प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने हर भाषण में इस बात को दोहराते हैं कि न्यू इंडिया में सब कुछ अलग है. फिल्म प्यासा को याद करते हुए लेखिका ने लिखा है कि न्यू इंडिया में ऐसी कई चीजें जो बदली नहीं हैं. बेटियों की दुर्दशा उनमें से एक है. भले ही प्रधानमंत्री ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया है लेकिन खुद उनके ही लोग इस नारे की मिट्टी पलीद करने में जुटे हैं. देश के लिए अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में पदक जीतने वाली पहलवानों की शिकायत है कि जिन्हें उन्होंने गुरु माना, उन्हीं ने उनका यौन शोषण किया.
यौन शोषण करने वाले गुरु छोटे आदमी नहीं हैं. उत्तर प्रदेश से बीजेपी के सांसद हैं. उनकी आवाज में बेटियों की आवाज से ज्यादा दम है. इसलिए पुलिस प्राथमिकी तक दर्ज नहीं कर पाती. बेटियों का सम्मान बेटों से कम पुराने इंडिया में भी था, न्यू इंडिया में भी है. न्यू इंडिया में भी छोटी बच्चों को खरीदा और बेचा जाता है. पुलिस वाले इस कारोबार में लगे लोगों का साथ देते हैं.
जब तक भारत में बेटियों को बचाने और पढ़ाने क काम बड़े पैमाने पर नहीं होता है तब तक ‘न्यू इंडिया’ और ‘ओल्ड इंडिया’ में फर्क ज्यादा नहीं दिखेगा. छोटी उम्र में सबसे ज्यादा बेटियों की शादी भारत में होती है. देश में हर दिन सौ से ज्यादा बलात्कार होते हैं. निर्भया के घिनौने बलात्कार कांड के दौरान घड़ियाली आंसू बहाने वाली बीजेपी की महिला सांसद हाथरस की घटना पर चुप रहती हैं क्योंकि दरिंदे ठाकुर परिवारों के थे. लेखिका का प्रधानमंत्री से सवाल है- कैसे बनेगा आपका न्यू इंडिया?
(courtesy:Indian Express)