पटना: दो हफ्ते पहले जब सासाराम से वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत हुई थी, तब गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर खुद तेजस्वी यादव थे. राहुल गांधी उनके साथ बैठे थे और यह कारवां बिहार भर में 1,300 किलोमीटर का सफर तय करने वाला था.
लेकिन सोमवार को जब यह यात्रा पटना में एक विशाल रैली के साथ खत्म हुई, जिसने पूरे शहर को ठहरा-सा दिया, तब तक तेजस्वी लगभग हाशिये पर जा चुके थे. राहुल गांधी, जिन्होंने अपने समापन भाषण में वोट चोरी के आरोपों पर जल्द ही “हाइड्रोजन बम” जैसी खुलासा करने की बात कही, यात्रा का केंद्रीय चेहरा बनकर उभरे.पटना की सड़कों पर कांग्रेस के पोस्टर और बैनरों की भरमार ने भी यही तस्वीर दिखाई. यात्रा के आखिरी पड़ाव के दौरान लोगों के बीच यही चर्चा थी:
तेजस्वी के लिए यह बात छिपी नहीं रही कि यात्रा के दौरान राहुल ने गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा, इस सवाल से किनारा कर लिया. सोमवार को तेजस्वी ने मंच से लगभग साफ कर दिया कि इस मामले में कोई अस्पष्टता नहीं चलेगी और खुद को भावी मुख्यमंत्री उम्मीदवार की तरह पेश किया.
उन्होंने पटना के डाक बंगला चौराहे पर, जहां पुलिस ने यात्रा को उसके तय गंतव्य—पटना हाईकोर्ट के पास अंबेडकर प्रतिमा तक जाने से रोक दिया, सभा को संबोधित करते हुए कहा, “तेजस्वी आगे आगे, ये सरकार पीछे पीछे.”उन्होंने भीड़ से पूछा, “आपको असली मुख्यमंत्री चाहिए या नकली? आपको असली मुख्यमंत्री चाहिए न?” इस पर जमकर तालियां बजीं.
हालांकि, राहुल गांधी द्वारा उठाए गए वोट चोरी के आरोप यात्रा की केंद्रीय थीम रहे, जो 25 जिलों के 110 विधानसभा क्षेत्रों से गुज़री, लेकिन इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आई नई ऊर्जा अब सीट बंटवारे की बातचीत में विपक्षी गठबंधन के लिए नई चुनौती बन गई है.कुछ मायनों में आरजेडी जो विपक्षी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है, समझ रही है कि कांग्रेस यात्रा से बने इस माहौल को सीट बंटवारे में दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है.
17 अगस्त को जब सीतामढ़ी से यात्रा शुरू हुई, आरजेडी ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी की गाड़ी चलाते हुए तस्वीरें डालते हुए लिखा:“यात्रा अगर युद्धभूमि की हो तो याद रखना, सारथी हमेशा कोई अहीर होगा, हर युग में.”
सोमवार को बीजेपी ने भी तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा कि पूरी यात्रा के दौरान उन्हें राहुल के पीछे रहना पड़ा.
2020 में कांग्रेस को महागठबंधन के लिए बोझ माना गया था. उसे 70 में से सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली थी. इसके मुकाबले आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और 75 सीटें जीतीं, जबकि भाकपा (माले) ने 19 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीटें जीतीं.
इस बार सीट बंटवारे की बातचीत में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के करीबी कृष्णा अल्लावरु, जो बिहार प्रभारी हैं, वार्ता का नेतृत्व करेंगे. पार्टी ने हाल ही में दलित नेता राजेश कुमार को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाया है, जिन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के करीबी माने जाने वाले अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह ली है.कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा कि सीट बंटवारे पर अभी बातचीत बाकी है, लेकिन आरजेडी की तरफ से संकेत मिले हैं कि उसे अपनी सीटों में से 15-20 सीटें मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के लिए छोड़नी होंगी. उन्होंने कहा, “सिर्फ हमसे ही क्यों उम्मीद की जा रही है कि हम एडजस्ट करें? बातचीत शुरू होने दें.”
इस बीच, यात्रा के अंतिम दिन राहुल ने यह भी ऐलान किया कि कांग्रेस जल्द ही नए सबूत पेश करेगी, ताकि यह साबित हो सके कि चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में हेरफेर करने के लिए बीजेपी से मिलीभगत की.राहुल ने कहा, “हमने महादेवपुरा में एटम बम दिखाया था. अब तैयार हो जाओ बीजेपी वालों, हाइड्रोजन बम आने वाला है. बिहार की जनता ने पूरे देश को संदेश दिया है कि हम वोट चोरी नहीं होने देंगे. मैं गारंटी देता हूं कि हाइड्रोजन बम के बाद नरेंद्र मोदी जी इस देश को मुंह नहीं दिखा पाएंगे.”आभार :द प्रिन्ट












