाल
विजय मिश्रा कहते हैं, “हमने धूमनगंज थाने के एसएचओ से कहा भी की हमें यहाँ कोई सुरक्षा व्यवस्था दिख नहीं रही है. दोनों तरफ बैरिकेडिंग लगाइए, केवल थाने के सिपाही हैं, जिनका इस मामले से मतलब नही हैं. मैंने कहा आप हैं,आपको सुरक्षा व्यवस्था का विशेष ध्यान देना चाहिए. तो उन्होंने कहा कि आप निश्चिंत रहिए हम सुरक्षा व्यवस्था का पूरा ध्यान दे रहे हैं. सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उन्होंने मुझे आश्वस्त किया था.”
वो कहते हैं कि, “घटना के समय एसएचओ मौर्या जी मौजूद थे, और मैं खुद वहाँ मौजूद था. मैंने उनसे कहा कि इस समय पुलिस के कर्मी बहुत की कम मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि और पुलिस अभी आ रही है.”
सवाल उठ रहा है कि भारी पुलिस सुरक्षा में रहने वाले अतीक़ अहमद को खुली पुलिस जीप में क्यों अस्पताल लाया गया और मीडिया को उनके इतना क़रीब कैसे पहुँचने दिया गया.
हमलावरों ने पुलिस पर गोली क्यों नहीं चलाई?
इस बीच सबसे अहम सवाल है के तीनों हमलावरों ने सिर्फ अतीक़ और उनके भाई अशरफ़ को निशाना बनाया.
उन्होंने उनकी सुरक्षा में तैनात किसी पुलिसकर्मी पर कोई गोली नहीं चलाई.
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्हें पहले से ये पता था कि पुलिस उन पर जवाबी कार्रवाई नहीं करेगी.
वो घटनाक्रम को लेकर इतने निश्चिंत कैसे थे?
हमलावरों ने हत्या करने के तुरंत बाद हथियार फेंक दिए थे और धार्मिक नारे लगाते हुए सरेंडर कर दिया था.
सवाल तो बहुत हैं पर अतीक़ और अशरफ़ की हत्या की गुत्थी अभी तक सुलझने में नही आरही है।